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भतीजे को बचाने रात भर एम्बु बैग से देते रहे ऑक्सीजन

भतीजे को बचाने रात भर एम्बु बैग से देते रहे ऑक्सीजन
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जयारोग्य के ट्रॉमा सेंटर की व्यवस्थाएं वेन्टीलेटर पर

ग्वालियर, न.सं.

जयारोग्य चिकित्सालय के ट्रॉमा सेन्टर की व्यवस्थाएं इन दिनों कोमा में हैं। ट्रॉमा सेन्टर में महज पांच वेन्टीलेटर ही काम कर रहे हैं। इस कारण मरीजों के परिजनों को एम्बु बैग से ऑक्सीजन देना पड़ रही है। ऐसा ही एक मामला गत दिवस देर रात तब सामने आया, जब एक चाचा अपने घायल भतीजे की जान बचाने के लिए रात भर एम्बु बैग से ऑक्सीजन देता रहा।

मैनपुरी उत्तर प्रदेश निवासी 40 वर्षीय अभिषेक कुमार सडक़ दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे और उन्हें गंभीर चोटें आई थीं। इस पर अभिषेक को जयारोग्य चिकित्सालय के लिए रैफर किया गया। इस पर अभिषेक के चाचा मुनेश कुमार मंगलवार-बुधवार की रात जयारोग्य अस्पताल की कैजुअल्टी में अभिषेक को लेकर पहुंचे, जहां से अभिषेक की स्थिति को देखते हुए कैजुअल्टी में मौजूद चिकित्सकों ने ट्रॉमा सेंटर के लिए रैफर करते हुए वेन्टीलेटर पर रखने की सलाह दी, लेकिन जब मुनेश घायल अभिषेक को ट्रॉमा सेंटर लेकर पहुंचे तो पता चला कि वेन्टीलेटर बंद पड़े हुए हैं और जो काम कर रहे हैं, उन पर मरीज हैं। इसकी शिकायत उन्होंने चिकित्सकों से की तो उन्हें एम्बु बैग थमाते हुए हाथ से ही पम्पिंग करने की सहाल दी गई। इस पर मुनेश पूरी रात अपने भतीजे को बचाने के लिए पम्पिंग करते रहे। बुधवार को सुबह एक वेन्टीलेटर खाली होने के बाद मरीज को वेन्टीलेटर नसीब हुआ। उल्लेखनीय है कि ट्रॉमा सेन्टर में कुल 12 वेन्टीलेटर हैं, जिनमें से दो वेन्टीलेटर पहले ही कण्डम घोषित किए जा चुके हैं, जबकि पांच वेन्टीलेटर बंद पड़े हुए हैं। इस कारण ट्रॉमा सेंटर में सिर्फ पाच वेन्टीलेटर ही काम कर रहे हैं। इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है और परिजनों को मजबूरन निजी अस्पताल में जाना पड़ रहा है।

Updated : 14 March 2019 7:09 AM GMT
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Naveen Savita

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