चन्द्रमा की किरणों से पुष्ट खीर पित्तशामक, शीतल, सात्त्विक होने के साथ वर्ष भर प्रसन्नता और आरोग्यता में सहायक सिद्ध होती है। इससे चित्त को शांति मिलती है और साथ ही पित्तजनित समस्त रोगों का प्रकोप भी शांत होता है । जीवन में धन की इसी अहमियत को जानते हुए धर्मशास्त्रों में अच्छे कर्म से धन संचय के उद्देश्य से कुछ खास घडिय़ों पर विशेष देव उपासना की अहमियत बताई गई है। इसी कड़ी में शरद पूर्णिमा पर चंद्रदर्शन व देवी लक्ष्मी की उपासना का महत्व है। असल में देवी लक्ष्मी धन का देवीय स्वरूप ही है। धार्मिक नजरिए से भी देवी लक्ष्मी की उपासना दरिद्रता का नाश कर वैभव संपन्न बनाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शरद पूर्णिमा पर के पूर्ण कलाओं वाले चंद्रमा में मौजूद 2 खास बातें किसी भी इंसान को लक्ष्मी की अपार कृपा का पात्र बना सकती हैं? ये दो बातें शास्त्रों में अच्छे कर्मों से धन संचय के लक्ष्य को भी सार्थक करती है। आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाये तो चन्द्र का मतलब है, शीतलता। बाहर कितने भी परेशान करने वाले प्रसंग आए लेकिन आपके दिल में कोई फरियाद न उठे। आप भीतर से ऐसे पुष्ट हों कि बाहर की छोटी-मोटी मुसीबतें आपको परेशान न कर सकें । इस रात हजार काम छोडक़र 15 मिनट चन्द्रमा को एकटक निहारना सेहत की दृष्टि से अति उत्तम है। एक आध मिनट आंखें पटपटाना यानी झपकाना चाहिए। कम से कम 15 मिनट चन्द्रमा की किरणों का फायदा लेना चाहिए, ज्यादा भी करें तो कोई नुकसान नहीं। इससे 32 प्रकार की पित्त संबंधी बीमारियों में लाभ होगा। चांद के सामने छत पर या मैदान में ऐसा आसन बिछाना चाहिए जो विद्युत का कुचालक हो। चन्द्रमा की तरफ देखते-देखते अगर मन हो तो आप लेट भी सकते हैं, ऐसा करते-करते आप विश्रान्ति योग में चले जाए तो सबसे अच्छा होगा, जिन्हें नेत्रज्योति बढ़ानी हो, वे शरद पूनम की रात को सुई में धागा पिरोने की कोशिश करें, इस रात्रि को चंद्रमा अपनी समस्त 64 कलाओं के साथ होता है और धरती पर अमृत वर्षा करता है।
सेहत के लिए भी उत्तम है शरद पूर्णिमा
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Updated : 2012-10-29T05:30:00+05:30
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