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पूरे भारत को पाकिस्तान बनने से बचाया था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने: नंदकुमार

राष्ट्रोत्थान न्यास के विवेकानंद सभागार में आयोजित हुआ 'कृतिरूप संघ दर्शन' पुस्तक माला का विमोचन

ग्वालियर। पूरे भारत को पाकिस्तान बनने से बचाने में यदि किसी संगठन की बड़ी भूमिका थी तो वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है। संघ के स्वयंसेवकों के समर्पण, सतर्कता और सक्रियता के कारण ही मुस्लिम लीग पूरे भारत को पाकिस्तान बनाने की अपनी योजना में सफल नहीं हो पाई। यह बात प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नंदकुमार ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रचार विभाग ग्वालियर के तत्वावधान में राष्ट्रोत्थान न्यास के विवेकानंद सभागार में आयोजित 'कृतिरूप संघ दर्शन' पुस्तक माला के विमोचन कार्यक्रम में मुख्य वक्ता की आसंदी से कही।

कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. गोविंद प्रसाद शर्मा ने की। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संघचालक डॉ. राजेन्द्र बांदिल विशेष रूप से उपस्थित थे। सर्व प्रथम अतिथियों ने मां शारदा एवं मां भारती के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। तत्पश्चात 'कृतिरूप संघ दर्शन' पुस्तक माला का विमोचन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता श्री नंदकुमार ने कहा कि मुस्लिम लीग और उससे जुड़े मुस्लिम आतंकी पूरे भारत को पाकिस्तान बनाने का षड्यंत्र कर रहे थे। इसके लिए मुस्लिम आतंकियों ने महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल सहित पूरी संसद को बंधक बनाकर कब्जा करने की योजना बनाई थी। मुस्लिम आतंकियों की पूरी योजना क्या है? यह जानने के लिए संघ के कई स्वयंसेवक मुस्लिमों के भेष में कई दिनों तक मुस्लिमों के बीच रहे। मुस्लिम क्या खाते-पीते हैं? उनका रहन-सहन कैसा है? उनके धर्म व सम्प्रदाय की कौन-कौन सी खास बातें हैं? यह सब जानने-समझने के बाद ही स्वयंसेवक मुस्लिमों के बीच रहने के लिए पहुंचे, ताकि उनकी पहचान न होने पाए। यानी कि मुस्लिम आतंकियों की पूरी योजना का पता लगाने के लिए स्वयंसेवकों ने अपना सब कुछ न्यौछावर किया और उनके पूरे षड्यंत्र का पता लगाकर उसकी जानकारी सरदार पटेल को दी। इस तरह स्वयंसेवकों ने पूरे भारत को पाकिस्तान बनाने की मुस्लिम लीग के षड्यंत्र को असफल किया। श्री नंदकुमार ने 'कृतिरूप संघ दर्शन' पुस्तक माला पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि 'राष्ट्रीय एकता, शिक्षा-संस्कार, सेवा भाव, गौग्राम रक्षा, अर्थ आयाम और धर्म रक्षा' छह खण्डों में प्रकाशित इस पुस्तक माला में विस्तार से यह बताया गया है कि संघ कौन-कौन से क्षेत्र में किस-किस प्रकार की गतिविधियां संचालित करता है। उन्होंने कहा कि जब हम सभी इन पुस्तकों का अध्ययन करेंगे, सभी को संघ की गतिविधियों के बारे में बताएंगे और संघ के प्रति लोगों की शंकाओं का पूर्ण समाधान करेंगे तभी सही रूप में इन पुस्तकों के प्रकाशन और विमोचन की सार्थकता सिद्ध होगी।

नेहरू जी की सुरक्षा की थी स्वयंसेवकों ने

श्री नंदकुमार ने कहा कि नेहरू जी जब अपने आवास से संसद की ओर आते-जाते थे, तब रास्ते में मुस्लिम लोग उनके ऊपर टमाटर आदि फेंकते थे। इस दौरान बीच रास्ते में मोर्चा संभालकर संघ के स्वयंसेवकों ने कई बार नेहरू जी की सुरक्षा का दायित्व निभाया। बावजूद इसके नेहरू जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को खत्म करना चाहते थे। इस पर भारत रत्न भगवानदास ने नेहरू जी से कहा था कि सरकार स्वयंसेवकों जैसी नवयुवक शक्ति का सदुपयोग करे, न कि संहार।

गांधी जी ने की थी संघ की प्रशंसा

श्री नंदकुमार ने कहा कि वर्तमान में कांग्रेस के कई नेता संघ के बारे में कुत्सित बातें फैलाते हैं, जबकि कांग्रेस जिन गांधी जी के विचारों और सिद्धांतों पर चलने का दावा करती है, उन्होंने संघ की हमेशा प्रशंसा की, इसलिए संघ को किसी के प्रमाण-पत्र की आवश्यकता नहीं है। श्री नंदकुमार ने बताया कि एक बार बाल्मीक बस्ती में गांधी जी का आगमन हुआ, जहां उन पर हमला होने की संभावना थी, इसलिए उनकी सुरक्षा के लिए संघ के स्वयंसेवक पहुंच गए थे। स्वयंसेवकों ने बस्ती के लोगों का एकत्रीकरण भी कर लिया था। इस दौरान स्वयंसेवकों को अपनी सुरक्षा में लगा देखकर गांधी जी ने कहा था कि वर्षों पूर्व जब संघ के संस्थापक डॉक्टर साहब जीवित थे, तब मैंने संघ का शिविर देखा था। आप लोगों का अनुशासन, अस्पृश्यता से सर्वथा मुक्त आचरण और सादगी देखकर मैं गद्गद् हो उठा था।

ज्ञान वर्धक है 'कृतिरूप संघ दर्शन' पुस्तक माला: शर्मा

विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. गोविंद प्रसाद शर्मा ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि संघ परिवार से जुड़े 40 से अधिक संगठनों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में जो लाखों प्रकल्प चलाए जा रहे हैं और संघ ने अपनी स्थापना से लेकर अब तक जो भी कार्य किया है। उसका पूरा वृत्त 'कृतिरूप संघ दर्शन' पुस्तक माला में है। हमें किस दिशा में चलना चाहिए? वर्तमान में हमारे समक्ष क्या सांस्कृतिक संकट है। हम अपना रास्ता कैसे निकालें? उसकी एक दृष्टि इन पुस्तकों में है। इन पुस्तकों के अध्ययन से हमें काफी जानकारी और ज्ञान प्राप्त होगा। पुस्तक विमोचन से पूर्व प्रांत प्रचार प्रमुख ओमप्रकाश सिसौदिया ने 'कृतिरूप संघ दर्शन' पुस्तक माला की प्रस्तावना रखते हुए बताया कि इसकी मूल पुस्तक का लेखन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सर कार्यवाह स्व. हो.वे. शेषाद्री ने वर्ष 1968 में किया था। इसके प्रथम संस्करण का हिन्दी अनुवाद 1989 में एवं द्वितीय संस्करण 1999 में प्रकाशित हुआ। लगभग 17 वर्ष पश्चात इसके पुनर्लेखन की योजना बनी और तथ्यों का संकलन प्रारंभ हुआ। अंतत: यह निश्चित किया गया कि वर्ष 2016 की गुरु पूर्णिमा तक की जानकारी का संकलन कर इसे छह खण्डों में विस्तारित किया जाए। उन्होंने कहा कि इन पुस्तकों को पठनीय और संग्रहणीय पुस्तकों में गिना जाएगा। इससे पहले अमित जादौन, मनीष सोनी एवं सुरेश हिन्दुस्तानी ने श्रीफल एवं पुष्प गुच्छ भेंटकर अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन रामकिशोर जी ने किया। अंत में आभार प्रदर्शन विभाग प्रचार प्रमुख सुधीर शर्मा सभी का आभार प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य नगारिक उपस्थित थे।

Updated : 3 Jan 2019 8:00 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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