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विश्व भी करता है हमारे पूर्वज गौरव का गुणगान, लंदन में बच्चों को सुनाई जाती है राम- सीता की कहानी

स्कूल से मिले होमवर्क में चित्र बनाकर भगवान् राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान और रावण के बारे में पूछा गया

विश्व भी करता है हमारे पूर्वज गौरव का गुणगान, लंदन में बच्चों को सुनाई जाती है राम- सीता की कहानी
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स्वदेश वेब विशेष। हमारे देश में भले ही लोग हमारे पूर्वज गौरव को भूलते जा रहे हो लेकिन विश्व में कई देश ऐसे हैं जो आज भी इसका सम्मान करते हैं। दशहरे के अवसर पर यूके लंदन के स्कूलों में बच्चों को दशहरे का महत्व बताया गया, राम रावण युद्ध की जानकारी दी गई और होमवर्क में भी बच्चों को स्टोरी लिखकर लाने के लिए कहा गया।

हमारे देश में आज अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई कराने वाले स्कूलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है । शिक्षा का माध्यम कोई भी हो उससे फर्क नहीं पड़ता, फर्क पड़ता है ऐसे स्कूलों में बच्चों को सिखाया क्या जा रहा है। देश प्रदेश के स्कूलों पर नजर डालेंगे तो पायेंगे कि ऐसे स्कूलों का प्रतिशत बहुत कम मिलेगा जहाँ हमारी संस्कृति, हमारे धर्म, हमारे पूर्वज गौरव की शिक्षा दी जा रही हो लेकिन दूसरी तरफ विश्व में कई देश ऐसे है जहाँ हमारे आदर्श प्रभु श्री राम, सीता, लक्ष्मण और रावण के बारे में बताया जाता है।

सबसे बड़ी बात ये है कि जिस देश ने हमारे देश पर राज किया आज वही देश कई वर्षों बाद भी हमारे आदर्शों और गौरवशाली भारतीय संस्कृति की गाथा को अपने स्कूल के बच्चों को सुना रहा है। जानकारी के अनुसार यूके के स्कूलों में बच्चों को टीचर ने दशहरे के अवसर पर उन्हीं की मात्रभाषा अंग्रेजी में राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान और रावण के चरित्र के बारे में बताया और बच्चों को जो होमवर्क दिया उसमें इनकी स्टोरी लिखने के लिए दी। स्कूल ने बच्चों को प्रिंटेड पेपर पर होमवर्क दिया गया जिसमें राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान और रावण के बारे में लिखकर लाने के लिए दिया। यानि यूके के बच्चों को भी मालूम होना चाहिए कि जिन मर्यादा पुरषोत्तम राम और सीता को भारत में पूजा जाता है उनमें क्या अच्छा था और दशहरे पर जिस रावण को जलाया जाता है उसमें क्या बुरा था। लक्ष्मण ने कैसे अपने बड़े भाई श्री राम के लिए सबकुछ त्याग दिया था और हनुमान ने कैसे अपनी वानर सेना की सहायता से रावण के साथ युद्ध में श्रीराम को विजय दिलवाई थी और सीता माँ को रावण की कैद से मुक्त कराया था।

कुल मिलाकर ये हमारे लिए प्रसन्नता के साथ साथ सोचनीय विषय भी है कि हम अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं या हम अगली पीढ़ी के लिए संस्कृति के संवाहक नहीं बन पा रहे हैं और पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे हैं, जबकि पश्चिम के देश हमारी संस्कृति का ज्ञान उनके यहाँ की नई पीढ़ी को देकर हमारे पूर्वज गौरव का गुणगान कर रहे हैं।

Updated : 20 Oct 2018 6:29 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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