नई दिल्ली। दिल्ली की एक उपभोक्ता अदालत ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय से उन निजी बीमा कंपनियों से कड़ाई से निपटने और उनके लाइसेंस निरस्त करने को कहा है जो उपभोक्ताओं को उत्पीड़ित करती हैं और अवैध तरीके से उनके दावे खारिज करती हैं। पूर्वी जिला उपभोक्ता विवाद निपटान फोरम ने अपोलो म्यूनिख हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को एक पॉलिसी धारक को 1.8 लाख रुपए का भुगतान करने का आदेश देते हुए यह सिफारिश की। कंपनी ने ग्राहक द्वारा इलाज पर खर्च की गई राशि की भरपाई नहीं की और अवैध रूप से ग्राहक का बीमा कवर निरस्त कर दिया था। एन.ए. जैदी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियां इस तरह के काम करने पर महज इसलिए उतारू हैं ताकि वे पॉलिसीधारक को देय जायज भुगतान देने से बच सकें। इससे कड़ाई से निपटने की जरूरत है और इस तरह की कंपनियों के लाइसेंस निरस्त किए जाने चाहिए। फोरम ने इस मामले में आगे कार्रवाई के लिए आदेश की एक प्रति वित्त मंत्रालय के सचिव (वित्त) को भेजने का आदेश दिया
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बीमा कंपनियों को दंडित करे वित्त मंत्रालय
Updated : 2012-11-16T05:30:00+05:30
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