छत्तीसगढ़ में सपा तीसरे विकल्प की तैयारी में
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मध्य प्रदेश से अलग छत्तीसगढ़ राज्य का गठन होने के बाद यहां के मतदाताओं ने सामान्य तौर पर दो दलीय व्यवस्था को ही तवज्जो दी है। कांग्रेस और भाजपा ने यहां बारी-बारी से शासन किया है। समाजवादी पार्टी इस बार चुनावी मैदान में है और वह मानकर चल रही है कि मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फेक्टर होने के बावजूद कांग्रेस राज्य के मतदाताओं के बीच पैठ बनाने में बिफल रही है। फिर उसके आदिवासी समुदाय में जनाधार रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का विद्रोह भी कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है। सपा सोच रही है कि ऐसे में राज्य के मतदाता गैर भाजपा और गैर कांग्रेस से इतर तीसरे विकल्प का मन बनाते हैं तो उसका लॉटरी निकल सकती है। तमाम संभावनाओं को देखते हुए समाजवादी पार्टी ने सुदूर छत्तीसगढ़ में पैर जमाने के लिए अपने तेज तर्रार नेता तिलक सिंह यादव को मोर्चे पर लगाया है। पार्टी के छत्तीसगढ़ प्रभारी के रूप में तिलक यादव अपनी पूरी टीम के साथ पिछले दो माह से राज्य में सक्रिय हैं। अपने कामकाज और कार्यकर्ताओं के उत्साह को देख वे संतुष्ट नजर आते हैं और दावा करते हैं कि इस बार विधानसभा चुनाव में पार्टी सम्मानजनक सीटें जीतकर आएगी। उत्तर प्रदेश के ललितपुर से ताकतवर बुंदेला के खिलाफ संसदीय चुनाव लडऩे वाले यादव इस बार झांसी से चुनाव लडऩे का इरादा रखते हैं। रायपुर से लौटते समय ट्रेन में स्वदेश के साथ श्री यादव से हुई बातचीत के प्रमुख अंश -
सवाल : सपा का जनाधार न होते हुए भी आप छत्तीसगढ़ में किस आधार पर चुनाव लड़ रहे हैं?
उत्तर : देखिए, परिवर्तन प्रकृति प्रदत्त नियम है। राजनीति में स्थितियां सदैव एक सी नहीं रहती। लोग बदलाव चाह रहे हैं। हमने वहां जिलेवार दौरे किए। लोगों को जोड़ा। संगठन खड़ा किया। कुछ जिलों में हम मुख्य पार्टियों को जोरदार टक्कर देंगे। जबकि त्रिकोणीय मुकाबले में हम बाजी मारेंगे। आप परिणाम देखिएगा।
सवाल : लेकिन, रमन सिंह के खिलाफ लोगों में गुस्सा तो कहीं नजर नहीं आता। मसलन, उन्होंने राज्य में विकास के कई आयाम स्थापित किए। आप किस एंटी इनकंबेंसी फेक्टर की बात कर रहे हैं?
उत्तर : आप गलत आकलन कर रहे हैं। लोग रमन सिंह के शासन से मुक्ति पाना चाहते हैं। रमन सिंह का कद बड़ा है, इसलिए सत्ता में रहते लोग उनके खिलाफ राय जाहिर नहीं करते। लेकिन अंडर करंट बोल रहा है इस बार सत्ता किसी तीसरे के पक्ष में जाएगी। ऐसी स्थिति में सपा किंग मेकर की भूमिका में आ सकती है।
सवाल : सपा राज्य में कितनी सीटों पर उम्मीदवार उतारने जा रही है, दस, बीस या तीस सीटों पर?
उत्तर : आप दस, बीस या तीस सीटों की बात करते हैं। पार्टी सभी नब्बे सीटों पर उम्म्ीदवार उतारने की रणनीति बना चुकी है। 15 अक्टूबर तक नाम तय कर दिए जाएंगे। फिर आलाकमान जो निर्णय करेगा, अंतिम फैसला ले लिया जाएगा।
सवाल : बसपा की तरह आप भी किसी अन्य पार्टी के साथ तालमेल कर रहे हैं?
उत्तर : नहीं, पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ेगी। हम देख रहे रहे हैं, पिछले चुनाव में जहां हम अच्छी स्थिति में थे। वहां जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश कर रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस के कई नेता हमारे संपर्क में हैं।
सवाल : बसपा का जोगी के साथ तालमेल से सपा की रणनीति में कोई बदलाव लाएंगे, इस नए समीकरण को आप किस तरह देखते हैं?
उत्तर : देखिए, कौन कहां जा रहा है, क्या कर रहा है, किससे तालमेल कर रहा है? सपा इन सब बातों पर विचार नहीं करती। हम लोगों के साथ कदम मिलाकर काम कर रहे हैं। लोगों को लगता है कि हम उनका भरोसा जीतने में कामयाब हो रहे हैं। यही हमारी पूंजी है। हमारा प्रयास है लोगों के बीच जाकर भरोसा जीतना।
सवाल : इस गठबंधन से मिशन - 2019 के लिए बनने वाले महागठबंधन पर प्रभाव तो पड़ेगा ही।
उत्तर : यह गठबंधन कोई अंतिम विकल्प नहीं है। उत्तर प्रदेश में सारे विकल्प खुले हैं। आप विधानसभा चुनाव की तासीर देखिए, आगे भी सब अच्छा ही होगा। हम मिलकर भाजपा को हराएंगे।
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