... ये देश में हो क्या रहा है ?
जेएनयू हिंसा पर भानू भारद्वाज का क्रिटिक्स
X
फ़लां जगह पर प्रोटेस्ट हो रहा था उनका राइट है होना चाहिए , जब दन्गाई माहोल हुआ, तो उन्होंने कहा, बाहर के लोग थे । मान लिया ।
फ़िर कहीं आफा तफ़री मच गई, अचानक से वहां कोई आया शीशे तोड़ें गये, मार पिटाई हुई
तो ये बात साफ कर दि गई की ये इन लोगो ने किया है ।
हर जगह लिखा हुआ है, ये देश में हो क्या रहा है ।
वही तो हम जानना चाह रहे है की हो क्या रहा है ।
ये कौन है बार बार तय करने वाले की ये किसने किया है?
स्क्रीन शॉट शेयर तो दोनो तरफ के हो रहें है;
पिटाई की तस्वीर दोनो जगह से सामने आ रही है ;
एक दम से एसा क्या होता है , की सिर्फ़ एक जगह की साइड की स्टोरी को फूटेज मिलती है ।
फ़िर सवाल करते हो? हो क्या रहा है।
अरे वही तो पुछ रहें है ? हो क्या रहा है ।
कितना पागल बनाओगे?
कौनसी क्रांति करनी है सब कुछ खत्म करके ।
सीधा सीधा लिखो ना ; स्टूडेंट्स पॉलिटिक्स का मामला है ।
एक साइड के लोगो का नाम लिखते हो, दुसरे को स्टूडेंट बोलते हो?
हमसे क्या चाहतें हो? एक आम इंसान से क्या चाहते हो?
उसपर क्यूं गरिया रहे हो भाई?
ये कहाँ लिखा है की जो तुम कह रहे हो वो सत्य है?
तुम ज्यादा स्मार्ट हो? हम ही बेवकूफ है? तुम में सबसे ज्यादा इंसानियत है और हममें नहीं है?
एक ही वर्ग कैसे बार बार हर बार ठीक होता है? वो इतने बेहतरीन इंसान कैसे है ?
और एक ही वर्ग इतना नीच कैसे हो सकता है , चलो हो सकता है । होगा भी ।
लेकिन तुम एक दम एक दम बिल्कुल सही हो? एक दम सही?
मतलब तुम्हे हर बार भर भर के सारी फूटेज चाहिए ?
और किसी को कतई भी बैनिफिट औफ डाउट नही?
अरे सीधा लिखो ना ; खुलकर आओ सामने ,
अपनी आइडीलॉजिकल फाइट को सीधा सीधा बोलो ना ;सब सीधा सीधा लिखो ।
नॉर्मल इंसान को क्यूं घसीट रहे हो?
हो क्या रहा है भाई देश में? हमसे पूछना बन्द करो क्योंकि हम नही कर रहे ।
Swadesh Digital
स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in