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एनजीओ के सवालों का जबाव लेकर सामने आया ब्रज तीर्थ विकास परिषद

-सीईओ नगेंद्र प्रताप बोले, कुंडों की खुदाई कराने की कोई योजना ही संचालित नहीं, परिषद ने खर्च नहीं किया एक भी रूपया

एनजीओ के सवालों का जबाव लेकर सामने आया ब्रज तीर्थ विकास परिषद
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मथुरा। एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने जिले में कुंडों की खुदाई को लेकर ब्रज तीर्थ विकास परिषद पर उंगली उठाई, कुछ सवालों के जबाव परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्रा से मांगे। मीडिया को खुला पत्र जारी किया गया और पूरी योजना के क्रियान्वयन पर सवाल खड़े कर दिए। इसके बाद ब्रज तीर्थ विकास परिषद उन सवालों की सच्चाई के साथ सामने आया। गौरतलब है कि एक दिन पहले एनजीओ द्वारा प्रेस को जारी खुले पत्र में ब्रज तीर्थ विकास परिषद पर सवाल उठाए गए। पत्र में कहा गया कि मथुरा प्रशासन ने हाल ही में जो एक हजार कुंड खोदे है वो किस ग्राम में स्थित हैं, खुदाई के पहले और बाद की इनकी तस्वीर और लागत की सूचना वेबसाइट पर डाली है ताकि जिससे उस गांव के निवासी ये जान सकें कि उनके गांव का कुंड कब खुद गया और उस पर कितने दिन काम चला, कितने मजदूर लगे, कितनी ट्रैक्टर ट्राॅली लगीं, कितने अर्थमूवर्स मशीनें (जेसीबी) लगीं है। क्या प्रशासन ने इसका हिसाब रखा है कि इतने बड़े खुदाई अभियान में कुंडों को कितने फुट गहरा खोदा गया ? कितने करोड़ टन मिट्टी निकली और उसे कहां बेचा गया। एनजीओ ने वर्षाकाल में कुंडों की खुदाई के काम को असंभव बताते हुए अनियमितताओं की संभावना जताई।

इन सवालों पर ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ नगेंद्र प्रताप ने पत्र जारी करके जो बातें बतायीं वो चौंकाने वाली है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा कुंडों या तालाबों की खुदाई की न तो कोई योजना बनाई गई है और न ही ऐसा कोई कार्य परिषद द्वारा कराया गया है। ऐसे में धनराशि खर्च करने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। ऐसे में जो आरोप लगाए गए है वो या तो किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त है या फिर किसी द्वेषवश लगाए गए है। पत्र में इस बात पर आश्चर्य जताया गया कि जब ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा तालाब कुंडों की खुदाई की कोई योजना ही संचालित नही की जा रही है तो वित्तीय अनियमितताओं के आरोप ही हास्यास्पद है। एनजीओ ने जिन तालाबों की खुदाई पर सवाल उठाए है दरअसल वो तालाब केंद्र सरकार की जल शक्ति योजना के तहत खोदे गए है। इसमें जो धनराशि खर्च की गई है वो मनरेगा योजना के तहत की गई है। ये कार्य दस विकास खंडों की 515 ग्राम पंचायतों मंे हुआ है। इस योजना में कोई भी कुंड शामिल नहीं है। इस योजना से ब्रज तीर्थ विकास परिषद का कोई सबंध ही नहीं है।





खिसियानी बिल्ली खंबा नौंचे

सरकार की मंशा और ब्रज की पौराणिक संस्कृति के अनुरूप ब्रज के विकास के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ब्रज तीर्थ विकास परिषद का गठन किया। इसकी कमान देशभर में अपनी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के लिए विख्यात पूर्व डीजीपी शैलजाकांत मिश्रा को सौंप दी। तभी से उन गैर सरकारी संगठनों की दुकानें बंद हो गई है जो विकास के नाम पर सरकारी धन का बंदरवाट कर रहे थे। ऐसे में जो पत्र जारी किया गया है वो खिसियानी बिल्ली खंबा नोंचे वाली कहावत को ही चरितार्थ कर रहा है।

जिस एनजीओ ने सवाल उठाए है उसके क्रियाकलाप भी किसी से छिपे नहीं है। जब ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने एनजीओ के कार्यो को सरकार की मंशा की कसौटी पर कसा तो इस एनजीओ के संचालक बुरी तरह तिलमिला गए। महिला आईएएस यशु रूस्तगी ने एनजीओ की कलई खोली तो एनजीओ से जुड़े लोगों ने उनके कार्यालय में ही अभद्रता कर डाली। इस प्रकरण की गूंज लखनऊ तक पहंची। इस एनजीओ ने जिन कुंडों का जीर्णोद्वार जिस तौर तरीकों से करवाया उस पर एनजीटी ने भी कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए उन कुंडों को प्रशासन की सुपुर्दगी में दे दिया। ऐसे में जो सवाल पूछे गए है वो खिसियानी बिल्ली खंबा नोंचे वाली कहावत को ही परिलक्षित करते प्रतीत हो रहे है।

Updated : 10 Oct 2019 1:38 PM GMT
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स्वदेश मथुरा

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