शेयर बाजार की तरह उठता गिरता रहा कांग्रेस का ग्राफ...
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नई दिल्ली/प्रमोद पचौरी। छत्तीसगढ विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद नजरें अब आने वाले परिणामों पर टिक गई हैं। छत्तीसगढ़ की सत्ता का तिलिस्म कौन खोलेगा यह तो 11 दिसम्बर को ही पता चलेगा। परन्तु भाजपा को घेरने के लिए एन वक्त पर जिस तरह चुनावी घोषणा पत्र को ढाल बनाया गया वह भी कांग्रेस के लिए जी का जंजाल बन गया। बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ मे कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार टी.एस. सिंहदेव ने चार महीनां की अथक भागदौड़ और करीब एक लाख लोगों से रायशुमारी के बाद जनघोषणा पत्र तैयार किया था। भाजपा कांग्रेस के घोंषणा पत्र के प्रारूप को जानना चाहती थी ताकि उसकी काट निकाली जा सके मगर कांग्रेस ने जमीनी सच्चाई जाने बिना जल्दबाजी में ऐसा घोषणा पत्र निकाला जिसकी काट भाजपा के संकल्प पत्र में भले न हो पर मतदाताओं को रास नहीं आया। दस दिन के भीतर किसानों की कर्ज माफी, भाजपा सरकार व्दारा दो वर्ष के नहीं दिये गये धान के बोनस को देने के वायदे। धान का समर्थन मूल्य 2500 रुपये देने के वायदे ने कृषि प्रधान राज्य के किसानो को भारी राहत की उम्मीद जगाई। छत्तीसगढ़ के किसानों, आदिवासी वर्ग और अन्य समुदायों को बांटने में कामयाब नहीं हो सका। खासकर छत्तीसगढ़ में यह विभाजन ना तो है और ना ही किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ के आदिवासी वर्ग के लिए जल, जंगल और जमीन हमेशा से एक भावनात्मक मुद्दा रहा है, कांग्रेस ने अपने जनघोषणा पत्र मे इस विषय पर जो दृष्टिकोण दिखाया वह भी इस वर्ग को खासा प्रभावित करने मे कामयाब नहीं रहा है।
प्रदेश मे चुनावी दृष्टि से कांग्रेस का लोकप्रियता का ग्राफ शेयर बाजार की तरह ऊपर नीचे होने के पीछे कई कारण देखे गये। भाजपा नीत सरकार के पन्द्रह वर्ष होने के बावजूद रमन सरकार के खिलाफ जमीनी स्तर पर न तो विरोध ही था बल्कि एंटी इनकंबेंसी फेक्टर भी नहीं था। ऐसा भी कहीं नहीं लगा कि जनता बदलाव की जिद पर अड़ी हो। उल्टे प्रदेश के हर मोबाइल से होते हुए देश भर मे वायरल एक यौन कांड से संबंधित वीडियो ने हंगामा मचा दिया। प्रदेश मे मंत्री राजेश मूणत को ब्लैकमेल करने या बदनाम करने के लिहाज से बनाये गये बेहद गन्दे वीडियो को बनवाने या वितरित करने मे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल का नाम आते ही प्रदेश भर मे कांग्रेस की थू-थू हुई उसकी भरपाई भला कैसे हो सकती थी। कांग्रेस ने इस हरकत से अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली। इसके पहले ही भूपेश बघेल के जमानत न लेकर जेल जाने के निर्णय ने कांग्रेस के लिए कोढ मे खाज की स्थिती निर्मित कर दी। इस दोहरी मार से कांग्रेस सम्हल पाती कि फिर एक स्टिंग आपरेशन सामने आ गया।..कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पूनिया को फंसाने के लिए कोई सीडी हासिल करने या बनवाने की कोशिश के इस वार्तालाप के स्टिंग आपरेशन के वीडियो फिर प्रदेश भर के मोबाइल मे वायरल हो रहे थे। प्रदेश भर की जनता को लगा कि आखिर कांग्रेस छत्तीसगढ़ को कैसी सरकार देगी..? इस सरकार का नेतृत्व कैसा होगा..? आखिर ये अपराधिक सोच और अनैतिक आचरण के साथ प्रदेश का कैसे भला होगा..? कांग्रेस के लगातार बार बार उजागर होते इस आचरण ने भाजपा को जबरजस्त मजबूती दे दी.। इस विषम परिस्थिति से वाकिफ पार्टी हाई कमान ने तब जाकर अपनी दूरगामी नीति को अपनाते हुए प्रदेश मे का़ंग्रेस का चेहरा बदला और नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव को चुनाव की कमान सौंपी गई। पिछले चार माह से प्रदेश भर मे दौरा कर जनघोषणा पत्र बनाने मे लगे सिंहदेव तब तक लोगों की पसंद बन चुके थे.। लोगों को उनके जनघोषणा पत्र का कॉन्सेप्ट प्रभावित कर रहा था..ऐसे मे पार्टी हाईकमान कमान का टीएस सिंहदेव को सामने करने का दांव कुछ हद तक डूबती कांग्रेस को तिनके का सहारा मिला।
पूरे चुनाव में लगा ही नहीं कि कांग्रेस किसी खास नतृत्व में चुनाव लड़ रही है। उसके अपने ही एक दूसरे की टांग खिचाई कर रहे थे। निशाने पर छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पुनिया थे और भूपेश बघेल उन पर लगातार निशाना साध रहे थे। देखना है कि 11 दिसंबर को छत्तीसगढ़ की सत्ता का उंट किस करवट बैठता है?
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