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माघी पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त में लगाऐं डुबकी, पितृदोष होगा शांत

माघी पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त में लगाऐं डुबकी, पितृदोष होगा शांत
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वेबडेसक। हिन्दू शास्त्रों में माघ मास को एक महत्वपूर्ण महीना माना जाता है। पद्म पुराण के अनुसार इस माह में आने वाली पूर्णिमा का विशेष महत्व हैं। इस दिन गंगा स्नान अथवा किसी पवित्र नदी में स्नान कर पर्व लेने से विशेष फल मिलता हैं। यदि हम बात करे हिन्दू शास्त्रों एवं विद्वानों की तो माघ का पूरा महीना ही बेहद महत्वपूर्ण हैं, जो व्यक्ति सूर्योदय से पूर्व स्नान करता हैं, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य मिलता हैं। लेकिन जो लोग पूरे महीने ऐसा नहीं कर पाते, वह यदि पूर्णिमा के दिन पर्व लेते है तो उन्हें पूरे मास का फल मिलता हैं।

पद्मपुराण के अनुसार

माघी पूर्णिमा के बारे में लिखा है कि इस दिन भगवान विष्णु स्वयं गंगा में स्नान करने आते हैं। साथ ही उनके साथ अन्य देवी देवता भी स्नान पृथ्वी पर आते हैं। एक समय धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा था की 'संवत्सर में कौन-कौन सी तिथियां स्नान-दान में अधिक पुण्यप्रद हैं?' कृष्ण ने कहा, 'माघ पूर्णिमा, वैशाख और कार्तिक पूर्णिमाओं के समान ही फल देती है।' इस दिन यदि कोई व्यक्ति शिव के परमप्रिय स्थान काशी में जाकर गंगा स्नान करता हैं तो उसे अद्भुत फल मिलता है।

पद्मपुराण में लिखा हैं की जिन लोगों के पास समय और धन नहीं है अथवा कमी है, शरीर में कई रोग है या दुर्बल है, वह लोग माघ शुक्ल पूर्णिमा को अगर विधि-विधान से व्रत रखकर सूयार्दय से पहले स्नान कर दान करते हैं तो उसे संपूर्ण माघ स्नान का फल मिल सकता है। जिससे यह सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

पितृ दोष होता हैं शांत -

इसके अतिरिक्त यदि कोई व्यक्ति पूर्णिमा के दिन अपने पितरों का तर्पण करता है तो उसे पितृदोष से मुक्ति मिलती है और पितरों का उद्धार होता है।विद्वानो के अनुसार जिनकी कुंडली में सूर्य-चंद्रमा के साथ राहु या केतु उपस्थित होने से जो पितृ दोष उत्पन्न होता हैं, उन्हें माघी पूर्णिमा के दिन अपने पितरों का तरपान करना चाहिए। इससे पितृ दोष शांत होता हैं एवं तरक्की के नए द्वार खुलते हैं।

इस दिन भगवान विष्णु व्रत, उपवास, दान आदि की बजाय केवल सूयार्दय से पूर्व स्नान करने से ही प्रसन्न हो जाते है। ज्योतिष शास्त्रियों की यदि बात माने तो इस दिन सूर्य मकर राशि में अपने पुत्र शनि के साथ होते हैं। जिससे वह और अधिक शुभ फल देते हैं। माघी पूर्णिमा के दिन ही प्रयागराज में रहने वाले लाखों कल्पवासी क्षौर कर्म- मुंडन करा विधि-विधान से गंगा स्नान कर सत्यनारायण की पूजा, दान और भोज आदि कर गंगा जी से क्षमा मांगकर गृहस्थ जीवन में पुन: प्रवेश करते हैं। इस दिन पितरों का श्राद्ध करें, भूखे को भोजन, कपड़ा, तिल, कंबल, कपास, गुड़, घी, मोदक, जूता, छाता, फल और अन्न आदि दक्षिणा के साथ अवश्य दान करें।


Updated : 7 Feb 2020 1:12 PM GMT
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स्वदेश डेस्क

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