Home > धर्म > धर्म दर्शन > कैलाश की अपूर्व प्राकृतिक शोभा को देखकर गरुड़ मंत्रमुग्ध थे

कैलाश की अपूर्व प्राकृतिक शोभा को देखकर गरुड़ मंत्रमुग्ध थे

कैलाश की अपूर्व प्राकृतिक शोभा को देखकर गरुड़ मंत्रमुग्ध थे
X

भगवान विष्णु गरुड़ पर बैठकर कैलाश पर्वत पर गए, द्वार पर गरुड़ को छोड़कर वे स्वयं भगवान शिव से मिलने अंदर चले गए। कैलाश की अपूर्व प्राकृतिक शोभा को देखकर गरुड़ मंत्रमुग्ध थे कि तभी उनकी नजर एक खूबसूरत छोटी सी चिड़िया पर पड़ी। चिड़िया इतनी सुंदर थी कि गरुड़ के सारे विचार उसकी तरफ आकर्षित होने लगे।

उसी समय कैलाश पर यम देव पधारे और अंदर जाने से पहले उन्होंने उस छोटे से पक्षी को आश्चर्य की दृष्टी से देखा। गरुड़ समझ गए उस चिड़िया का अंत निकट है और यमदेव कैलाश से निकलते ही उसे अपने साथ यमलोक ले जाएंगे। गरुड़ को दया आ गई, वे इतनी छोटी और सुंदर चिड़िया को मरता हुआ नहीं देख सकते थे। उन्होंने उसे बचाने की युक्ति सोची। गरुड़ ने चिड़िया को अपने पंजों में दबाया और कोसों दूर निकल गए। उन्होंने चिड़िया को जंगल में छोड़ा और स्वयं वापस आकर कैलाश पर बैठ गए।

जब यम बाहर आए तो गरुड़ ने पूछ ही लिया कि उन्होंने उस चिड़िया को इतनी आश्चर्य भरी नजर से क्यों देखा था। यम देव बोले, गरुड़ जब मैंने उस चिड़िया को देखा तो मुझे ज्ञात हुआ कि वो चिड़िया कुछ ही पल बाद यहां से हजारों कोस दूर एक नाग द्वारा खा ली जाएगी। मैं बस यही सोच रहा था कि वह इतनी जलदी इतनी दूर कैसे जाएगी? पर अब जब वो यहां नहीं है तो निश्चित ही वो मर चुकी होगी। गरुड़ समझ कि मृत्यु टाले नहीं टलती, चाहे कितनी भी चतुराई की जाए।

इस लिए कृष्ण कहते है- करता तू वह है जो तू चाहता है, परन्तु होता वह है, जो मैं चाहता हूं।

Updated : 15 Jun 2018 4:43 PM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top