ग्वालियर के सितारे प्रशांत चव्हाण की चमक
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ग्वालियर मेले में हाल ही में अप्सरा आली का मंचन हुआ। परंपरागत महाराष्ट्रियन लावणी नृत्य की यह अद्भुत श्रृंखला ग्वालियर के युवा कलाकार प्रशांत चव्हाण की परिकल्पना थी। प्रशांत इस नाट्य रचना के निर्देशक रहे। उन्होंने अप्सरा आली में ग्वालियर की नृत्य में पारंगत युवतियों को भरपूर मंच दिया। लावणी नृत्य पर ग्वालियर की बेटियों का नृत्य देखना हर किसी के लिए शानदार रहा। प्रशांत चव्हाण का ग्वालियर व्यापार मेले में यह दूसरा आयोजन था। इससे पहले अप्सरा आली का मंचन नाट्य मंदिर दाल बाजार में करके वे लावणी का लावण्य शहर को दिखा चुके थे। इस कार्यक्रम में एनएसडी नई दिल्ली की कलाकार सोनल को अप्सरा सम्मान से विभूषित किया था। सोनल ने अप्सरा आली में निर्देशक प्रशांत चव्हाण के साथ लावणी पर खूब पैर थिरकाए। अपने शहर में इस विविधता और संस्कृति से सराबोर कार्यक्रम की परिकल्पना रखने वाले प्रशांत चव्हाण अनेक युवाओं के नृत्य गुरु हैं। ग्वालियर की हर दूसरी डांस एकेडमी में उनसे सीखे युवा ही प्रशिक्षक हैं। वे कई सालों से युवाओं को नृत्य का प्रशिक्षण दे रहे हैं। उनसे सीखे छात्र आज कई नृत्य समारोहों में सराहे जाते हैं। प्रशांत इससे पहले जाणता राजा महानाट्य के नृत्य निर्देशक एवं कलाकार के रुप में अपनी राष्ट्रीय पहचान बना चुके हैं। शिवाजी के राष्ट्रवाद को रेखांकित करते बाबा साहेब पुरंदरे के लिखे इस महानाट्य में वे देश के कई शहरों में अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं। जाणता राजा में उनके सिखाए हुए कई कलाकारों को भी आगे मौका मिला। जाणता राजा के साथ ही इन दिनों उनका लोकप्रिय नाट्य मंचन वीर बुन्देला हरदौल भरपूर प्रशंसा पा रहा है। बुन्देलखंड में देवर भाभी के पवित्र स्नेह और ममत्व को गुंजायमान करती इस कथा को प्रशांत चव्हाण ने अब तक 53 बार मंच पर साकार किया है। वे कहते हैं कि वीर बुन्देला हरदौल का यह किरदार भारतीय संस्कृति जीवन मूल्य और आपसी त्याग बलिदान का प्रतीक है।
प्रशांत चव्हाण इन दिनों मध्यप्रदेश के कलाकारों को एक मंच पर लाने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। उन्होंने इसके लिए मध्यप्रदेश फिल्म एशोसियेशन का गठन किया है। ऐशोसियेएशन मुंबई में स्थापित मध्यप्रदेश के कलाकारों एवं मध्यप्रदेश के नवोदित कलाकारों के बीच एक सेतु का काम करेगी। प्रशां चव्हाण कहते हैं कि नामी निर्देशक सतीश कौशिक मध्यप्रदेश में एक फिल्म का निर्माण कर रहे हैं। हम प्रयासरत हैं कि इस फिल्म के जरिए हम मध्यप्रदेश के कलाकारों को अधिक से अधिक मौके दिला सकें। प्रादेशिक कलाकारों को सरकारी प्रोत्साहन पर प्रशांत कहते हैं हम मध्यप्रदेश सरकार को अपने इस उद्देश्य में सहभागी बनाना चाहते हैं। मध्यपद्रेश सरकार फिल्म निर्माण के लिए निर्माता निर्देशकों को सुविधा व प्रोत्साहन दे तो हमारे प्रदेश की प्रतिभाओं को वाकई में काम का बेहतर मौका मिल सकेगा।
काम बोलता है
नाट्य निर्देशक एवं कलाकार प्रशांत चव्हाण ने 16 साल से बतौर कोरियाग्राफर काम करना शुरु कर दिया था। वे डांस में मास्टर थे सो किशोर और युवाओं के साथ जीवाजी विश्वविद्यालय के युवा उत्सव के प्रतिभागी तक उनसे सीखने आते थे। उन्होंने डॉ. कमल वशिष्ठ सहित नामी नाट्य निर्देशक के साथ कई नाटक किए हैं। महावीर की कथा, नेमीनाथ, वीर बुन्देला हरदौल सहित कई नाटकों का निर्देशन करते हुए उन्होंने जाणता राजा में नृत्य निर्देशन करते हुए लंदन तक प्रस्तुति दी। जाणता राजा में उनके कई किरदार थे। प्रशांत ग्वालिवुड के शोले व शीतला माता पर केन्द्रित भक्ति की शक्ति, स्वच्छ भारत आदि कई फिल्में बना चुके हैं।
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