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गांधी जयंती के उपलक्ष्य में कांग्रेस की रामधुन

'शक्ति प्रोजेक्ट' के जरिए होगा पार्टी का प्रचार-प्रसार

गांधी जयंती के उपलक्ष्य में कांग्रेस की रामधुन
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लखनऊ/स्वदेश वेब डेस्क। इक्कीसवीं सदी की राजनीतिक दौड़ में पिछड़ चुकी कांग्रेस अब डूबते समुद्र में टापू की तलाश में है। देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश में ठौर तलाशती कांग्रेस इस समय किंकर्तव्यविमूढ़ है। उसका लक्ष्य स्पष्ट नहीं है। कार्यकर्ताओं के समक्ष न नीति है और न ही निशाना। उन्हें ऊर्जा देने वाला राजनीतिक पटल पर कोई नेतृत्व नहीं है। तभी कांग्रेस कार्यकर्ता बुझे-बुझे नजर आ रहे हैं। कभी बैशाखी का सहारा तो कभी दूसरों के कंधों के आस में वह मझदार में अटकी अपनी नौका को पार कर लेना चाहती है।

19 सितंबर को यहां माल रोड स्थित पार्टी के प्रदेश कार्यालय में बैठक का नजारा बेढ़ंग का था। कार्यकर्ताओं के चेहरों पर चिंता की लकीरें बता रही थीं कि पार्टी के अंदरखाने सब कुछ ठीक नहीं है। 10 सितबंर को दिल्ली में पार्टी के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल और बसपा महासचिव सतीश मिश्रा के बीच बातचीत बैरंग हो जाने के बाद गठबंधन की लकीर आगे नहीं खिंच पाई। आगे की रणनीति साधने पार्टी के प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद लखनऊ पहुंचने वाले थे। जहां 'शक्ति प्रोजेक्टÓ को पंख लगाने का काम होना था। बसपा के साथ बात नहीं बनने पर आजाद का कार्यक्रम रद्द हुआ और मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर को ही संभालना पड़ा। बब्बर के नेतृत्व में तय हुआ कि पार्टी 25 सितबंर से गांधी जयंती (दो अक्टूबर) तक रामधुन गाकर लोगों में अलख जगाएगी। इस बीच 'शक्ति प्रोजेक्टÓ के उन्नयन के लिए कार्यकर्ता प्रचार-प्रसार करते रहेंगे। इस योजना में मतदाताओं को सीधे तौर पर कांग्रेस के प्रचार कार्यक्रमों से जोड़ा जा रहा है। जो सीधे उनको हर कार्यक्रम की जानकारी प्रदान करेंगे। बैठक में बब्बर के अलावा प्रमोद तिवारी, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, जितेंद्र प्रसाद, निर्मल खत्री थे। जिन्हें सुनने प्रदेशभर के जिलाध्यक्ष, महानगर अध्यक्ष व बड़ी संख्या में कार्यकर्ता आए थे।

बब्बर प्रदेश कांग्रेस को ढ़ो रहे हैं। कब तक ढ़ोएंगे, यह भविष्य के गर्त में है। सूत्र बताते है उनकी विदाई तय है और जल्द होनी है। लेकिन, नेतृत्व का संकट बरकरार है। प्रदेश का जर्नादन द्विवेदी का बौद्धिक चेहरा इस समय हासिए पर है। नेतृत्व के सांचे में कौन फिट बैठेगा, कांग्रेस में व्यापक स्तर पर चिंतन चल रहा है।

बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमितशाह की अजेय बढ़त को रोकने के लिए पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को प्रचार-प्रसार के अलावा व्यक्तिगत स्तर भी पर ठोस प्रयास करने होंगे। मोदी सरकार की नाकामियों को लोगों तक पहुंचाने के लिए कमर कसना चाहिए।

Updated : 22 Sep 2018 10:17 AM GMT
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Swadesh Digital

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