संस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को दिये वित्तीय प्रबंधन के गुर
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यूनिवर्सिटी ऑफ कंसास के प्रो. राजेन्द्र पी. श्रीवास्तव ने दिया व्याख्यान
मथुरा। जिस प्रकार किसी मशीन को चलाने के लिए ऊर्जा के रूप में तेल, गैस या बिजली की आवश्यकता होती है उसी प्रकार किसी भी आर्थिक संगठन के संचालन हेतु उसे वित्त की आवश्यकता होती है। अत: वित्त जैसे अमूल्य तत्व का प्रबन्ध ही वित्तीय प्रबंधन कहलाता है। उक्त विचार यूनिवर्सिटी ऑफ कंसास के अतिथि वक्ता प्रो. राजेन्द्र पी. श्रीवास्तव ने संस्कृति यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं से व्यक्त किए।
इस अवसर पर प्रो. श्रीवास्तव ने छात्र-छात्राओं को जोखिम प्रबंधन पर भी विस्तार से जानकारी दी। प्रो. श्रीवास्तव ने कहा कि व्यवसाय का उद्देश्य अधिकतम लाभ अर्जन करना होता है लेकिन जोखिमों का मूल्यांकन किए बिना व्यापार करना कतई उचित नहीं होता है। प्रो. श्रीवास्तव ने कहा कि लगभग सभी कम्पनियां जोखिम का सामना करती हैं लेकिन बहुत अधिक जोखिम से व्यवसाय में विफलता से इंकार नहीं किया जा सकता। यदि हमें जोखिम प्रबंधन की जानकारी होगी तो व्यवसाय में संतुलन कायम करना आसान होगा।
प्रो. श्रीवास्तव ने छात्र-छात्राओं को आईटी जोखिम, परिचालन जोखिम, विनियामक जोखिम, कानूनी जोखिम, राजनीतिक जोखिम, सामरिक जोखिम और क्रेडिट जोखिम आदि की विस्तार से जानकारी देने के साथ ही कम्पनियों की सालाना रिपोर्ट तैयार करने पर भी प्रकाश डाला।
इस अवसर पर कुलपति डॉ. राणा सिंह ने व्यावसायिक पाठ्यक्रम के छात्र-छात्राओं को वैश्विक बाजार की जानकारी मुहैया कराने के साथ ही कहा कि देश की युवा पीढ़ी को वैश्विक बाजार की अर्थव्यवस्था में खुद को स्थापित करने के लिए वित्तीय प्रबंधन की जानकारी होना जरूरी है।
कुलपति डॉ. सिंह ने कहा कि व्यावसायिक पाठ्यक्रम के छात्रों को सिर्फ क्षेत्रीय व राष्ट्रीय बाजार की ही जानकारी तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि उन्हें वैश्विक उत्पाद और वैश्विक बाजार की बारीकियां भी पता होनी चाहिए। इस अवसर पर डीन इंजीनियरिंग डा. कल्याण कुमार, विभिन्न संकाय के प्राध्यापक और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
Naveen Savita
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