रुस्तमजी के पूर्व छात्र ने टीसीएस से लिया अवकाश, जैविक खेती को दे रहे बढ़ावा
- रुस्तमजी प्रौद्योगिकी संस्थान में पूर्व छात्रों का मिलन समारोह आयोजित
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ग्वालियर। संस्थान में सिखाई गईं बारीकियां व अनुसंधान को आत्मसात कर देश व विदेश की प्रतिष्ठित कंपनियों में इंजीनियर बने। बड़े पदों पर पहुंचने के बाद भी कुछ अलग करने का मन बनाया और नौकरी छोड़कर आज स्वयं की कंपनियां व प्रतिष्ठान खोलकर व्यवसायी व सीईओ बने। आज वह लाखों रुपए कमा रहे हैं। सैकड़ों लोगों को भी अपनी कंपनियों में रोजगार दिया। आज ये हस्तियां सीमा सुरक्षा बल द्वारा संचालित रुस्तमजी प्रौद्योगिकी संस्थान में जुटीं। अवसर था शनिवार को पूर्व छात्र मिलन समारोह 'अंजुमन-2019Ó का। यह सभी युवा व्यवसायी व इंजीनियर संस्थान के ही छात्र हैं, जो देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी आरजेआईटी का नाम रोशन कर रहे हैं।
समारोह में छात्रों ने जहां अपने अनुभव साझा किए और अपनी इस उपलब्धि के लिए संस्थान व शिक्षकों की अटूट मेहनत को बताया वहीं नवोदित छात्रों व भावी इंजीनियरों को महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए कि वह अध्ययन के समय पढ़ाए व सिखाए जा रहे ज्ञान के बल पर बेहतर रोजगार पा सकते हैं या फिर स्वयं की कंपनी खोल सकते हैं। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सराबोर इस समारोह में पूर्व छात्रों ने उपलब्धियों का बखान किया। संस्थान के मुख्य प्रशासक एवं सीएसएमटी के कमांडेंट महावीर प्रसाद ने महाविद्यालय के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डालते हुए महाविद्यालय के विकास की भावी योजनाओं में एलुमनी के सहयोग का आव्हान किया। प्राचार्य डॉ. कमलेश गुप्ता ने पूर्व छात्रों का अभिनंदन करते हुए महाविद्यालय में ट्रेनिंग प्लेसमेंट में उनके सहयोग हेतु आभार प्रकट किया। सीमा सुरक्षा बल के जैज बैंड एवं ब्रास बैंड ने मनमोहक प्रस्तुतियां दीं। सुहेल अहमद खान ने संस्थान की विकास गाथा पर प्रकाश डाला। इस दौरान मीडिया कमेटी के प्रभारी डॉ. चेतन पाठक एवं विभागाध्यक्ष डॉ. उमाशंकर शर्मा सहित संस्थान के शिक्षक, अधिकारी व छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। आभार प्रो. अभिषेक चक्रवर्ती ने व्यक्त किया।
पूर्व छात्रों ने साझा किए अनुभव, स्वचलित कार का कर रहे निर्माण
संस्थान के 2014 बैच के छात्र दिव्यांशु पुरोहित मौजूदा समय में टोरेंटो कनाडा में जनरल मोटर में बतौर डेवलपमेंट मैनेजर के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। वह स्वचलित कार का निर्माण कर रहे हें, जो 2021-22 में सड़कों पर दौडऩे लगेगी। वह कहते हैं कि भारत में यातायात का दबाव इतना अधिक है कि यहां अभी इसकी परिकल्पना सालों तक संभव नहीं है। संस्थान में अध्यापन के समय जो सीखा, उसका मुझे भरपूर लाभ मिला।
नौकरी छोड़कर खोली स्वयं की सॉफ्टवेयर कम्पनी
वर्ष 2008 बैच के छात्र रहे गजेन्द्र सिंह मूलरूप से ग्वालियर के ही रहने वाले हैं और वर्तमान में दुबई में हैं। वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर की लाखों रुपए पैकेज की नौकरी छोड़कर स्वयं की वेबकाइप नाम की सॉफ्टवेयर कंपनी चला रहे हैं। वह वाइस सॉफ्टवेयर विकसित कर रहे हैं, जिसमें सिर्फ बोलने मात्र से सभी सुविधाएं घर बैठे मिल जाएंगी। मोबाइल पर सिर्फ आपको जानकारी बोलना होगी। कुछ मल्टीनेशनल कंपनियों में इसका उपयोग भी होने लगा है। कम संसाधनों के बीच किया अध्ययन, आज हैं एजीएम
संस्थान के पहले बैच 2003 के छात्र विजयशंकर सिंह ने ऑटो मोबाइल में बीई किया है। उस समय संस्थान में वह सुविधाएं नहीं थीं, जो आज छात्रों को मिल रही हैं। बहुत कम संसाधनों के बीच उन्होंने अध्यापन किया और आज एजीएम के पद पर हैं। वह नवोदित छात्रों को संदेश देते हुए कहते हैं कि संस्थान में सीखा हुआ ज्ञान आपके कैरियर में बहुत काम आता है, इसलिए यहां पर अध्ययनरत छात्र छोटे से छोटे अनुसंधान को आत्मसात करें।
टीसीएस से लिया अवकाश, जैविक खेती को दे रहे बढ़ावा
सॉफ्टवेयर इंजीनियर मनोज उपाध्याय भी प्रथम सत्र के छात्र हैं और टाटा कंसल्टेंसी से उन्होंने दो साल का अवकाश लिया है। वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी के साथ-साथ जैविक खेती के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। आज उनकी कंपनी में एक सैकड़ा से अधिक कर्मचारी हैं और कई प्रदेशों में जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। उनका कहना है कि शुरू से ही उनका कुछ अलग करने का मन करता था, इसलिए इस दिशा में काम शुरू किया। मैं युवाओं को यही संदेश देना चाहता हूं कि कुछ ऐसा करो, जो सबसे अलग हो।
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