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मप्र कांग्रेस पर अहमद पटेल की वक्रदृष्टि

मप्र कांग्रेस पर अहमद पटेल की वक्रदृष्टि
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नई दिल्ली/विशेष प्रतिनिधि। मप्र चुनाव परिणाम पर छाई धुंध के बीच सियासी गलियारों में एक चर्चा बहुत तेजी से गर्मा रही है। वह ये कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का 'पावर कट' करने वाले कांग्रेस कोषाध्यक्ष अहमद पटेल को टिकट वितरण के समय कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की तरफ से दिग्विजय सिंह के साथ बढ़ाई गई नजदीकी उन्हें नागवार गुजरी है, इसलिए पटेल मप्र से ज्यादा राजस्थान पर दिलचस्पी लेने लगे। अब यदि लाटरी लगी और कांग्रेस की सरकार बन भी गई तो उसे चलाना आसान नहीं होगा।

वैसे अभी मप्र में कांग्रेस की सरकार बनना दूर की कौड़ी है, लेकिन यदि किसी तरह बन भी गई तो कमलनाथ के लिए सरकार चलाना आसान नहीं रहेगा। कारण, उन्हें पार्टी आलाकमान के साथ अहमद पटेल के इशारों पर भी चलना पड़ेगा। यदि वह नहीं चलेंगे तो लम्बी पारी नहीं खेल पाएंगे। इसके पीछे की वजह दिग्विजय सिंह हैं। मप्र में सरकार बनने के बाद पर्दे के पीछे से दिग्विजय सिंह का खेल शुरू होना स्वाभाविक है। स्वाभाविक रूप से दिग्विजय सिंह ऐसी बिसात बिछाएंगे, जिससे राज्य में उनका विस्तार फिर से हो सके। इसी उदेश्य से उन्होंने कमलनाथ के साथ नजदीकी भी बढ़ा ली और कमलनाथ के अध्यक्ष बनने पर राज्य में पहला संदेश यही दिया कि कमलनाथ उनकी सहमति से अध्यक्ष बने हैं। टिकट वितरण में भी उन्होंने खेल जमाने का प्रयास किया था, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की आपत्ति ने उनका खेल बिगाड़ दिया। सूत्र बताते हैं कि चुनाव समिति की बैठक में दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच हुए विवाद की जांच के लिए जो कमेटी बनी है, वह अहमद पटेल द्वारा बनाई गई है। उस कमेटी के सभी सदस्य पटेल गुट के हैं। इस कमेटी की तरफ से अभी कोई पहल इसलिए नहीं की गई क्योंकि पटेल इस कमेटी का उपयोग सही समय पर करना चाहते हैं।

चर्चा ये है कि मप्र की भौगोलिक स्थिति, जातिगत- राजनीतिक समीकरण से अनजान कमलनाथ द्वारा प्रत्याशी चयन में दिग्विजय सिंह का सहयोग लेने का प्रयास किया गया था। यह भनक अहमद पटेल को लग गई थी। हालांकि उनकी तरफ से कोई बंदिश नहीं लगाई गई, लेकिन उन्हें इस बात का अहसास हो गया कि हाशिये में पड़े दिग्विजय सिंह अंदर ही अंदर खेल जमा रहे हैं। कहा जाता है कि अहमद पटेल को कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच बढ़ी नजदीकी नागवार गुजरी और इसीलिए वह मप्र चुनाव की बजाय अपना ध्यान राजस्थान की तरफ केन्द्रित कर दिए। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बने यह उनकी प्राथमिकता है, क्योंकि उनका लक्ष्य अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाना है। इसीलिए धीरे से उन्होंने गहलोत के चुनाव लड़ने का रास्ता बनाकर सचिन पायलट और सी.पी. जोशी की राह पर बाधा तैयार कर दिया। हालांकि चुनाव नतीजे क्या होंगे। किसकी सरकार बनेगी, इस पर धुंध छाया हुआ है। परन्तु अहमद पटेल मप्र, राजस्थान में अपना मोहरा फिट करने के प्रयास में जुट गए हैं। ऐसे में लग रहा है कि मप्र में यदि कांग्रेस की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री को एक नहीं दो आलाकमान के इशारों पर चलना पड़ेगा। साथ ही दिग्विजय सिंह से दोस्ती करने से दिल्ली गुस्साएगी और दूरी बढ़ाने पर दिग्विजय सिंह समर्थकों द्वारा पैदा की जाने वाली परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

Updated : 1 Dec 2018 2:47 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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