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क्या गुजरात में टूटने लगा हार्दिक पटेल का तिलिस्म ?

क्या गुजरात में टूटने लगा हार्दिक पटेल का तिलिस्म ?
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गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल इन दिनों काफी निराश हैं। पाटीदार आरक्षण आंदोलन का चेहरा बनकर गुजरात के राजनीतिक पटल पर काफी तेजी से उभरे हार्दिक पटेल आज पहचान के मोहताज नहीं हैं। लेकिन अपनी मांगों को लेकर 19 दिन तक अनशन करने के बाद उनको जिस तरह से अपना अनशन खत्म करने के लिए विवश होना पड़ा उससे एक बात साफ हो गयी कि पाटीदारों से उनकी पकड़ छूट चुकी है। जिस तेजी से हार्दिक पटेल गुजरात की राजनीति में छाये थे, उसी तेजी से उनका तिलस्म भी अब टूटता जा रहा है।

हार्दिक पटेल 25 अगस्त से ही आमरण अनशन पर बैठे थे। पाटीदारों को सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण देने की अपनी पुरानी मांग के साथ ही इस बार वे किसानों की कर्ज माफी की मांग भी कर रहे थे। आरक्षण और किसानों की कर्ज माफी के ये दोनों ही मुद्दे काफी लोकप्रिय मुद्दे हैं। आजकल अमूमन हर पक्ष किसानों की कर्ज माफी की मांग करके अपना राजनीतिक हित साधने की कोशिश करता रहता है। उसी तरह पाटीदारों को आरक्षण देने की मांग को लेकर गुजरात का पाटीदार समाज पिछले तीन सालों से हार्दिक पटेल का जमकर समर्थन कर रहा है। पिछले साल तक आलम ये था कि हार्दिक पटेल की एक आवाज पर हजारों की संख्या में पटेल युवक इकट्ठा हो जाया करते थे।

गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव तक निश्चित रूप से हार्दिक पटेल ने काफी हद तक अपना जलवा बनाये भी रखा था। चुनावी राजनीति की वजह से कांग्रेस ने भी उनको लगातार हाथों हाथ लिया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तब उन्हें पटेल समाज और किसानों के लिए काम करने वाला अपना युवा क्रांतिकारी साथी बताया था। लेकिन इधर चुनाव खत्म हुआ और बीजेपी की सरकार बनी, उधर राहुल गांधी ने भी हार्दिक पटेल से अपना मुंह मोड़ लिया। आधिकारिक तौर पर अभी भी कांग्रेस हार्दिक पटेल का समर्थन करती है, लेकिन सच्चाई यही है कि विधानसभा चुनाव के बाद हार्दिक पटेल की पूछ पूरी तरह से घट गयी। यही कारण है कि जब हार्दिक पटेल अनशन पर बैठे तो काग्रेस के कुछ नेता जरूर वहां पहुंचे, लेकिन कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का जमावड़ा वहां कभी नहीं लग सका। खुद उनके पाटीदार आंदोलन से जुड़े नेता भी उनसे दूरी बनाए रहे।

हार्दिक के कुछ शुभचिंतक अन्ना हजारे के पास भी गये और उनसे भारत सरकार तथा गुजरात सरकार के नाम एक अपील भी जारी करवाई, जिसमें अन्ना हजारे ने सरकार के आला मंत्रियों से हार्दिक पटेल से मिलकर उनका अनशन तोड़ने के लिए उन्हें मनाने का आग्रह किया था। लेकिन भारत सरकार तो दूर, गुजरात सरकार के मंत्रियों ने भी उनको मनाना ठीक नहीं समझा। अंत में जब सरकार ने उनकी नहीं मांगी और अनशन जारी रखना उन्हें असंभव लगने लगा, तो उन्होंने यह कहते हुए अनशन किया खत्म किया कि 'मैं समुदाय के बड़ों के सम्मान में अनशन खत्म कर रहा हूं। जब वे मेरे साथ हैं, तो मुझे किसी बात की चिंता नहीं है। मैं 19 दिन के उपवास के बाद रिचार्ज हो गया हूं और अगर जरूरत पड़ी तो अगले 19 साल तक लड़ना जारी रखूंगा।'

हार्दिक पटेल का गुजरात में असर कितना कम हो गया है, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि अनशन स्थल पर उनके मुट्ठी भर समर्थकों के अलावा पाटीदार आंदोलन के बड़े नेताओं में सीके पटेल और नरेश पटेल ही मौजूद थे। इसके अलावा लालजी पटेल, अतुल पटेल, दिनेश बंभानिया या दिलीप साबवा जैसे पाटीदार आरक्षण आंदोलन से जुड़े बड़े नेता वहां एक बार भी नहीं फटके। हार्दिक के अनशन के दौरान कांग्रेस, एनसीपी और एएपी के कुछ नेताओं ने जरूर उनसे मुलाकात की, बीजेपी से नाराज चल रहे यशवंत सिन्हा भी उनसे मिलने गये, लेकिन पाटीदार समाज ने उनसे दूरी बनाए रखी।

दरअसल पाटीदार समाज को गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद से ही इस बात का अहसास हो गया है कि हार्दिक पटेल कांग्रेस के राजनीतिक मोहरे से ज्यादा और कुछ नहीं हैं। उनके खिलाफ माहौल तो महाक्रांति रैली के दौरान आरक्षण आंदोलन के नायक के रूप में आगे बढ़ने की कोशिश करने के बाद से ही बनने लगा था। उस समय पाटीदार आरक्षण आंदोलन की अगुवाई लालजी पटेल के हाथ में थी, लेकिन धीरे-धीरे हार्दिक पटेल ने इस आंदोलन की कमान अपने हाथ में ले ली। पाटीदारों के इसी समर्थन के बल पर गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान हार्दिक पटेल ने राहुल गांधी के साथ भी हाथ मिला लिया। हालांकि आरक्षण आंदोलन चला रही पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पीएएएस) ने कांग्रेस से दूरी बनाए रखने का फैसला किया था।

विधानसभा चुनाव के पहले ही अहमदाबाद के एक होटल में राहुल गांधी से मुलाकात के बाद भारी-भरकम ब्रिफकेस लेकर बाहर निकलते हार्दिक पटेल का एक वीडियो भी वायरल हो गया। उस समय आरोप लगाया गया कि कांग्रेस ने हार्दिक पटेल को समर्थन देने के एवज में भारी राशि दी है। गुजरात चुनाव के ठीक पहले उनकी सेक्स सीडी ने भी उनकी लोकप्रियता पर काफी असर डाला। हार्दिक पटेल ने इस सीडी के बारे में साहस दिखाते हुए कह दिया कि उनसे भी कुछ गलतियां हुई हैं। इससे पाटीदार समाज में यही संदेश गया की हार्दिक पटेल की सीडी सच्ची है। राहुल गांधी से पैसा लेने की बात और सेक्स सीडी की बदनामी की वजह से पाटीदार अनामत आंदोलन समिति ने हार्दिक पटेल से अपनी दूरी बना ली।

सबसे बड़ी बात तो यह रही कि पाटीदार आंदोलन के पहले तक विरंगम में दो कमरे के मकान में रहने वाले हार्दिक पटेल कुछ ही दिनों में अहमदाबाद में आलीशान जिंदगी जीने लगे। उन्होंने न केवल आलीशान घर ले लिया, बल्कि महंगी गाड़ी भी ले ली। उनकी बहन की शादी में भी जमकर रुपये खर्च किये गये। इन सबका संदेश यही गया कि हार्दिक पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नाम पर अपनी कमाई करने में लगे हुए हैं। साफ है कि हार्दिक का असर अब काफी कम रह गया है और उनके अधिकांश समर्थक उनसे दूर जा चुके हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस उनको कितना महत्व देती है और हार्दिक खुद अपनी खोई हुई जमीन किस तरह से दोबारा हासिल करते हैं।

विश्लेषण - पप्पू गोस्वामी

Updated : 19 Sep 2018 3:56 PM GMT
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Swadesh Digital

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