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तो क्या 2011 विश्वकप का हीरो नहीं खेलेगा अगला विश्वकप !

देवधर ट्रॉफी के 45 खिलाडिय़ों में भी नहीं है युवराज का नाम

तो क्या 2011 विश्वकप का हीरो नहीं खेलेगा अगला विश्वकप !
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स्वदेश वेब डेस्क/सचिन श्रीवास्तव। 2011 विश्वकप में मैन ऑफ द टूर्नामेंंट चुने गए भारतीय टीम के हरफनमौला खिलाड़ी ने चार अर्धशतक और एक शतक जमाते हुए 9 मैचों में 362 रन बनाए थे। वहीं गेंदबाजी में 15 विकेट झटकर विश्वकप के हीरो बनने वाले युवराज सिंह को हाल ही में चुने गए देवधर ट्रॉफी के 45 खिलाडिय़ों की सूची में शामिल नहीं किया गया है। जिससे उनके अगले विश्वकप में खेलने को लेकर अब सवालियर निशान लगने लगे हैं।

हालांकि कुछ दिन पहले ही युवराज सिंह ने कहा था कि वो 2019 तक क्रिकेट खेलते रहेंगे। भारतीय टीम में वापसी के लिए प्रयासरत युवी का ये भी कहना था कि टीम में उनका चयन चयनकर्ताओं के हाथों में है। वो अपनी तरफ से कड़ी मेहनत करते रहेंगे पर अब जो हुआ उससे यही संकेत मिल रहे हैं कि उनका अगले विश्व कप में खेलने का सपना अधूरा रह सकता है। अगले विश्व कप के लिए सभी क्रिकेट बोर्ड आईसीसी को संभावित तीस सदस्यों की सूची देंगे लेकिन इसमें युवराज सिंह का नाम आना मुश्किल लग रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मंगलवार से शुरू हो रही देवधर ट्रॉफी में भारत की ए, बी और सी टीमें खेल रही हैं और बीसीसीआई ने इसके लिए तीन टीमों में 45 खिलाडिय़ों का चयन किया है। इन तीनों ही टीम में युवराज सिंह को शामिल नहीं किया गया है। जबकि देवधर ट्रॉफी में दिनेश कार्तिक, मनोज तिवारी, सुरेश रैना और आर अश्विन खेलेंगे लेकिन युवी को किसी भी टीम में जगह नहीं दी गई। जब युवी घरेलू एकदिवसीय टूर्नामेंट में ही नहीं खेलेंगे तो उन्हें सीधा विश्व कप के लिए भारतीय टीम में शामिल कैसे किया जाएगा। देवधर ट्रॉफी में कई ऐसे खिलाडिय़ों को भी मौका मिला है जिनका नाम नया है लेकिन युवी को जगह नहीं मिली। इससे यही संकेत मिलते हैं कि युवी के लिए अगले विश्व कप का रास्ता फिलहाल तो बंद ही कर दिया है। अब यह प्रश्न उठना लाजिमी है कि विदेशी धरती (इंग्लैण्ड) पर खेले जाने वाले विश्वकप में क्या नए नवेले खिलाड़ी भारतीय टीम की नैया पार लगा पाएंगे? क्या विदेशी धरती पर अनुभवहीन खिलाडिय़ों पर भरोसा किया जाना चाहिए? हाल ही में हुई भारत-इंग्लैण्ड टेस्ट शृंखला में भारतीय बल्लेबाजों का हाल किसी से छुपा नहीं है। क्या ऐसे हालात में नहीं लगता है कि भारतीय टीम में एक-दो नहीं बल्कि तीन-चार अनुभवी खिलाड़ी होना चाहिए। ऐसा नहीं है कि नए खिलाडिय़ों में प्रतिभा की कमी है लेकिन अनुभव के लिए समय कम है।

आपको बता दें कि भारत ने टी-20 विश्व कप 2007 में जीता था और इसके बाद 2011 में क्रिकेट विश्व कप का खिताब भारतीय टीम ने अपने नाम किया था। इन दोनों मौकों पर युवराज का प्रदर्शन बेहतरीन रहा था और उनकी भूमिका काफी अहम रही थी। 2007 में दक्षिण अफ्रीका में हुए विश्वकप के दौरान युवराज सिंह ने अपने बल्ले से जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 6 मैचों में 148 रन बनाए जिसमें दो अर्धशतक शामिल थे। इंग्लैंड के खिलाफ 12 गेंद में अर्धशतक के अलावा उन्होंने लगातार 6 गेंदों पर छह छक्के जड़े थे।

Updated : 23 Oct 2018 1:47 AM GMT
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Swadesh Digital

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