वन मंडल में रेंजरों की कमी, कैसे रुके अवैध खनन
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पहले से ही कम थे तीन रेंजर, दो का कर दिया स्थानांतरण, अब बचे हैं सिर्फ तीन रेंजर
ग्वालियर/न.सं.। अवैध खनन की दृष्टि से अति संवेदनशील ग्वालियर वन मंडल लम्बे समय से रेंजरों की कमी से जूझ रहा है। यहां रेंजरों के कुल आठ पद स्वीकृत हैं। इनमें से तीन पद लम्बे समय से रिक्त हैं। हाल ही में लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले यहां के दो रेंजरों का स्थानांतरण कर दिया गया। इसके चलते अब रेंजरों के रिक्त पदों की संख्या बढ़कर पांच हो गई है। वर्तमान में यहां तीन रेंजर ही बचे हैं, जबकि रेंजर किसी भी वन मंडल की रीड होते हैं। वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा का पूरा दारोमदार रेंजरों पर ही होता है।
ग्वालियर वन मंडल 'ग्वालियर, बेहट, घाटीगांव उत्तर, घाटीगांव दक्षिण, गैमरेंज घाटीगांव एवं गैमरेंज तिघरा' छह वन परिक्षेत्रों में विभाजित है। प्रत्येक वन क्षेत्र में एक रेंजर पदस्थ किया जाता है। इसके अलावा उडऩदस्ता और वन डिपो में भी एक-एक रेंजर पदस्थ रहता है। सोनचिरैया अभयारण्य के अंतर्गत गैमरेंज घाटीगांव अवैध खनन की दृष्टि से कुख्यात है। यहां पिछले कई सालों से रेंजर नहीं है। यहां रेंजर की जिम्मेदारी डिप्टी रेंजर वीरेन्द्र सिंह कुशवाह लम्बे समय से निभाते आ रहे हैं, जबकि उनका स्थानांतरण बहुत पहले कार्य आयोजना में किया जा चुका है, लेकिन रेंजरों की कमी के चलते उन्हें भारमुक्त नहीं किया गया है। इसी प्रकार झांसी रोड स्थित वन डिपो में भी लम्बे समय से रेंजर नहीं है। फिलहाल यहां की जिम्मेदारी डिप्टी रेंजर श्रीलाल शर्मा पर है।
हाल ही में लोकसभा चुनाव की घोषणा होने से ठीक पहले राज्य शासन द्वारा घाटीगांव उत्तर के रेंजर अजय त्रिपाठी का स्थानांतरण बालाघाट एवं उड़नदस्ता के रेंजर महेश अहिरवार का स्थानांतरण महू कर दिया गया था। खास बात यह है कि घाटीगांव दक्षिण में कोई रेंजर नहीं था और वहां की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी उड़नदस्ता प्रभारी श्री अहिरवार के पास थी। उनका स्थानांतरण हो जाने के बाद उन्हें यहां से भारमुक्त कर घाटीगांव दक्षिण की अतिरिक्त जिम्मेदारी वन डिपो प्रभारी श्रीलाल शर्मा को सौंप दी गई है। इधर स्थानांतरण का आदेश आते ही घाटीगांव उत्तर के रेंजर अजय त्रिपाठी लम्बे अवकाश पर चले गए हैं, इसलिए अभी उन्हें यहां से भारमुक्त नहीं किया जा सका है। इसके चलते उक्त वन परिक्षेत्र की जिम्मेदारी अभी किसी को नहीं दी गई है, जबकि अवैध खनन की दृष्टि से यह वन परिक्षेत्र भी अति संवेदनशील माना जाता है।
जेसीबी जब्त करने की मिली सजा
घाटीगांव उत्तर वन परिक्षेत्र में पिछले दिनों अवैध खनन के विरुद्ध कार्रवाई के दौरान रेंजर अजय त्रिपाठी ने एक जेसीबी मशीन जब्त की थी। सूत्रों के अनुसार प्रदेश के एक मंत्री ने उन पर जेसीबी मशीन को छोड़ने के लिए दबाव बनाया था, लेकिन अवैध खनन के खिलाफ हमेशा से ही सख्त रहे श्री त्रिपाठी ने जेसीबी मशीन को नहीं छोड़ा और उसे जब्ती में लेकर वन अपराध दर्ज कर लिया। इस पर मंत्री की ओर से उन्हें यह धमकी मिली कि हम तुम्हारा यहां से बहुत दूर स्थानांतरण करा देंगे और हुआ भी यही। धमकी मिलने के कुछ दिनों बाद ही श्री त्रिपाठी का यहां से बालाघाट स्थानांतरण कर दिया गया।
कौन रोकेगा खनन माफिया को
ग्वालियर जिले में राजस्व क्षेत्र में स्थित फर्शी पत्थर की लगभग सभी खदानें बंद हैं। इसके चलते खनन माफिया वन क्षेत्रों में फर्शी पत्थर का अवैध खनन करते हैं। चूंकि घाटीगांव उत्तर और गैमरेंज घाटीगांव वन परिक्षेत्रों में फर्शी पत्थर की अवैध खदानें सबसे ज्यादा हैं, जहां ग्वालियर के साथ-साथ पड़ोसी जिला मुरैना के भी खनन माफिया सक्रिय हैं। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद यहां खनन माफिया की सक्रियता और ज्यादा बढ़ गई है। खास बात यह है कि यहां रेंजरों के साथ-साथ डिप्टी रेंजर और वनपाल आदि के पद भी कई रिक्त हैं। लम्बे समय से यहां एक उप वन मंडल अधिकारी का पद भी रिक्त है। इसके चलते घाटीगांव उप वन मंडल अधिकारी और सोनचिरैया अभयारण्य घाटीगांव अधीक्षक दोनों पदों की जिम्मेदारी लम्बे समय से जी.एल. जौनवार के पास है। ऐसे में राज्य शासन द्वारा दो और रेंजरों के स्थानांतरण कर दिए गए, लेकिन उनके स्थान पर यहां अन्य रेंजरों की पदस्थापना नहीं की गई है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि वन क्षेत्रों में अवैध खनन के विरुद्ध कार्रवाई कैसे होगी और कौन करेगा?
Naveen Savita
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