नेशनल हेराल्ड का सच
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वेब डेस्क। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ स्वतंत्रता की लड़ाई लडऩे वाले जेल इसलिए जाते थे कि वह उनकी अस्मिता और स्वाभिमान से जुड़ा हुआ मामला था, लेकिन जिस नेशनल हेराल्ड मामले में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी जमानत न लेकर जेल जाने के लिए तैयार हैं वह सीधे-सीधे स्वार्थ की राजनीति की ओर इशारा करता है। उनका यह कदम भले ही उनके चाटुकारों में उनका कद ऊंचा कर दे लेकिन इस मामले में 90 करोड़ के जिस हवाला कारोबार का उन पर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया है, वह कहीं न कहीं उसे सत्य साबित कर रहा है जिसका सामना करने की हिम्मत शायद उनमें नहीं है। हालांकि कांग्रेस के विधि विशेषज्ञों ने भी उन्हें न्यायालय में उपस्थित होने की सलाह दी है। उल्लेखनीय है कि इस मामले में सोनिया और राहुल को 19 दिसम्बर को न्यायालय में पेश होना है और कांग्रेस इस मौके को एक राजनीतिक रंग देकर भुनाने की कोशिश कर रही है। जिसके तहत हो सकता है कि उस दिन पेशी पर जाने के लिए कांग्रेस अपने इन शीर्ष नेताओं के साथ उनके निवास दस जनपथ से पैदल मार्च कर न्यायालय तक जाएं। हालांकि यह कांग्रेसी राजनीति का पुराना पैंतरा रहा है और यह वही पार्टी है जिसने लाशों पर राजनीति की है और कई बार ऐसी संवेदनाओं के सहारे सत्ता भी हासिल की है। लेकिन सच तो यह है कि जिस नेशनल हेराल्ड (समाचार पत्र) की बात यहां की जा रही है उसे 1938 में पं.जवाहर लाल नेहरू ने उस समय शुरू किया था जबकि देश में अंग्रेजों का शासन था।
यह लगातार वर्ष 2008 तक चलने के बाद आर्थिक तंगी के कारण बंद कर दिया गया, इसमें काम करने वाले लोग बेरोजगार हो गए। उस समय इसका मालिकाना हक द एसोसिएट जनल्र्स के पास था, इसके बाद वर्ष 2011 में एसोसिएट जनल्र्स की 90 करोड़ की देनदारी कांग्रेस ने अपने जिम्मे ले ली और उसे 90 करोड़ का ऋण दे दिया। लेकिन इसके बाद 5 लाख रुपए में यंग इण्डिया नाम से एक नई कम्पनी बनाई गई जिसमें राहुल और सोनिया गांधी की 38-38 फीसदी तथा शेष 24 फीसदी हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल बोरा और ऑस्कर फर्नाण्डीज के पास थी। बाद में कांग्रेस ने एसोसिएट कम्पनी का90 करोड़ का ऋण भी माफ कर दिया इसके चलते यंग इण्डिया को मुफ्त में ही एसोसिएट जर्नल्स का मालिकाना हक मिल गया। इस पूरे मामले को लेकर ही कांग्रेस पर यह आरोप लगाया गया है कि उसने 1600 करोड़ कीमत के हेराल्ड हाउस को हथियाने के लिए ही यह सब किया है। इसके साथ ही यह भी आरोप लगाया गया है कि साजिश के तहत ही यंग इण्डिया लिमिटेड को एसोसिएट जर्नल्स की सम्पत्ति का मालिकाना हक दिया गया है। लेकिन इन सभी आरोपों को कांग्रेस और उनके दोनों शीर्ष नेता सिरे से नकार कर पाक-साफ बने रहना चाहते हैं। इस मामले में एक बार फिर लौटकर वहीं आना पड़ेगा कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी जमानत नहीं लेने और जेल जाने की बात कहकर यह जताना चाहते हैं कि जैसै वह पूरी तरह सच्चे हैं। उधर इस मामले मेें करोड़ों के घोटाले का एक और सच उस समय उजागर हो गया जबकि एक आरटीआई आवेदन के माध्यम से यह सच सामने आया कि मुम्बई में जिस भूमि पर समाचार पत्र का दफ्तर और लाइब्रेरी होना चाहिए थी वहां आज कांग्रेस भवन बना हुआ है। यह सबकुछ स्पष्ट कर देता है कि सोनिया और राहुल इस मामले में जमानत न लेते हुए जेल जाकर आखिर क्या साबित करना चाहते हैं।
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