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अयोध्या फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अब तक छह पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं

-ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के समर्थन से चार और पुनर्विचार याचिकाएं दायर

अयोध्या फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अब तक छह पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं
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नई दिल्ली। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ चार और पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के समर्थन से ये चारों याचिकाएं दायर की गई हैं। इन चारों याचिकाओं की पैरवी राजीव धवन करेंगे।

अब तक सुप्रीम कोर्ट के समक्ष छह पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई हैं।

मुस्लिम पक्ष की याचिकाओं में कहा गया है कि फैसला 1992 में मस्जिद ढहाए जाने को मंजूरी देने जैसा है। कोर्ट ने अवैध रुप से रखी गई मूर्ति के पक्ष में फैसला सुनाया। याचिका में कहा गया है कि अवैध हरकत करनेवाले को जमीन दी गई। मुसलमानों को 5 एकड़ जमीन देने का फैसला पूरा इंसाफ नहीं कहा जा सकता है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 9 नवम्बर के फैसले पर दोबारा विचार करने की मांग की गई है।

इसके पहले आज सुबह पीस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की। पीस पार्टी ने अपनी याचिका में कहा है कि 1949 तक विवादित स्थल पर मुस्लिमों का अधिकार था। पीस पार्टी ने अपनी याचिका में कहा है कि 1949 तक विवादित स्थल पर मुस्लिमों का अधिकार था। 1949 तक डोम के नीचे नमाज़ अदा की गई थी और कोई भी भगवान की मूर्ति डोम के नीचे तब तक नहीं थी। पीस पार्टी ने कहा है कि पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट में भी इस बात के साक्ष्य नहीं हैं कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई। 1885 में बाहरी अहाते में राम चबूतरे पर हिन्दू पूजा करते थे। आंतरिक हिस्सा मुसलमानों के पास था।

पिछले 2 दिसम्बर को जमीयत उलेमा हिन्द ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी।

पिछले 9 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मत फैसले में अयोध्या की विवादित भूमि पर मंदिर बनाने का आदेश दिया था। तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने मुसलमानों को वैकल्पिक स्थान पर पांच एकड़ भूमि देने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि विवादित भूमि फिलहाल केंद्र सरकार अधिग़ृहित करेगी। केंद्र सरकार तीन महीने के अंदर ट्रस्ट का गठन कर उस भूमि को मंदिर निर्माण के लिए देगी।

Updated : 6 Dec 2019 12:12 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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