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18 हजार नर्सिंग छात्रों के प्रवेश अवैध, नहीं दे सकेंगे परीक्षा

18 हजार नर्सिंग छात्रों के प्रवेश अवैध, नहीं दे सकेंगे परीक्षा
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नियमों का पालन न करने पर मप्र नर्सिंग काउंसिल ने नर्सिंग महाविद्यालयों को नहीं दी मान्यता

ग्वालियर/न.सं.म.प्र. नर्सिंग काउंसिल ने शासन के मापदंडों एवं नियमों का पालन न करने वाले नर्सिंग महाविद्यालयों की मान्यता समाप्त कर दी है। इन महाविद्यालयों में प्रवेशित छात्रों के नामांकन कराने से भी चिकित्सा विश्वविद्यालय एवं महाकौशल नर्सिंग काउंसिल ने मना कर दिया है। ऐसे में ग्वालियर अंचल सहित प्रदेश भर के करीब 18 हजार नर्सिंग छात्रों के प्रवेश अवैध हो गए हैं और वह अब परीक्षा में नहीं बैठ सकेंगे। मोटी रकम देकर प्रवेश लेने वाले छात्रों ने महाविद्यालय संचालकों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।

इंडियन नर्सिंग काउंसिल को लेकर आ रहीं शिकायतों के तहत उच्चतम न्यायालय ने काउंसिल से नर्सिंग महाविद्यालयों को मान्यता देने का अधिकार छीन लिया है। न्यायालय ने मान्यता देने का अधिकार म.प्र. नर्सिंग काउंसिल को दे दिया है। काउंसिल ने गत वर्ष नवम्बर माह में प्रदेश भर के नर्सिंग महाविद्यालयों का निरीक्षण करवाकर जांच करवाई। चिकित्सा शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव राधेश्याम जुलानिया ने मान्यता देने के संबंध में कुछ नए नियम भी बनवाए, जिनमें प्रदेश भर के करीब डेढ़ सैकड़ा नर्सिंग महाविद्यालय खरे नहीं उतर सके। इसके बाद दिसम्बर माह में संबंधित महाविद्यालयों की मान्यता समाप्त कर दी गई, जिनमें ग्वालियर-चम्बल संभाग के सबसे अधिक करीब 65 महाविद्यालय शामिल थे, जबकि संबंधित महाविद्यालयों ने जुलाई में छात्रों को प्रवेश दे दिया था। अब म.प्र. महाकौशल नर्सिंग काउंसिल और चिकित्सा विश्वविद्यालय जबलपुर ने संबंधित महाविद्यालयों में प्रवेशित छात्रों के जीएनएम, एएनएम, बीएससी नर्सिंग, एमएससी नर्सिंग के नामांकन कराने से मना कर दिया है। नामांकन न होने से संबंधित महाविद्यालयों के छात्रों के परीक्षा में शामिल होने पर संकट मंडराने लगा है। हालांकि महाविद्यालय अभी भी शासन स्तर पर जुगाड़ लगाने में जुटे हैं कि उनके महाविद्यालयों को मान्यता मिल जाए। वह प्रवेशित छात्रों के भविष्य का हवाला देकर दबाव भी बनवा रहे हैं।

महाविद्यालयों का तर्क, बीच सत्र में समाप्त नहीं कर सकते मान्यता

मान्यता समाप्त होने से नर्सिंग महाविद्यालय संचालकों की चिंता बढ़ गई है और उन्हें भय सता रहा है कि अब छात्र उन पर दबाव बनाएंगे। संचालक एकत्रित होकर भोपाल के चक्कर लगा रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों के सामने यह तर्क रखा है कि हमने जुलाई माह में छात्रों को प्रवेश दिया था और शासन ने बीच सत्र में हमारी मान्यता क्यों समाप्त की। छात्रहित को देखते हुए मान्यता दी जाए, लेकिन शासन ने सीधे तौर पर इस सत्र में मान्यता नहीं देने और किसी तरह का विचार करने से मना कर दिया है।

छात्रों को लाने वाले दलाल शहर छोड़कर भागे

ग्वालियर-चम्बल संभाग में नर्सिंग महाविद्यालयों में छात्रों को प्रवेश दिलाने का बड़े स्तर पर गोरखधंधा चलता है। नर्सिंग दलाल इन छात्रों को दिल्ली, उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों से यहां लेकर आते हैं और उनके प्रवेश करवाकर उन्हें भेज देते हैं। छात्रों को सिर्फ परीक्षाएं देने के लिए आना पड़ता है। इसके बदले में छात्रों से मोटी रकम वसूल की जाती है। दलालों ने जिन छात्रों को प्रवेश दिलाया था, उन्हें भी अब यह भनक लग गई है कि काउंसिल ने महाविद्यालय की मान्यता समाप्त कर दी है, इसलिए वह ग्वालियर के चक्कर लगाने लगे हैं। वह दलाल व महाविद्यालयों पर दबाव बना रहे हैं। वहीं छात्रों के भय की वजह से दलाल शहर छोडक़र गायब हो गए हैं। वह न तो छात्रों के फोन उठा रहे हैं और न ही उनसे किसी तरह से संपर्क कर रहे हैं।

फैक्ट फाइल

अंचल में करीब 90 नर्सिंग महाविद्यालय हैं संचालित।

म.प्र. नर्सिंग काउंसिल ने सत्र 2018-19 के लिए नियमों का पालन करने वाले करीब दो दर्जन महाविद्यालयों को दी मान्यता।

शेष महाविद्यालयों की मान्यता की समाप्त।

संबंधित महाविद्यालयों में करीब 18 हजार छात्रों को बिना मान्यता के प्रवेश।

छात्रों से मोटी रकम लेकर दिए गए हैं प्रवेश।

महाकौशल नर्सिंग काउंसिल और चिकित्सा विवि से नामांकन कराने की तिथि निकली।

मान्यता समाप्त होने के साथ ही फर्जी हो गए हैं छात्रों के प्रवेश।

ज्यादातर नर्सिंग महाविद्यालयों के पास 100 बिस्तर के अस्पताल से नहीं है एग्रीमेंट।

प्रदेश भर के डेढ़ सैकड़ा महाविद्यालयों को नहीं दी गई मान्यता।

दो तरफा मार झेल रहे छात्र

नर्सिंग में प्रवेश पाए हजारों छात्रों का भविष्य दांव पर लग गया है। वे दो तरफा मार झेल रहे हैं। एक तो वे परीक्षा से वंचित हो गए और पैसों से भी लुट गए। महाविद्यालय संचालक नर्सिंग छात्रों की शुल्क लौटाने में आना-कानी कर रहे हैं। छात्र परेशान हैं। उनकी बात न तो संचालक सुन रहे हैं और न ही प्रशासन। दलाल तो ढूंढ़े से भी नहीं मिल रहे हैं।

इनका कहना है

नियमों का पालन करने वाले संबंधित नर्सिंग महाविद्यालयों को सत्र 2018-19 की मान्यता दे दी गई है। शासन के मापदंडों का पालन न करने वाले महाविद्यालयों को मान्यता नहीं दी गई है। इस सत्र में मान्यता देने का मामला फिलहाल बंद कर दिया है।

-शिवशेखर शुक्ला

प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग म.प्र.

Updated : 16 March 2019 6:39 PM GMT
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Naveen Savita

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