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अटल एक यात्रा हैं जिसके अनगिनत पड़ाव

विवेक कुमार पाठक

अटल एक यात्रा हैं जिसके अनगिनत पड़ाव
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आओ फिर से दिया जलाएं, गीत नया गाता हूं........। भाव प्रवण कविताएं लिखने वाले भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दो दिन बाद 25 दिसंबर को जयंती है। करीब एक साल चार माह पहले 16 अगस्त 2018 को वे लंबी बीमारी के बाद चिरनिद्रा में सो गए थे। वे 93 वर्ष के गरिमापूर्ण राजनैतिक जीवन के बाद आज सशरीर भारतवासियों के बीच भले न हों मगर उनका आचार विचार और जीवन दर्शन भारत और भारत के सवा सौ करोड़ देशवासी कभी नहींं भूल पाएंगे।

संसद में मान मर्यादा, गरिमा और सरोकारों की राजनीति का कई दशकों तक झंडा लहराने वाले भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी भारत के प्रतिष्ठावान राजनेता थे। आज सवा सौ करोड़ लोगों वाले देश में वाजपेयी एक ऐसे नेता थे जो हर दिल अजीज थे और दलों की सीमाओं से कहीं दूर जन जन के प्रिय थे।

मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी का पुस्तैनी पुराना सामान्य सा घर भारतीय लोकतंत्र की ताकत का दस्तावेज है। शिन्दे की छावनी कमल सिंह का बाग नामक एक संकरे मोहल्ले में रहने वाले एक ब्राह्मण परिवार के बेटे अटल बिहारी वाजपेयी एक गरिमापूर्ण राजनैतिक हस्ती बनेंगे किसने सोचा था।

ग्वालियर में जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी उन अनवरत राजनेताओं में से थे जिन्होंने जवाहरलाल नेहरु से लेकर भारत के कई प्रधानमंत्रियों को सत्ता में बैठते और उतरते देखा था।

कवि हृदय अटल बिहारी वाजपेयी आचार विचार, संस्कार और सिद्धांत की राजनीति करने वाले जननेता थे। अटल बिहारी वाजपेयी चाहे 2 सांसद वाली भाजपा के नेता हों या फिर 1996, 1998, 1999 में भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले नायक हों उनका व्यवहार और तेवर कभी नहीं बदले।

भारत की पहली राष्ट्रवादी सरकार के जननायक अटल बिहारी वाजपेयी एक दिन भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे ये भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने क्यों कहा था ये पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के राजनैतिक सफर और उसके गौरव को जान समझकर बेहतर जाना जा सकता है।

वे पहले 13 दिन के लिए सत्ता में आए और विश्वासमत पर सत्य की भाषा बोलकर विपक्षियों को शर्मिन्दा कर गए।

उनकी इस सरकार के खिलाफ आया विश्वासमत सिर्फ एक वोट से गिरा जिसे वे आसानी से जीत सकते थे मगर अटल बिहारी वाजपेयी की शख्सियत ही कुछ ऐसी रही जिसमें समझौते की राजनीति की कभी कोई गुंजाइश नहीं थी। जो दल उन्हें सत्ता से गिराने के लिए सांप और छछूंदर की दोस्ती को साकार करते दिखे उनके असली चरित्र को न केवल पूरे देश ने देखा बल्कि उस राजनैतिक छल प्रपंच और अवसरवाद ने 13 महीने बाद विश्वासमत में पराजित तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को पूरे देश का अभिमन्यु बना दिया।

आगे अधिक जनमत और अधिक बहुमत से 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में देश में तीसरी दफा एनडीए की सरकार जनता के उसी विश्वास के कारण भारत में बनी। ये सरकार मजबूती से चली।

केन्द्र में 13 दलों की गठबंधन सरकार के साथ अटल बिहारी वाजपेयी के समय में भारत ने पोखरन विस्फोट करके पूरी दुनिया को अपनी ताकत का एहसास कराया। तमाम अमरीकी प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने पोखरन विस्फोट के शौर्य पर डटे रहकर पूरी दुनिया में अपना डंका बजवाया।

अटल कवि हृदय पहले थे राजनेता बाद में। वे पाकिस्तान से शांति और मैत्री के संबंध चाहते थे। लाहौर यात्रा में वे बस से शांति का पैगामा लेकर गए थे और नवाज शरीफ से अमन की बात पर गले मिले थे मगर परवेज मुशर्रफ जैसे सेनानायक पाकिस्तान को अमन की बजाय कारगिल के किनारे ले गए। तब अंतर्मन से क्षुब्ध अटल ने उस वक्त राष्ट्र के नाम भावुक संदेश में कारगिल के गुनहगारों को न भूलने वाला संदेश देने की बात कही थी।

इसके बाद पूरे देश ने देखा। कश्मीर घाटी से कारगिल की ओर निरंतर तोपें गरजीं और आखिरकार टाइगर हिल पर भारत का तिरंगा फहरा दिया गया।

अटल के कार्यकाल में स्वर्णिम चर्तुभुज और पूर्व पश्चिम गलियारा, उत्तर दक्षिण गलियारा आधारभूत सौगातें रहीं। भारत के लाखों गांवों को पक्की सड़क देने वाले वे पहले प्रधानमंत्री रहे। आज भी अटलजी के समय की प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना गांव गांव की आबादी को पक्की सड़कों की सौगातें दे रही है।

अटल जनसंघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी की यात्रा तक निरंतर शिखर नेता रहे मगर उनके लिए आदर्श और सिद्धात सर्वोच्च शिखर पर रहे। वर्तमान प्रधानमंत्री और तब के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी अटलजी की वो नसीहत कभी नहीं भूल पाएंगे जो उन्होंने राजधर्म पालन करने की बात करके दी थी।

अटलजी के देह छोडऩे पर श्रद्धांजलि देते समय कांग्रेस, भाजपा, बसपा, सपा, आप नाम की राजनैतिक दीवारें जैसे ओझल हो गईं थी। अटल सबके प्रिय थे और सब अटल के प्रिय थे यह सत्य देश दुनिया के अनगिनत अखबारों और न्यूज चैनलों पर करोड़ों अरबों लोगों ने अपनी आंखों से देखा है। अटल राजनीति की गरिमा स्थापित करने वाली शख्सियत थे और हमेशा रहेंगे।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

Updated : 21 Dec 2019 11:31 PM GMT
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