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अन्ना हजारे ने की सीबीआई को लोकपाल के दायरे में लाने की मांग

अन्ना हजारे ने की सीबीआई को लोकपाल के दायरे में लाने की मांग
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नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच की सर्वोच्च संस्था केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में चल रहे आंतरिक विवाद के चलते सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने सीबीआई जैसी महत्वपूर्ण एजेंसियों को लोकपाल के दायरे में लाने की मांग उठाई है।

अन्ना हजारे ने सोमवार को विज्ञप्ति जारी कर कहा कि भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए सीबीआई जैसी संस्थाओं की तरफ जनता बड़ी आशा से देख रही है। लेकिन कुछ दिनों से सीबीआई में प्रमुख अधिकारियों के विवाद की खबरें आ रही हैं। उन्होंने ऐसी खबरों को लोकतंत्र के लिए बेहद शर्मनाक करार दिया है।

उन्होंने कहा कि अब यह स्पष्ट हो चुका है कि ऐसे में भ्रष्टाचार को लेकर देश की जनता परेशान है। उस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए एक सर्वोच्च स्वायत्त और सर्वकालीन व्यवस्था का निर्माण जरूरी है। इसलिए जनता ने 2011 में देश में लोकपाल और हर राज्य में लोकायुक्त कानून की मांग को लेकर जन आंदोलन शुरू किया था। जनता ने इस आंदोलन को हाथ में लेकर सरकार को कानून बनाने पर मजबूर कर दिया और 1 जनवरी 2014 को इस देश में पहली बार लोकपाल कानून पारित हो गया। अब दुर्भाग्य की बात यह है कि मौजूदा सरकार के सत्ता में आकर साढ़े चार साल हो गए, लेकिन नये कानून के तहत अब तक लोकपाल की नियुक्ति नहीं की है। इसका एक ही कारण है कि सरकार किसी भी पक्ष-पार्टी की हो, किसी भी पार्टी की लोकपाल, लोकायुक्त नियुक्त करने की मंशा नहीं हैं। कोई भी सरकार तथा देश की एक भी पार्टी देश में लोकपाल जैसी व्यवस्था नहीं चाहती। फिर सवाल पैदा होता है कि ऐसी स्थिति में कैसे रुकेगा भ्रष्टाचार?

सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारीयों के विवाद के संबंध में जो बातें सामने आ रही हैं, उसे देख कर ऐसा लगता है कि अगर आज लोकपाल की व्यवस्था होती और सीबीआई लोकपाल के दायरे में होती तो यह स्थिति पैदा ही नहीं होती। इसलिए किसी भी हालात में सरकार, सीबीआई, सीवीसी जैसी संस्थाओं को नियंत्रित करने के लिए लोकपाल का नियंत्रण आवश्यक है।

Updated : 29 Oct 2018 2:46 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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