Home > स्वदेश विशेष > भारत के धैर्य का इम्तिहान ले रहा पाकिस्तान

भारत के धैर्य का इम्तिहान ले रहा पाकिस्तान

‘खालिस मीठा होता है, वह अपना नाश कराता है। मीठे गन्ने को देखो तो कोल्हू में पेरा जाता है।’

भारत के धैर्य का इम्तिहान ले रहा पाकिस्तान
X

- सियाराम पांडेय 'शांत'

पड़ोसी देश पाकिस्तान भारत के धैर्य का बार-बार इम्तिहान ले रहा है, जबकि भारत उसकी हर गलती को माफ कर उसे सुधरने का निरंतर मौका देता रहा है। भगवान श्रीकृष्ण ने शिशुपाल की सौ गलतियां माफ की थीं, लेकिन सौ का आंकड़ा पार करते ही उसका सिर धड़ से अलग कर दिया था। पाकिस्तान तो उससे भी आगे निकल गया है। उसने भारत को आहत करने की, उसकी भावनाओं से खेलने की अनगिनत गलतियां की हैं। पाकिस्तान के गुनाहों का बड़ा इतिहास है। इसके बाद भी पाकिस्तान खुद को दूध का धुला बता रहा है। वह पूरी दुनिया की नजरों में धूल झोंक रहा है। एक ओर तो वह आतंकवाद से निपटने के नाम पर अमेरिका से भारी आर्थिक मदद हासिल करता रहा, वहीं वह अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन जैसे नागों को अपने यहां छिपाए रहा। वह कितने आतंकवादी संगठनों को संरक्षण दे रहा है, इसे पूरी दुनिया जानती है। वहां पल-बढ़ रहे कई आतंकी संगठन तो काली सूची में भी डाले जा चुके हैं।

पाकिस्तान अपने निर्माण के दिन से ही भारत विरोधी हिंसा में लिप्त है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसे समझाने की कोशिश भी की थी कि हिंसा का मार्ग समस्या के समाधान की ओर नहीं जाता। पाकिस्तान को भारत का मुकाबला ही करना है तो वह ज्ञान के क्षेत्र में करे। शिक्षा और व्यापार के क्षेत्र में करे। तकनीकी सुविधाओं के विस्तार क्षेत्र में करे। अपने देश को भारत से आगे ले जाने की दिशा में करे। वह विकास के क्षेत्र में भारत से भी बड़ी रेखा खींचे लेकिन पाकिस्तान की समझ में यह बात नहीं आई। उसने हमेशा जाहिलियती का ही प्रदर्शन किया। खुद तो वह परेशान, बदहाल है ही, भारत को बहाल और परेशान करने का एक भी मौका वह चूकता नहीं है। पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों के काफिले पर आत्मघाती हमला कराकर उसने अपनी बर्बादी के दस्तावेज पर खुद हस्ताक्षर कर दिए हैं। हालांकि पाकिस्तान इस घटना से इनकार कर रहा है और उसी के देश में बैठा आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर पुलवामा में हुए आतंकी हमले की खुलेआम जिम्मेदारी ले रहा है। पाकिस्तान आाखिर किसे मूर्ख बना रहा है? उसे इतना तो समझना चाहिए कि आग से खेलने वाले हाथ सुरक्षित नहीं रहते। आतंकवादियों का समर्थन पाकिस्तान को भी भारी पड़ रहा है।

पुलवामा में हुए हृदय विदारक आत्मघाती हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी कैबिनेट ने पाकिस्तान को 1990 के दशक में दिया गया मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा समाप्त कर दिया है। इससे पाकिस्तान को हजारों करोड़ रुपये का व्यापारिक नुकसान होगा। उसकी आर्थिक कमर तोड़ने में भारत सरकार का यह निर्णय मील के पत्थर की भूमिका अदा करेगा। यह सच है कि इससे भारत को भी नुकसान होगा लेकिन अपने देश में 'सर्वनाशे समुत्पन्ने अर्द्धं त्यजति पंडिताः' का सिद्धांत है। पाकिस्तान को देर सबेर इसे भी समझना होगा कि भारत जब अपने पर आ जाता है तो फिर कुछ भी कर गुजरता है। पृथक बांग्लादेश की लगता है, अब उसे याद नहीं रही है। पुलवामा की घटना के बाद भारत में लोगों का खून खौल रहा है। लोग कह रहे हैं कि दुनिया के जिस नक्शे में आज पाकिस्तान है, वे उतना ही बड़ा कब्रिस्तान देखना चाहते हैं। यही नहीं, विदेश मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए सभी देशों से बात करेगा। दुनिया के सामने पाकिस्तान के आतंकपरस्ती चेहरे का पर्दाफाश किया जाएगा। 1986 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद की परिभाषा बदलने के लिए जो प्रस्ताव दिया था,उसे पास करवाने के लिए पूरी कोशिश करेगा और इस निमित्त अन्य देशों पर दबाव भी बनाएगा। सरकार की ओर से सेना को खुली छूट दी गई है।

पुलवामा के अवंतीपोरा में 42 जवानों की शहादत के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए देश को भरोसा दिलाया है कि इस हमले के गुनहगारों को सजा अवश्य मिलेगी। बड़ी आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान को अगर यह लगता है कि वह ऐसी तबाही मचाकर, भारत को बदहाल कर सकता है तो उसके ये मंसूबे भी कभी पूरे नहीं होंगे। 130 करोड़ हिंदुस्तानी ऐसी हर साजिश, ऐसे हर हमले का मुंहतोड़ जवाब देंगे। उन्होंने सभी साथियों से अनुरोध किया है कि इस संवेदनशील और भावुक क्षण में वे राजनीतिक छींटाकशी से दूर रहें। इस हमले का देश एकजुट होकर मुकाबला कर रहा है, यह स्वर विश्व में जाना चाहिए। स्वर जा भी रहा है लेकिन प्रधानमंत्री को इस बार कुछ आर-पार का निर्णय करना होगा। पाकिस्तान को इस तरह जवाब देना होगा कि इस तरह की आतंकी हरकतों को अंजाम देने से पहले वह सौ बार सोचने को विवश हो।

पाकिस्तान सिरदर्द बन चुका है। भारत के लिए ही नहीं, दुनिया के तमाम देशों के लिए भी। आतंकवादी हमलों के जरिये वह भारत को जिस तरह धन-जन की क्षति पहुंचा रहा है, उसे बहुत हल्के में नहीं लिया जा सकता। अमेरिका में एक बार वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन हाउस पर जो हमला हुआ, उसके बाद अमेरिका सतर्क हो गया। उस पर दोबारा हमली नहीं हुआ लेकिन उसकी एक वजह यह रही कि अमेरिका ने पूरी दृढ़ता के साथ आतंकवाद का मुकाबला किया। उसने आतंकवाद फैलाने वाले देशों को उन्हीं की भाषा में मुंहतोड़ जवाब दिया लेकिन भारत ने आतंकवादी हमलों से कभी भी सबक नहीं सीखा। दुनिया के तमाम मुल्क अपनी सुरक्षा को लेकर बेहद सजग रहते हैं लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। यहां सुरक्षा में चूक स्वभाव में शामिल हो गई है।

कश्मीर में यह दूसरा स्थानीय आत्मघाती आतंकी हमला है। इससे पहले 2001 में कश्मीर विधासभा पर विस्फोटकों से भरी टाटा सूमो से तीन फिदाइन हमलावरों ने टक्कर मार दी थी। इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई थी। एक बार फिर उसी तरह की वारदात को अंजाम दिया गया है। इस घटना से दे-विदेश सब स्तब्ध है। अमेरिका, रूस, नेपाल, फ्रांस, श्रीलंका आदि के राष्ट्राध्यक्षों ने आतंकवाद के खात्मे के लिए भारत के साथ खड़े रहने की बात कही है। सवाल उठता है कि भारत में इस तरह की चूक बार-बार क्यों हो रही है। ऐसा तो नहीं कि कश्मीर घाटी में काम कर रही सेना को इतना पता नहीं कि कश्मीर घाटी में हालात कैसे हैं? पाकिस्तान परस्त आतंकी केवल नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में ही 12 आतंकी हमले कर चुके हैं। जैश ए मोहम्मद और उस सरीखे पाकिस्तान पालित आतंकी संगठनों के गुनाहों की फेहरिश्त बहुत लंबी है। पाकिस्तान को भारत कितना बताए कि उसने उसे कहां-कहां जख्म नहीं दिए हैं और हर जख्म के बाद भी भारत ने पाकिस्तान के हितों का कितना ध्यान रखा है। अगर भारत ने उसे विशेष तरजीही राष्ट्र का दर्जा दे रखा था तो इसे उसकी सदाशयता ही कहा जाना चाहिए। इसके विपरीत, पाकिस्तान जिस थाली में खाता है, उसी में छेद करता है। पड़ोसी अगर अराजक हो तो इससे कष्ट ही होता है। पाकिस्तान भारत की सहनशीलता को उसकी कमजोरी मान बैठा है। गोस्वामी तुलसीदास ने भी कहा है कि अतिहिं सिंधाइहिं ते बड़ दोषू। कविवर राधेश्याम ने तो यहां तक लिखा है कि जो 'खालिस मीठा होता है, वह अपना नाश कराता है। मीठे गन्ने को देखो तो कोल्हू में पेरा जाता है।' भारत को यह बात समझनी होगी और देर सबेर उसकी समझ में यह बात आई भी है। वह पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देता भी रहा है लेकिन उसे चाणक्य की 'सठे साठ्यं समाचरेत' वाली रीति-नीति पर अमल करना होगा।

'मूरख हृदय न चेत जो गुरु मिलहिं विरंचि सम।' पाकिस्तान को अगर ब्रह्मा भी समझाएं तो वह मानने वाला नहीं है। ऐसे पाकिस्तान से पंजाब कांग्रेस के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू मिल-बैठकर बात करने की सलाह दे रहे हैं। उन्हें समझना होगा कि उनका बाजवा के गले लगना इस देश को कितना महंगा पड़ा है। मोदी का 56 इंच का सेना देखने वाले दल इस संवेदनशील मौके पर तो चुप रहें। भारत सरकार हमले के बाद से ही रणनीति बना रही है। उसे अपना काम अपने हिसाब से करने दीजिए। प्रधानमंत्री ने कहा है कि शहीदों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा तो उसके अपने मायने हैं। इस देश की सेना पर पत्थरबाजी करने वालों, उन्हें सरपरस्ती देने वालों से भी सतर्क रहना होगा। पाकिस्तानी आतंकवादियों को सरपरस्ती भी एक वर्ग विशेष के परिवारों में मिलती है। ऐसे लोगों को चिह्नित किया जाना चाहिए। पाकिस्तान को तो मुंहतोड़ जवाब दिया ही जाना चाहिए, ऐसे लोगों को भी दंडित किया जाना चाहिए। पहली बात तो भारत को अविलंब जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को समाप्त कर वहां संविधान का राज्य स्थापित करना चाहिए। वहां जब तक कश्मीरी हिंदू ही नहीं, देश भर के हिंदू परिवारों को बसाया नहीं जाएगा, तब तक आतंकवाद का नाग फन उठाकर निर्दोष भारतीयों को डंसता रहेगा। अब समय आ गया है कि प्रतिपक्ष के आरोपों-प्रत्यारोपों की परवाह किए बगैर केंद्र सरकार को बड़ा और कड़ा निर्णय लेना चाहिए। जरा सी सावधानी बरतकर आतंकवाद के खतरों से निपटा और बचा जा सकता है।

Updated : 16 Feb 2019 8:34 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top