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तीन कार्यकारी अध्यक्षों के साथ शीला दीक्षित को मिली दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की कमान

तीन कार्यकारी अध्यक्षों के साथ शीला दीक्षित को मिली दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की कमान
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नई दिल्ली। कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित (80) पर एक बार फिर से भरोसा जताया है। पार्टी ने उन्हें गुरुवार को दिल्ली में पार्टी की कमान सौंप दी। लोकसभा चुनावों को देखते हुए मध्य प्रदेश और राजस्थान की तर्ज दिल्ली में भी अनुभव को वरीयता दी गई है।

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी पीसी चाको ने पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शीला दीक्षित को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है। इसके अलावा तीन कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किए गए हैं। इनमें दो बार के विधायक व एआईसीसी के सचिव देवेंद्र यादव, दो बार दिल्ली के विधायक व एआईसीसी के सचिव राजेश लिलोठिया और कांग्रेस के संसदीय सचिव व दिल्ली विधानसभा में पार्टी के नेता रहे हारुन यूसुफ हैं। कांग्रेस ने अनुभव और युवा प्रतिनिधित्व के साथ ही जातीय समीकरणों का भी ध्यान रखा है। शीला दीक्षित ब्राह्मण हैं, तो देवेंद्र यादव ओबीसी, राजेश लिलोठिया दलित और हारून यूसुफ मुस्लिम हैं।

आम आदमी पार्टी (आप) के साथ गठबंधन पर पूछे गए सवाल पर चाको ने कहा कि किसी अन्य पार्टी के साथ कांग्रेस पार्टी के गठबंधन के बारे में अब तक चर्चा का कोई सवाल नहीं है। दिल्ली में कांग्रेस अपने दम पर लड़ने के लिए काफी मजबूत है। हम अपने दम पर 2019 के चुनाव का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

पार्टी की अधिकारिक घोषणा से पूर्व ही उनके घर पर समर्थकों और मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान मंत्रिमंडल में सहयोगी रहे नेताओं ने उन्हें बधाई देनी शुरू कर दी थी।

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने ट्वीट कर शीला दीक्षित जी को पुन: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर बधाई व शुभकामनाए दीं। उन्होंने कहा कि शीला दीक्षित के अधीन उन्हें संसदीय सचिव एवं कैबिनेट मंत्री के रूप में काम करके सीखने का सुअवसर मिला था।

हाल ही में माकन में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दिया था। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि शीला दीक्षित की अगुआई में पार्टी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मुकाबले में एक सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाएगी।

राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद संभालने के बाद से ही दिल्ली प्रदेश कांग्रेस में बदलाव के क्रम में दिल्ली में शीला का नाम आगे चल रहा था। दिल्ली के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन राहुल गांधी के काफी भरोसेमंद माने जाते रहे हैं लेकिन माकन तमाम कोशिशों के बाद भी दिल्ली में कांग्रेस की राजनीतिक पकड़ बनाने में नाकाम रहे हैं। माकन के दिल्ली की कमान संभालने के बाद विधानसभा में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। निगम चुनाव में भी पार्टी कुछ खास नहीं कर पाई।

पार्टी 2019 में दिल्ली में नई संभावनाएं तलाश रही थी। इसी क्रम में यह बदलाव देखने को मिला है। प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही दिल्ली को तीन कार्यकारी अध्यक्ष देने के पीछे विभिन्न तबकों को प्रतिनिधत्व देना माना जा रहा है। नई टीम से सवर्ण, अन्य पिछड़ा वर्ग, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग को एकसाथ प्रतिनिधित्व दिया गया है।

शीला के बारे में कहा जाता है कि वह सबको साथ लेकर चलती हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए भी वह जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं से जुड़ी रहीं।

शीला दीक्षित का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा है। दिल्ली के पंजाबी खत्री (कपूर) परिवार में जन्म लेने वाली शीला की कांग्रेस के बड़े नेता उमाशंकर दीक्षित के बेटे विनोद दीक्षित से शादी हुई थी। इसी के साथ उनका राजनीतिक सफर भी शुरू हुआ था। दिल्ली में सबसे ज्यादा समय 15 साल (1998 से 2013) तक मुख्यमंत्री रही हैं।

दिल्ली में तीन बार लगातार कार्यकाल संभालने के बाद 2013 में उन्हें उन्हीं की नई दिल्ली सीट से आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने हरा दिया था। इसके बाद उन्हें केरल का राज्यपाल बनाया गया। इसी बीच केन्द्र में सरकार बदल गई और उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। उत्तर प्रदेश में 2017 के चुनावों के दौरान उन्हें ब्राह्मण चेहरे के तौर पर मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया था।

शीला दीक्षित दिल्ली के कान्वेंट स्कूल में पढ़ीं। बाद में उन्होंने दिल्ली के मिरांडा हाउस कॉलेज से कला में स्नातक की डिग्री हासिल की।

शीला दीक्षित ने 1984 से लेकर 1989 तक कन्नौज लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया। इस दौरान वह संसदीय कार्य राज्यमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री रहीं। 1998 में शीला दीक्षित दिल्ली की पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के लाल बिहारी तिवारी से हार गईं।

शीला 1998 में दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी। इसके बाद 15 साल तक मुख्यमंत्री रहीं। पहले 5 सालों तक उन्होंने गोल मार्केट सीट और बाद में नई दिल्ली सीट का प्रतिनिधित्व किया।

Updated : 27 Feb 2019 9:21 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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