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कुछ विषयों पर राज्यपाल की अनुमति लेना मुख्यमंत्री की संवैधानिक बाध्यता : आरिफ मोहम्मद खान

-कहा, संविधान के दायरे में रहकर कानून पालन कराना मेरा काम

कुछ विषयों पर राज्यपाल की अनुमति लेना मुख्यमंत्री की संवैधानिक बाध्यता : आरिफ मोहम्मद खान
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नई दिल्ली। केरल में सत्तारूढ़ वाममोर्चा की सरकार के साथ राज्यपाल के टकराव की खबरों के बीच आरिफ मोहम्मद खान शुक्रवार को दिल्ली आए। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में बहुत साफ कहा कि वर्चस्व की लड़ाई नहीं है। आप कितने भी बड़े हो जाएं, कानून आपसे हमेशा ऊपर ही रहेगा। आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि राज्यपाल की भूमिका स्पष्ट रूप से संविधान में वर्णित है और वह उसी की शपथ लेता है। उन्होंने उस संविधान में उल्लिखित शपथ का हवाला देते हुए कहा कि राज्यपाल कहता है कि मैं संविधान और कानून का संरक्षण करूंगा और राज्य की जनता की सेवा का कार्य करूंगा। उन्होंने कहा कि मेरी यही भूमिका है कि मैं यह देखूं और सुनिश्चित करूं कि राज्य सरकार संविधान के दायरे में कानून सम्मत कार्य करे।

संविधान के नियम 32 खंड 2 में वर्णित राज्य सरकार के कार्य का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वहां स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि राज्य सरकार अर्थात मुख्यमंत्री किसी भी ऐसे मामले को, जोकि भारत सरकार या किसी अन्य राज्य की सरकार या सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय से संबंधित हो, उस पर किसी भी तरह का निर्णय करने से पहले राज्यपाल के सामने प्रस्तुत करना होगा। अगर यह मान भी लिया जाए कि राज्यपाल के सामने प्रस्तुत करने का अर्थ केवल सूचित करना भर है, अनुमति लेना नहीं, तो भी राज्य सरकार ने नागरिकता कानून के मामले में सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने से पहले मुझे सूचित तक नहीं किया। जबकि इस केन्द्रीय कानून का राज्य सरकार की नीति और कार्यक्रम से कोई सरकोर नहीं था।

आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि संविधान में बहुत स्पष्ट रूप से नागरिकता का विषय केन्द्र सरकार के अधीन रखा गया है। संविधान में राज्यपाल के कर्तव्य और अधिकार का हवाला देते हुए आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि विधानसभा का सत्र बुलाने और किसी मुजरिम की सजा माफ करने से लेकर अनेक ऐसे कानून हैं जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री के लिए यह बाध्यता है कि वह निर्णय लेने से पहले उसे राज्यपाल की अनुमित के भेजें। आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि वह अपनी या राज्यपाल की वरिष्ठता की बात नहीं कह रहे हैं पर वे यह जरूर सुनिश्चित करेंगे कि राज्य सरकार का भाव और कृत्य संविधान की मर्यादा के अनुकूल और उसके दायरे में हो। उन्होंने कहा कि वे संवैधानिक व्यवस्था को ध्वस्त नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि वे सरकार से इस बारे में स्पष्टीकरण मांगेंगे।

Updated : 17 Jan 2020 2:37 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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