स्पेक्ट्रोग्राफी बताएगी ताज के रंग बदलने का कारण
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सुप्रीम कोर्ट में पेश की जाएगी रिपोर्ट
आगरा। ताजमहल पर प्रदूषण के कारण संगमरमर के रंग में क्या बदलाव आया, इसका पता स्पेक्ट्रोग्राफी से चलेगा। संस्कृति मंत्रालय ने स्पेक्ट्रोग्राफी कराने की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण साइंस ब्रांच को दी है। इसी महीने से यह स्टडी शुरू हो जाएगी।
चार साल से ताजमहल के मडपैक ट्रीटमेंट के दौरान एएसआई ने ही कई पत्थरों को इस स्टडी के लिए छोड़ा था, जिससे ताज के वास्तविक रंग और उस पर प्रदूषण के असर का ब्योरा तैयार किया जा सके। संगमरमर से तामीर किए गए ताजमहल की सतह पर प्रदूषण के कारण रंग में बदलाव दिखने लगा था। एएसआई साइंस ब्रांच ने अधीक्षण पुरातत्व रसायनविद डा. एमके भटनागर के नेतृत्व में मडपैक ट्रीटमेंट शुरू किया। पहली बार मीनारों और छोटे चारों गुंबद की सफाई की गई। मडपैक ट्रीटमेंट दरअसल, मुल्तानी मिट्टी का लेप है, जिसे लगाने के बाद इसे पानी से धोते हैं। जिस तरह चेहरे पर मुल्तानी मिट्टी से निखार आता है, ठीक वही पैटर्न ताजमहल पर अपनाया गया। रसायनों को इस ट्रीटमेंट से अलग रखा गया है। ताजमहल के संगमरमर का वास्तविक रंग जानने के साथ स्पेक्ट्रोग्राफी से इसका पूरा रिकॉर्ड रखा जाएगा, ताकि ताज के रंग बदलने की जानकारी विभाग के पास बनी रहे। स्पेक्ट्रोग्राफी की यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की जाएगी। बता दें कि बीते साल एमसी मेहता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई को फटकार लगाई थी, जिसके बाद संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने स्पेक्ट्रोग्राफी के लिए इंटरनेशनल एजेंसी के चयन के निर्देश दिए थे, पर बाद में केंद्र सरकार ने यह स्टडी एएसआई साइंस ब्रांच से कराने को कहा है।
Naveen Savita
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