Home > स्वदेश विशेष > क्या हॉकी-फुटबॉल जैसा होगा कब्ड्डी का हाल!

क्या हॉकी-फुटबॉल जैसा होगा कब्ड्डी का हाल!

क्या हॉकी-फुटबॉल जैसा होगा कब्ड्डी का हाल!
X

-सचिन श्रीवास्तव

जब मैदान में दो पहलवान आमने-सामने होते है तो एक की जीत पक्की है और दूसरे की हार, शायद हम कुछ खेलों की हार को बर्दाशत नहीं कर पाते हैं। ऐसे खेल जिनसे हमें पहचान मिली हो या यू कहें कि जिस खेल से दुनिया में हमारी पहचान बनी हुई है।

भारतीय खेल इतिहास में भारत के लोग अगर हॉकी में शानदार प्रदर्शन की दुहाई देते हैं तो कबड्डी में भी वह अपनी मूंछों को तांव दे सकते थे लेकिन एशियन खेल २०१८ में ना केवल पुरुष टीम की बादशाहत खत्म हुई बल्कि महिला टीम का भी वर्चस्व खत्म हो गया। दोनों ही टीमों से स्वर्ण पदक की उम्मीद थी लेकिन पुरुष टीम को कांस्य तो महिला टीम को रजत पदक से संतोष करना पड़ा। सही मामले में इन पदकों की कोई अहमियत नहीं है क्योंकि कबड्डी में भारत का जो एक छत्र राज था उससे स्वर्ण से कम की उम्मीद नहीं की जा सकती थी।

1990 में कबड्डी पहली बार एशियन खेल में शामिल हुआ तब से हर बार भारत ने सोना ही जीता था। सही कहे तो इरान से मिली हार ने ना केवल प्रशंसकों को बल्कि हर उस व्यक्ति को हिला दिया जो कबड्डी में अपनी टीम के प्रदर्शन से इतराता था। अब खेल में हार-जीत तो चलती रहती है लेकिन इस बात पर सभी को सोचना होगा कि कहीं कबड्डी टीम का हाल भी हॉकी-फुटबॉल जैसा ना हो जाए। हॉकी में 30 साल पहले हम कहां थे और अब कहां है ये सभी को पता है।

वहीं फुटबॉल में एक समय था जब भारत की टीम ने फुटबॉल विश्वकप में शिरकत की थी, और अब स्थिति ये है कि टीम के कप्तान को हाथ जोड़कर दर्शकों से मैच देखने की अपील करनी पड़ रही है। हम उम्मीद करते है कबड्डी में ऐसा ना हो लेकिन इसके लिए खिलाड़ी, कोच और कबड्डी फेडरेशन से जुड़े लोगों को भी सोचना होगा। चिंतन करना होगा कि आखिर क्या हुआ जिसकी वजह से दोनों ही टीमों को हार का स्वाद चखना पड़ा, वो भी इरान से।

कहीं प्रो कब्ड्डी लीग से तो नहीं हो रहा नुकसान

आईपीएल क्रिकेट की तर्ज पर भारत में प्रो कब्ड्डी की शुरुआत की गई इससे घरेलू कबड्डी की स्थिति सुधर सकती थी। इस लीग ने ही दर्शकों में कबड्डी के प्रति एक नई जान फूंक दी, वहीं खिलाडिय़ों पर भी पैसे की बारिश होने लगी। अब सवाल ये है कि इस लीग में इतना खेलने के बाद भी भारतीय टीम ऐसा प्रदर्शन कैसे कर सकती है। क्या लीग में एक दूसरे के खिलाफ खेलने वाले खिलाड़ी एकजुट नहीं हो पाए। कब्ड्डी एक टीम गेम है और जिस तरह भारतीय टीम के कोच राम मेहर ने हार का ठीकरा एक मात्र अजय ठाकुर पर फोडऩे की कोशिश की है उससे लगता है कि कोच अपनी नाकामी को छुपाने का प्रयास कर रहें हैं। वहीं इरान के कई खिलाड़ी भी प्रो कबड्डी लीग में खेलते हैं तो क्या इससे भारत को नुकसान हुआ।

Updated : 25 Aug 2018 9:28 PM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top