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तानसेन समारोह में प्रस्तुति को सौभाग्य की बात मान रहे हैं कलाकार

संतूर वादक विपुल कुमार , मोहनवीणा वादक दीपक क्षीरसागर और शास्त्रीय गायिका रुचिरा केदार से स्वदेश डिजिटल की विशेष बातचीत

तानसेन समारोह में प्रस्तुति को सौभाग्य की बात मान रहे हैं कलाकार
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ग्वालियर/स्वदेश वेब डेस्क। तानसेन संगीत समारोह एक ऐसा आयोजन है जहाँ ना सिर्फ संगीत की स्वरलहरियों की सरिताएं बहती हैं बल्कि कई जगहों की संस्कृतियों का भी मिलन होता है। संगीत सम्राट तानसेन की याद में हर साल ग्वालियर में आयोजित होने वाले इस समारोह का इंतजार संगीत रसिकों के साथ साथ कलाकारों को भी रहता है। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत से जुड़े कलाकार मानते हैं उनकी संगीत साधना तानसेन समारोह में प्रस्तुति के बाद ही पूरी होती है। समारोह में प्रस्तुति देने आ रहे ऐसे ही कुछ कलाकारों से स्वदेश डिजिटल ने विशेष बातचीत की ...

तानसेन में बजाना गौरव की बात : विपुल कुमार राय

सुप्रसिद्द संतूर वादक भजन सोपोरी जी के शिष्य और दिल्ली के भारती कॉलेज में हिंदुस्तानी गायन के सहायक प्राध्यापक विपुल कुमार राय तानसेन समारोह में प्रस्तुति देने को बहुत गौरव की बात मानते हैं। उनका कहना है कि ये देश का सबसे बड़ा म्यूजिक फेस्टिवल है जिसका सभी कलाकारों को इन्तजार रहता है। वे कहते हैं संगीत ऋषि तानसेन की समाधि पर वादन करने का अनुभव ही कुछ और होगा कल्पना मात्र से रोमांचित हैं। तानसेन समारोह के मध्यप्रदेश में पहली बार आ रहे 34 वर्षीय विपुल कुमार 15 -16 साल से संतूर बजा रहे हैं। उन्होंने दिल्ली के अलावा बनारस, अहमदाबाद, भिलाई, सहित भारत के कई राज्यों में अपनी प्रस्तुतियां दी हैं। विपुल कुमार 2016 में भारत सरकार की तरफ से वेनेजुएला गए थे जहाँ संगीत कार्यक्रम में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया था. इसके अलावा वे पेरू, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रिया में भी प्रस्तुति दे चुके हैं।

यह एक सुखद अनुभव होगा : दीपक क्षीरसागर

बड़ौदा गुजरात के मोहनवीणा वादक दीपक क्षीरसागर जब 4 वर्ष के थे तभी से उन्होंने गायन शुरू कर दिया था और 15 वर्ष की आयु में आकर वे मोहन वीणा (स्लाइड गिटार ) बजाने लगे। भारत के लगभग सभी संगीत समारोहों में अपनी प्रस्तुति दे चुके 45 वर्षीय दीपक क्षीरसागर तानसेन समारोह में पहली बार बजाने आ रहे हैं। और वे इसे एक सुखद अनुभव मानते हैं। ग्वालियर में कृष्णराव शंकर पंडित संगीत समारोह सहित मैहर संगीत समारोह में प्रस्तुति दे चुके दीपक क्षीरसागर इंदौर, कोलकाता, मुंबई, जालंधर, पुणे, और दिल्ली के संगीत समाराहों में भी मोहनवीणा की प्रस्तुति दे चुके हैं। दुनिया के कई देशों में प्रस्तुतियां दे चुके दीपक तानसेन की तयारी में जुट गए है उनका कहना है कि समय और मौसम के हिसाब से ही राग का चयन उस समय कार्यक्रम स्थल पर ही किया जाएगा।

तानसेन में गाना मेरे लिए अभिमान की बात : रुचिरा केदार

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पली बढ़ीं शास्त्रीय गायिका रुचिरा केदार का जन्म ग्वालियर के काले परिवार में हुआ है। उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा अपने पिताजी दिलीप काले से ली। उसके बाद हिंदुस्तानी शास्त्रीय और उप शास्त्रीय गायन की शिक्षा जयपुर घराने की प्रसिद्ध गायिका डॉ. अलका देव मारुलकर से ली। इनके बात एक स्कॉलरशिप मिली साथसंगीत ही ग्वालियर जयपुर घराने के प्रसिद्द गायक पंडित उल्हास कशालकर से संगीत की बारीकियां सीखीं। ख्याल और ठुमरी में महारत रखने वाली 37 वर्षीय रुचिरा केदार देश-विदेश के कई समारोहों में गायन कर चुकीं है उन्होंने लगभग 10 साल पहले तानसेन समारोह के अंतर्गत बेहट की सभा में अपनी प्रस्तुति दी थी और तभी से तानसेन की समाधि पर गाने का सपना देख रहीं थी। वे कहती हैं कि जिस शहर में मेरा जन्म हुआ मैंने अपने पिताजी से प्रारंभिक शिक्षा ली उसी शहर में संगीत ऋषि तानसेन की समाधि पर गायन की सेवा अवसर मिलना मेरे और मेरे परिवार के लिए अभिमान की बात है।

Updated : 5 Jan 2019 9:12 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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