इस गांव में 6 महीने पहले ही कर दिया जाता है रावण का अंत, जानें कहा
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इंदौर। शारदीय नवरात्र की समाप्ति के बाद रावण का पुतला जलाकर मनाए जाने वाले दशहरे का उल्लास चरम पर है। रावण का दहन इस बार मंगलवार को होगा, लेकिन मध्यप्रदेश में एक ऐसा गांव है जहां इस पर्व को एक या दो नहीं बल्कि पूरे 6 महीने पहले ही मना लिया जाता है। जी हां मध्यप्रदेश के रतलाम जिले का एक गांव ऐसा है जहां दस सिरों वाले इस पौराणिक पात्र की मूर्ति की नाक काटकर छह महीने पहले ही उसका प्रतीकात्मक अंत कर दिया जाता है।
दरअसल, इस गांव में शारदीय नवरात्रि के बजाय गर्मियों में पड़ने वाली चैत्र नवरात्रि में रावण के अंत की परंपरा है। यह अनूठी रिवायत सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल भी है, क्योंकि इसे निभाने में मुस्लिम समुदाय के लोग भी बढ़-चढ़कर मदद करते हैं।
इंदौर से करीब 190 किलोमीटर दूर चिकलाना गांव में इस परंपरा के पालन से जुड़े परिवार के राजेश बैरागी ने रविवार को बताया कि चैत्र नवरात्रि की यह परंपरा मेरे पुरखों के जमाने से निभाई जा रही है। इसके तहत गांव के एक प्रतिष्ठित परिवार का व्यक्ति भाले से रावण की मूर्ति की नाक पर वार कर इसे सांकेतिक रूप से काट देता है।
यहां के स्थानिक लोगों का कहना है कि हिन्दी की प्रसिद्ध कहावत नाक कटना का मतलब है-बदनामी होना। लिहाजा रावण की नाक काटे जाने की परंपरा में यह अहम संदेश छिपा है कि बुराई के प्रतीक की सार्वजनिक रूप से निंदा के जरिये उसके अहंकार को नष्ट करने में हमें कभी पीछे नहीं हटना चाहिये।
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