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यह कैसी सफाई, हमारे यहां तो नहीं हो रही

सडक़ों पर उड़ती रही धूल, जांच दलों ने खींचे फोटो, भेजे दिल्ली

यह कैसी सफाई, हमारे यहां तो नहीं हो रही
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ग्वालियर,न.सं.। शहर में सफाई हो रही होगी, हमारे क्षेत्र में कोई सफाई नहीं होती है। यहां तो कोई झाडू़ भी लगाने नहीं आता है। यह बात शुक्रवार को केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय के स्वच्छता अभियान 2020 के लिए ग्वालियर आए दल से नई सडक़ स्थित डिलाइट के टॉकीज के पास कुछ लोगों ने कही। स्वच्छता सर्वेक्षण टीम के पांच सदस्यों ने दूसरे दिन शहर के विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर स्थित शौचालयों का निरीक्षण किया। इस दौरान टीम सदस्यों ने लोगों से स्वच्छता से संबंधी सवाल किए गए। लेकिन अधिकतर जगह लोगों ने सकारात्मक की जगह नकारात्मक जबाव ही दिए। सर्वे के दौरान टीम के सदस्यों को शहर की सडक़ों पर धूल उड़ती दिखाई दी, जिसे टीम ने अपने टैबलेट में कैद कर दिल्ली भेज दिया। यहां बताना मुनासिब होगा सडक़ों की धूल साफ करने नगर निगम द्वारा 84 लाख रुपए खर्च कर मशीन मंगाई गई थी, किंतु वह भी बेकार साबित हुई है।

स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत निरीक्षण करने टीम तो आ गई, लेकिन शहरवासी ऑनलाइन तरीके से अपना फीडबैक नहीं दे रहे है। इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में तो टीम ने जब लोगों से स्वच्छता संबंधी सवाल पूछे, तो लोगों को स्वच्छता के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी। दल के सदस्य रूपेश ठाकुर ने चिडिय़ाघर के दरवाजे पर बने सार्वजनिक शौचालय के गेट को खोला, तो वह खुला ही नहीं। इस दौरान जैसे तैसे गेट खुला, तो कर्मचारियों ने जब गेट को बंद किया, तो गेट नहीं लग पाया। दल के सदस्यों ने इसके बाद राधा-कृष्ण मंदिर व जामा मस्जिद का परिसर, गुरूद्वारे के पास गौ-माता सेल्फी पाइंट के बाद चार मार्गो गुरूद्वारे से फूलबाग, पड़ाव से कलावीथिका, कलावीथिका से बैजाताल, जलबिहार, वार्ड 59, वार्ड 25 के अल्पना नगर में भी वास्तविक स्थिति देखी। वहीं वार्ड 27 स्थित त्यागी नगर से मुरार नदी में जाने वाले नाले के पास जब सदस्य ने लोगों ने फीडबैक लिया, तो लोगों ने बताया कि यहां कुछ दिनों से झाड़ू लग रही है, लेकिन इससे पहले यहां पर कभी भी सफाई नहीं होती थी। इतना ही नहीं मुरार नदी में बह रहे नाले के पानी को भी टीम के सदस्य ने मोबाइल में कैद किया। साथ ही वार्ड 56 में बने सार्वजनिक टायलेट सहित नारायण बिहार में पहुंचकर ग्वालियर के स्वच्छता अभियान की वास्तविक स्थिति जानने के लिए आम लोगों से सवाल किए।

अलग अलग हिस्सों में बंटे थे टीम के सदस्य

दूसरे दिन स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए दल के सदस्य अलग अलग क्षेत्रों में सर्वे करते हुए दिखाई दिए। दल के सदस्य विनोद पंवार ने नई सडक़ पर पहुंचकर मौजूद निर्माण श्रमिकों से कुछ सवाल पूछे, तो लोगों ने साफ साफ कहा है कि कोई सफाई नहीं होती है। वहीं सतीश पाटिल ने देर शाम तक ग्रामीण क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 61,62, 63 व 65 में पहुंचकर स्वच्छता सर्वेक्षण के पैमानों पर जांच की। जहां से कोई भी सकारात्मक जबाव नहीं मिला।

एक हजार अंको की परीक्षा आज

स्वच्छता सर्वेक्षण के शुक्रवार को पूरा होने के बाद 25 जनवरी से एक हजार अंकों के लिए दिल्ली से जांच के लिए स्टॉर रेटिंग की टीम शनिवार ग्वालियर आ सकती है। दो दिन ग्वालियर में रहकर सर्वे का काम करेगी और शहर के ओडीएफ होने के बाद स्टॉर रेटिंग का परिणाम घोषित किया जाएगा।

इन मामलों में कट सकते हैं नंबर

1. जागरूकता में कमी निगम ने अभियान को लेकर इस बार पहले से तैयारी की थी। बावजूद टीम लोगों को जागरूक करने में पीछे रह गई।

2. पौधारोपण -फीडबैक में पूछे जाने वाले सवालों में से एक यह भी है कि डिवाइडर पर पौधारोपण हुआ कि नहीं। इसे लेकर निगम ने शुरू से ध्यान नहीं दिया।

3. जानकारी नहीं- मुख्य वजह एक यह भी सामने आई कि लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है। पॉश कालोनियों के रहवासी तो इसके लिए तैयार दिखाई दिए। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के साथ साथ मलिन बस्ती के लोगों ने निगम की पोल खोलकर रख दी।

Updated : 25 Jan 2020 12:04 PM GMT
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