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अपने ही संसदीय क्षेत्र अमेठी में घिरे राहुल, हार के डर से दो सीटों पर लड़ेंगे चुनाव

अपने ही संसदीय क्षेत्र अमेठी में घिरे राहुल, हार के डर से दो सीटों पर लड़ेंगे चुनाव
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लखनऊ। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की इस बार खुद अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी में ही घिर गये हैं। लोकसभा चुनाव में उन्हें भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी से तगड़ी चुनौती मिल रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर होने के बावजूद कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अमेठी व रायबरेली सीट बचाने में कामयाब हुई थी। कांग्रेस नेताओं को पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की जीत की चिंता सता रही है। इसलिए कांग्रेस आलाकमान ने राहुल गांधी को दो लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ाने की घोषणा की है।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस बार उत्तर प्रदेश के अमेठी और केरल के वायनाड लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में अगर राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार भी जाते हैं तो दूसरे स्थान से जीतकर वह संसद पहुंचेंगे। अगर वह दोनों स्थानों से विजय हासिल करते हैं तो एक स्थान से इस्तीफा देंगे। राहुल गांधी को दो प्रदेशों की दो लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ाने में कांग्रेस फायदा भी देख रही है। कांग्रेस का मानना है कि अगर राहुल गांधी को अमेठी से न लड़ाकर केवल केरल से चुनाव लड़ाने पर इसका गलत संदेश जायेगा कि हार के डर के कारण कांग्रेस अध्यक्ष ने सीट बदली है। दोनों सीटों से चुनाव लड़ने पर दोनों प्रदेशों में कांग्रेस पार्टी को इसका फायदा होगा। अमेठी सीट इसलिए नहीं छोड़ सकते हैं क्योंकि वह कांग्रेस और गांधी परिवार की परम्परागत सीट है। दूसरे उत्तर प्रदेश से ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी चुनाव लड़ते हैं।

दूसरी तरफ केरल से चुनाव लड़ने पर केरल के कांग्रेस नेताओं का हौसला बढ़ने के साथ ही वहां पार्टी का जनाधार भी बढ़ेगा। साथ ही केरल में कांग्रेस की लोकप्रियता भी बढ़ेगी। केरल ईसाई बहुल प्रदेश है। इसलिए कांग्रेस वहां से राहुल गांधी को चुनाव लड़ाने में फायदा देख रही है। चर्चा यह भी है कि राहुल गांधी को केरल से चुनाव लड़ने के लिए आमंत्रित करना कांग्रेस पार्टी की आंतरिक कलह का नतीजा है। क्योंकि वायनाड सीट को लेकर कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं, रमेश चेन्नीथला और पूर्व सीएम ओमान चांडी के बीच मतभेद था और यह तय नहीं हो पा रहा था कि इस सीट से किसको मैदान में उतारा जाए। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी को इस सीट से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया गया था। हालांकि अब खुद कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि राहुल गांधी अमेठी के अलावा वायनाड से भी चुनाव लड़ेंगे।

संजय गांधी राजीव और सोनिया भी रहीं अमेठी से सांसद

अमेठी संसदीय सीट पर नजर डालें तो 1977 ओर 1998 के चुनाव को छोड़कर यहां पर लगातार कांग्रेस का ही कब्जा रहा। राहुल गांधी यहां से तीन बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। इसके पहले उनकी मां सोनिया गांधी अमेठी से सांसद थी। यही नहीं उनके चाचा संजय गांधी भी यहां से सांसद रहे हैं। इसके अलावा खुद उनके पिता राजीव गांधी लगातार तीन बार अमेठी से लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंच चुके हैं। वर्ष 1999 के आम चुनाव से लगातार आज तक अमेठी पर कांग्रेस का कब्जा बरकरार है।

कांग्रेस व भाजपा में होगी सीधी टक्कर

इस बार अमेठी में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अध्यक्ष राहुल गांधी और भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी के बीच सीधी टक्कर होगी। उत्तर प्रदेश के सपा-बसपा गठबंधन ने पहले से ही अमेठी से प्रत्याशी नहीं उतारने का फैसला किया है। इसलिए सपा-बसपा और रालोद से वहां कोई प्रत्याशी नहीं होगा। भाजपा नेता स्मृति ईरानी वर्ष 2014 में भी राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ चुकी हैं। 2014 से अब तक बराबर स्मृति ईरानी अमेठी का दौरा करती रही हैं। और कई विकास कार्य भी कराये हैं। ऐसे में मतदाता इस बार भाजपा की तरफ रूख कर सकते हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता रफत फातिमा ने हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि अमेठी गांधी परिवार की परम्परागत सीट है लेकिन केरल की जनता चाह रही है कि राहुल गांधी वहां से चुनाव लड़ें। इसलिए कांग्रेस पार्टी ने उन्हें दो स्थानों से चुनाव लड़ाने की घोषणा की है।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता चन्द्र भूषण पाण्डेय का कहना है कि हार की डर की वजह से राहुल गांधी दो स्थानों से चुनाव लड़ना चाह रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह से वहां की जनता को निराश किया है, इसलिए अमेठी की जनता कांग्रेस से मुक्ति चाहती है। अमेठी और रायबरेली दोनों लोकसभा क्षेत्र विकास की दृष्टि से आज भी भारत के सर्वाधिक वंचित क्षेत्रों में आते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने देश के विभि​न्न क्षेत्रों में जिस प्रकार विकास किया है उसके बाद भी अमेठी में कांग्रेस का सांसद होने के बावजूद विकास योजनाएं जमीन तक नहीं पहुंची हैं, इसलिए जनता में घोर निराशा है।

Updated : 4 April 2019 11:41 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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