उपाध्यक्ष पारस जैन को भू-माफिया कहने पर चेम्बर खफा
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ग्वालियर, न.सं.। शहर में प्रशासन द्वारा एंटी माफिया सेल का गठन कर भू-माफियाओं पर की जा रही ताबड़तोड़ कार्रवाई को लेकर शनिवार को म.प्र. चेम्बर ऑफ कॉमर्स की कार्यकारिणी बैठक में इस बात पर आपत्ति व्यक्त की गई कि हमारे उपाध्यक्ष पारस जैन एक सम्मानित व्यापारी हैं उनके नाम को भू-माफियाओं में कैसे लिया जा रहा है। इस पर कुछ सदस्यों एवं पदाधिकारियों ने आपत्ति दर्ज कराई। तब यह तय हुआ कि चेम्बर के द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से यह अवगत कराया जाएगा कि श्री जैन भू-माफिया नहीं है। वरिष्ठ सदस्य महेश मुदगल द्वारा उठाए इस मुद्दे पर एक पदाधिकारी ने यह भी कहा कि प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि भू-माफियाओं की सूची उनकी ओर से जारी नहीं की गई है। मीडिया अपने हिसाब से नाम इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं पारस जैन का कहना था कि मेरी पुरानी छावनी की जमीन पर प्रशासन के लोग कार्रवाई करने गए थे, किन्तु मेरे पास सभी दस्तावेज थे इसलिए वे वापस लौट गए। किन्तु श्री जैन के कृष्णपुरम कॉलोनी के पास स्थित निवास से एक बीघा शासकीय भूमि मुक्त कराए जाने की बात पर किसी ने चर्चा करना उचित नहीं समझा। यहां बताना उचित होगा कि चेम्बर का प्रतिनिधि मण्डल जब जिलाधीश एवं पुलिस अधीक्षक से मिलने गया था तब उपाध्यक्ष जानबूझकर उनके पास नहीं गए थे। इसके साथ ही चेम्बर से जुड़े अशोक गोयल एवं राजू कुकरेजा के खिलाफ हुई कार्रवाई पर किसी ने एक शब्द भी नहीं कहा।
उपसमितियों पर नहीं बनी सहमति:-
यह बैठक मुख्य रूप से उपसमितियों के गठन को लेकर बुलाई गई थी, लेकिन अधिकांश सदस्य इस बात पर खफा थे कि पिछले वर्ष एसएमएस एवं अर्थवार्ता के माध्यम से 43 उपसमितियों के लिए नाम मांगे गए थे, किन्तु मनमाने ढंग से चेम्बर के समूचे 3000 सदस्यों को थोकबंद तरीके से समितियों में बिना जानकारी दिए रख लिया गया। किन्तु कई समितियों की बैठक तक नहीं हुईं। पुरूषोत्तम गुप्ता का कहना था कि मुझे रेलवे की कमेटी का चेयरमेन बनाया गया था किन्तु इस समिति की एक भी बैठक नहीं हुई और रेलवे की बैठकों तक में मुझे नहीं ले जाया गया। इसी तरह वरिष्ठ सदस्य रामनिवास अग्रवाल ने दीपावली मेला के लिए बने संयोजकों को स्मृति चिन्ह के लिए एक सदस्य अलका श्रीवास्तव के घर बुलाए जाने पर घोर आपत्ति जताई।
पूर्व अध्यक्ष ने रूकवाई विज्ञप्ति:-
मानसेवी सचिव जैसे ही भूमाफिया मामले में प्रेस विज्ञप्ति निकलवाने जा रहे थे तभी इसी हाउस से जुड़े पूर्व अध्यक्ष ने समझाइश दी कि यदि हमने ऐसा किया तो वेवजह विवाद बढ़ेगा। इसलिए उस विज्ञप्ति को रोक दिया गया।
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