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पाखंड की टोपी पहनकर वोट बैंक की गंदी राजनीति कर रहे हैं राहुल

भाजपा प्रत्याशियों की घोषणा से पहले हुई नामों पर रायशुमारी

पाखंड की टोपी पहनकर वोट बैंक की गंदी राजनीति कर रहे हैं राहुल
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ग्वालियर। अटल जी और राजमाता जी ने अपने अथक परिश्रम से गांव-गांव तक भारतीय जनता पार्टी को पहुंचाया, जिसके परिणाम स्वरूप भारतीय जनता पार्टी 20 राज्यों और केन्द्र में सत्ता में है। सोमवार को राहुल गांधी ग्वालियर आए थे। वे एक ओर मंदिर जाकर और दूसरी ओर ठीक उसी तरह पाखंड की टोपी लगाकर वोट बैंक की गंदी राजनीति कर रहे हैं। हमारा मानना है कि आप अपने धर्म को मानें और सभी धर्मों का सम्मान करें, पर यह चुनावी पाखंड साफ नजर आता है। बिना तथ्यों के झूठे मिथ्या आरोप लगाकर भ्रमित करने की राजनीति कांग्रेस के आचरण में है। यह बात मंगलवार को पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विक्रम वर्मा ने संस्कृति गार्डन में ग्वालियर नगर के तीनों विधानसभा में रायशुमारी को लेकर आयोजित बैठक में कही।

श्री वर्मा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी में स्वस्थ लोकतंत्र की प्रक्रिया निर्धारित की गई है। सभी को उसी के अनुरूप कार्य करना है। भारतीय जनता पार्टी स्वस्थ लोकतंत्र लेकर चलने वाली पार्टी है, व्यक्ति विशेष की भावना रखने वाली नहीं है। कार्यकर्ता किसी व्यक्ति विशेष के लिए कार्य नहीं करते हैं। प्रत्येक विधानसभा में ऐसे कार्यकर्ता होते हैं, जो विधायक बनने की योग्यता रखते हैं। इसी प्रक्रिया से प्रदेश नेतृत्व को उनका नाम अवगत होता है। पार्टी किसी को भी प्रत्याशी बनाएगी तो हम सभी को मिलकर पूरी ताकत और निष्ठा के साथ भारतीय जनता पार्टी को विजयी बनाना है। श्री वर्मा ने कहा कि रायशुमारी में जब कार्यकर्ता एक-दूसरे का नाम देते हैं, उनमें अपनत्व एवं संगठन की भावना जागृत रहती है और उनको मालूम रहता है कि हमने एक-दूसरे कार्यकर्ता का नाम दिया है। अंतिम निर्णय प्रदेश नेतृत्व करता है। म.प्र. के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय ने कहा कि हम जब भारतीय जनता पार्टी के सदस्य बनते हैं तो सदस्यता के साथ हमको भारतीय जनता पार्टी के लोकतंत्र में भी पंचनिष्ठा के बारे में बताया जाता है। सभी कार्यकर्ताओं को पंचनिष्ठा को अपने व्यवहार एवं आचरण में शामिल करना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी ने पार्टी के लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करते हुए लोकतांत्रिक तरीके से हर विधानसभा में रायशुमारी करने का फैसला किया है। प्रत्येक विधानसभा में अनेक प्रतिबद्ध कार्यकर्ता हैं। हर विधानसभा से तीन योग्य प्रत्याशियों के नाम देना हैं। स्वयं का नाम छोड़कर तीन नाम देना अनिवार्य है। पूर्व की रायशुमारी में एक नाम भी मान्य किया जाता था। इस बार बदलाव किया गया है। पार्टी संवैधानिक तौर पर तीन नाम देना ही अनिवार्य है। रायशुमारी के लिए जो मतपत्र है, उसमें जो कार्यकर्ता रायशुमारी देने के लिए अपेक्षित है। उसका नाम, उसका पद और तीन योग्य प्रत्याशियों के नाम भरना अनिवार्य है। सभी मत पत्रों को एकत्र करके सभी कार्यकर्ताओं के सामने सील बंद कर प्रदेश नेतृत्व को भेजा जाएगा। प्रदेश नेतृत्व इस पर अंतिम निर्णय लेगा। रायशुमारी से प्रत्येक विधानसभा से आने वाले योग्य कार्यकर्ताओं के नाम से प्रदेश भी अवगत रहेगा। बैठक में स्वागत भाषण जिलाध्यक्ष देवेश शर्मा ने दिया। बैठक का संचालन महामंत्री शरद गौतम ने किया। इस अवसर पर संभागीय संगठन मंत्री शैलेन्द्र बरुआ, कैबिनेट मंत्री मायासिंह, महापौर विवेक शेजवलकर, साडा अध्यक्ष राकेश जादौन, जीडीए अध्यक्ष अभय चौधरी, महामंत्री कमल माखीजानी, महेश उमरैया मंचासीन थे।

पर्चियां डालने की यह थी प्रक्रिया

पदाधिकारियों को विधानसभा क्षेत्र का रहवासी अनिवार्य रूप से होना चाहिए था और वरीयता के आधार पर अनिवार्य रूप से तीन नामों का चयन करना था, जिसमें स्वयं का नाम या एक ही नाम का जिक्र तीन बार नहीं होना चाहिए। पदाधिकारियों ने नामों का उल्लेखकर बंद लिफाफे समन्वयकों को सौंप दिए।

रायसुमारी में अभिमत देने के लिए यह थे पात्र

रायसुमारी में गुप्त रूप से अभिमत देने के लिए संगठनात्मक दृष्टि से सूची बनाई गई थी, जिसमें सांसद, विधायक, पूर्व सांसद व पूर्व विधायक, पूर्व अध्यक्ष, जिला पदाधिकारी, प्रदेश पदाधिकारी, मंडल अध्यक्ष, महामंत्री, सभी सात मोर्चों के पदाधिकारी, जिला प्रकोष्ठ, प्रकोष्ठ के प्रदेश पदाधिकारी, दो पूर्व मंडल अध्यक्ष, पूर्व जिला अध्यक्ष सहित अन्य चुनिंदा पदाधिकारियों को बुलाया था।

Updated : 17 Oct 2018 12:16 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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