Home > राज्य > उत्तरप्रदेश > लखनऊ > इलाहाबाद और फैजाबाद के बाद बस्ती जिले का नाम बदलकर हो सकता है वशिष्ठ नगर

इलाहाबाद और फैजाबाद के बाद बस्ती जिले का नाम बदलकर हो सकता है वशिष्ठ नगर

इलाहाबाद और फैजाबाद के बाद बस्ती जिले का नाम बदलकर हो सकता है वशिष्ठ नगर
X

लखनऊ। उत्तर-प्रदेश में एक बार फिर से शहरों को नाम बदलने को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है। इलाहाबाद और फैजाबाद जिलों का नाम बदल चुकी उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अब बस्ती जिले का नाम बदल कर वशिष्ठ नगर या विशिष्ठी रख सकती है। प्रयागराज में चल रहे माघ मेले में साधु-संत की मांग है कि उत्तर प्रदेश सरकार उन सभी शहरों के नाम बदले, जिनके नाम मुस्लिम मालूम पड़ते हैं। उधर, बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि उनकी पार्टी की सरकार आने पर उत्तर प्रदेश के भदोही जिले का नाम फिर से बदलकर संत रविदासनगर रखा जाएगा।

बस्ती का नाम बदलने को लेकर जिला प्रशासन ने एक प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा है। इससे पहले इलाहाबाद का नाम प्रयागराज और फैजाबाद जिले को अयोध्या के तौर पर मान्यता मिली थी। करीब एक वर्ष पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बस्ती मेडिकल कालेज का नाम बदलकर महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज कर दिया था। उस समय जिले का नाम बदल कर वैदिक ऋषि के नाम पर किये जाने की मांग उठी थी। एजेंसी को आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस सिलसिले में एक प्रस्ताव राजस्व बोर्ड को दो महीने पहले भेजा गया था जिसके बारे में बस्ती जिला प्रशासन से कुछ बिन्दुओं पर स्पष्टीकरण मांगा गया था। इस बारे में जिला प्रशासन ने शनिवार को अपने सुझाव सरकार को भेज दिये हैं।

उन्होंने बताया कि नाम परिवर्तन की प्रक्रिया में करीब एक करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद हरीश द्विवेदी और विधायक अजय कुमार सिंह इस बारे में पहले ही मुख्यमंत्री को पत्र भेज चुके है। वैदिक ऋषि वशिष्ठ का जिक्र कई हिन्दू धर्मग्रंथो में किया गया है। माना जाता है कि बस्ती का पुरातन नाम वशिष्ठी था जिसे कालांतर में बस्ती के नाम से जाना गया।

अखिल भारतीय दंडी स्वामी परिषद के स्वामी महेशाश्रम महाराज ने कहा, "प्रयागराज को इलाहाबाद बना दिया गया और योगी आदित्यनाथ ने इसे वापस प्रयागराज में बदल दिया है। इसी तरह, अन्य शहरों को उनके मूल हिंदू नामों को वापस दिया जाना चाहिए, हमारे पास एक ऐसी सरकार है, जो हिंदुओं द्वारा संचालित है और हिंदुओं की है।" इसी संप्रदाय के स्वामी ब्रह्माश्रम महाराज ने कहा कि विभिन्न कालावधि में आक्रमणकारियों ने अपनी धार्मिक प्राथमिकताओं के अनुसार शहरों और स्थानों के नाम बदल दिए थे। उन्होंने कहा, "चाहे वे मुगल हो या ब्रिटिश शासक, दोनों ने नाम बदले, लेकिन अब योगी आदित्यनाथ को चाहिए कि वे नाम बदलकर स्थानों को उनके मूल नाम दें।" इस बीच, सूत्रों ने एंजेसी को बताया कि संत चाहते हैं कि आजमगढ़, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, शाहजहांपुर, फतेहपुर, बुलंदशहर और आगरा जैसे शहरों के नाम बदल दिए जाएं।

संत शिरोमणि रविदास की जयंती के बहाने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) पर परोक्ष रूप से जातिवादी राजनीति करने का आरोप लगाते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी की सरकार आने पर उत्तर प्रदेश के भदोही जिले का नाम फिर से बदलकर संत रविदासनगर रखा जाएगा। मायावती ने कहा कि महान संतगुरु रविदास का 'मन चंगा तो कठौती में गंगा' का मानवतावादी संदेश धर्म को तुच्छ राजनीतिक स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि सामाजिक सेवा और जनचेतना के लिए प्रयोग करने का था जिसे वर्तमान में ख़ासकर शासक वर्ग ने भुला दिया गया है और यही कारण है कि देश विभिन्न समस्याओं से ग्रस्त है। संत रविदास ने अपना सारा जीवन इन्सानियत का संदेश देने में गुज़ारा और जाति भेद के ख़िलाफ आजीवन कड़ा संघर्ष करते रहे।

Updated : 11 Feb 2020 1:54 PM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top