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मायावती ने मुलायम सिंह यादव के खिलाफ चल रहे गेस्ट हाउस केस लिया वापस

-खत्म हुई सपा-बसपा की सियासी दुश्मनी

मायावती ने मुलायम सिंह यादव के खिलाफ चल रहे गेस्ट हाउस केस लिया वापस
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लखनऊ। लोकसभा चुनाव खत्म होते ही अखिलेश यादव और मायावती के बीच भले ही सियासी गठबंधन ख़त्म हो गया हो लेकिन इस बीच दो राजनीतिक दुश्मनों में इस कदर नजदीकियां बढ़ीं कि मायावती ने मुलायम सिंह यादव के खिलाफ चल रहे गेस्ट हाउस केस को वापस लेने की अर्जी दे दी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए गेस्ट हाउस केस को दोनों पक्ष की सहमति पर खत्म कर दिया।

पिछले लोकसभा चुनाव के समय बसपा महासचिव सतीश चन्द्र मिश्रा की देखरेख में बसपा एवं सपा के गठबंधन की नींव रखी गयी थी। इसमें सतीश चन्द्र मिश्रा के एक रिश्तेदार अधिवक्ता ने भी भूमिका निभाई। चुनाव के दौरान आपसी सहमति से सीटों का बंटवारा हुआ और दोनों दलों ने एक-दूसरे की सीटों पर जाकर चुनाव प्रचार भी किया। मायावती अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी मुलायम सिंह की मैनपुरी सीट पर चुनाव प्रचार करने गईं और लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाउस कांड के बाद पहली बार दोनों नेता एक साथ मंच पर नजर आये। लोकसभा चुनाव में बसपा को 10 सीटें और सपा को पांच सीटें मिलने के बाद गठबंधन टूट गया और दोनों पार्टियां अलग-अलग राजनीतिक मुद्दों पर चलने को आजाद हो गईं। इसके बाद प्रदेश की 11 सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव सपा और बसपा ने अलग-अलग लड़े। इसमें सपा को तीन सीटें मिलीं लेकिन बसपा खाता भी नहीं खोल सकी। यह अलग बात है कि दोनों दल लोकसभा चुनाव खत्म होते ही अलग हो गए लेकिन इसी बीच दोनों दलों के बीच बढ़ीं नजदीकियों ने एक-दूसरे के खिलाफ सियासी दुश्मनी भूल जाने की नींव डाल दी।

इसी का नतीजा रहा कि सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ चल रहे गेस्ट हाउस केस को समाप्त करने के लिए समाजवादी पार्टी की तरफ से पेशकश की गयी। इसी के बाद 26 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों एनवी रमना, इंद्रा बनर्जी एवं हेमंत गुप्ता की पीठ के समक्ष मायावती के अधिवक्ताओं ने 24 वर्ष पुराने गेस्ट हाउस केस को वापस लेने की अर्जी लगा दी। हालांकि बसपा का लोकसभा चुनाव के बाद सपा से गठबंधन टूट गया और दोनों पार्टियां अलग-अलग राजनीतिक मुद्दों पर चलने को आजाद हो गईं लेकिन इस बीच गेस्ट हाउस केस खत्म करने की अर्जी काम कर चुकी थी।

दो जून 1995 को हुआ था स्टेट गेस्ट हाउस कांड

मुलायम सिंह यादव ने 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया था। 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में सपा-बसपा का गठबंधन हुआ। उस समय बसपा की कमान कांशीराम के पास थी। इस चुनाव में सपा 256 और बसपा 164 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ी। सपा को 109, बसपा को 67 सीटें मिलीं। इस बीच 1995 में सपा-बसपा के रिश्ते खराब हो गए। 1993 में मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री बनने के बाद बसपा और भाजपा के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी थीं। इसलिए सपा को अंदेशा था कि बसपा कभी भी सरकार से समर्थन वापस ले सकती है। ऐसे में 2 जून 1995 को मायावती जब अपने विधायकों के साथ स्टेट गेस्ट हाउस में बैठक कर रही तो इसकी जानकारी जब सपा के लोगों को हुई तो उसके कई समर्थक वहां पहुंच गए। सपा समर्थकों ने वहां जमकर हंगामा किया। बसपा विधायकों से मारपीट तक की गई। मायावती ने इस पूरे ड्रामे को अपनी हत्या की साजिश बताया और मुलायम सरकार से समर्थन वापस ले लिया। भाजपा ने बसपा को समर्थन देने का पत्र राज्यपाल को सौंप दिया। अगले ही दिन मायावती राज्य की पहली दलित मुख्यमंत्री बन गईं। इसी समय 2 जून 1995 को गेस्ट हाउस कांड के बाद गठबंधन टूट गया।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में दो जून 1995 का दिन स्टेट गेस्ट हाउस कांड के रूप में याद किया जाता है। मायावती पर हमले के विरोध में मुलायम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव, सपा के वरिष्ठ नेता धनीराम वर्मा, मोहम्मद आजम खां, बेनी प्रसाद वर्मा समेत कई नेताओं के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में तीन मुकदमे दर्ज किए गए थे।

Updated : 8 Nov 2019 10:01 AM GMT
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स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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