Home > राज्य > मध्यप्रदेश > ग्वालियर > नए जिलाधीश को भी गुमराह कर रहे है स्मार्ट सिटी के अधिकारी

नए जिलाधीश को भी गुमराह कर रहे है स्मार्ट सिटी के अधिकारी

नए जिलाधीश को भी गुमराह कर रहे है स्मार्ट सिटी के अधिकारी

नए जिलाधीश को भी गुमराह कर रहे है स्मार्ट सिटी के अधिकारी
X

तीन जिलाधीश जा चुके, सीईओ भी बदले, लेकिन स्मार्ट नजर नहीं आ रहा है शहर

शहरवासियों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के लिए महानगर को दो साल पहले स्मार्ट सिटी योजना में शामिल किया गया था। इतना समय बीत जाने के बाद भी शहर में कोई परिवर्तन नजर नहीं आ रहा है। महानगर स्मार्ट सिटी योजना में शामिल होने के बाद भी जहां की तहां खड़ा नजर आ रहा है। इस बीच तीन जलाधीश भी आकर जा चुके है। स्मार्ट सिटी योजना वाले विभाग की पहली सीईओ को सुस्त बताकर उन्हें विदा कर दिया गया, नए सीईओ के आने के बाद भी विकास कार्यो के बारे में कोई प्रगति नहीं हो पा रही है।

शहर के विकास से संबधित वाले विभागों के बीच आपसी तालमेल नहीं होने की सजा शहरवासी भुगत रहे है। स्मार्ट सिटी योजना में जिन शहरों को शामिल किया गया था, उन शहरों में विकास कार्य धरातल पर नजर आने लगे है। जबकि हमारे शहर के प्रशासनिक अधिकारी अभी स्मार्ट सिटी योजना के तहत होने वाले कार्यो का खाका भी सही ढंग से नहीं खींच पाए।

विकास कार्य तथा नगर को स्मार्ट बनाने के नाम पर शहर को कुछ चौराहों के गुलबंर तोड़कर उन्हें छोटा या बड़ा जरूर किया जा चुका है, या फिर कुछ प्रमुख मार्गो की सड़कों की चौड़ाई बढ़ाकर अथवा सड़क किनारे टाइल्स लगाकर जनता की गाड़ी कमाई जरूर ठिकाने लगाई जा रही है।

महाराज बाड़े पर भी कुछ नहीं हुआ

इस योजना के तहत अकेले महाराज बाड़ा और उसके आसपास के इलाके को स्मार्ट बनाने के लिए करीब 1916.29 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना है! नगर की यातायात व्यवस्था पर 187 करोड़ का व्यय होगा। शहर के पार्कों की दशा सुधारने के लिए भी करोड़ों की योजना है। लेकिन सभी योजनाएं अभी कागजों में ही कैद है, धरातल पर स्मार्ट सिटी योजना का काम कब नजर आएगा इसका किसी के पास भी जवाब नहीं है।

सभी अधिकारी कर रहे है मंत्रियों तक को गुमराह

अभी तक इस योजना में अधिकारियों की लापरवाही ही सामने आई है। योजना की प्रगति के बारे में मंत्रियों तक को गुमराह किया जा रहा है। अगर यही हाल रहा तो हम स्मार्ट सिटी के मामले में पीछे रह जाएंगेे, साथ ही इस योजना के तहत शासन से मिलने वाली राशि भी लेप्स हो सकती है। कुल मिलाकर शहर को स्मार्ट बनाने वाले संबधित विभाग के अधिकारियों का ध्यान काम पर कम और योजना के तहत मिलने वाली राशि पर अधिक नजर आ रहा है।



Updated : 9 Jun 2018 12:45 PM GMT
Tags:    
author-thhumb

Vikas Yadav

Swadesh Contributors help bring you the latest news and articles around you.


Next Story
Top