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जयारोग्य अस्पताल में नहीं हुई सफाई, वार्डों में पड़ा है बायोमेडिकल वेस्ट, मरीजों को संक्रमण का खतरा

प्रबंधन ने साधी चुप्पी, वेतन न मिलने से नाराज हैं सफाईकर्मी

जयारोग्य अस्पताल में नहीं हुई सफाई, वार्डों में पड़ा है बायोमेडिकल वेस्ट, मरीजों को संक्रमण का खतरा
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ग्वालियर। जयारोग्य चिकित्सालय की सफाई व सुरक्षा का काम संभाल रही हाइट्स की पेटी कॉन्टे्रक्ट कम्पनी बीबीजी व्यवस्थाएं सुधारने की जगह और बिगाड़ती जा रही है। कम्पनी की ओर से कार्यरत सफाई व सुरक्षा कर्मचारी वेतन न मिलने से नाराज होकर हड़ताल पर चले गए हैं। इस कारण अस्पताल परिसर में चारों तरफ कचरे के ढेर लगे होने के साथ ही वार्डों में बायोमेडिकल बेस्ट मरीजों के पास ही पड़ा हुआ है। शौचालयों की स्थिति तो यह है कि मरीजों को उसमें घुसना तक मुस्किल हो रहा है, जिससे मरीजों के साथ-साथ उनके परिजनों को भी संक्रमण होने का खतरा बढ़ गया है। इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन कम्पनी पर सख्त कार्रवाई करने की जगह चुप्पी साधे बैठा हुआ है।

बीबीजी कम्पनी में 270 सफाई व सुरक्षा कर्मचारी कार्यरत हैं। इन कर्मचारियों को समय पर वेतन व अन्य सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं, जिससे नाराज कर्मचारी पिछले तीन दिनों से हड़ताल पर हैं। हड़ताल के कारण वार्डों व चिकित्सकों के कक्षों सहित अन्य स्थानों पर सफाई नहीं की गई है। इस कारण वार्डों में मरीजों को लगाई जाने वाली ग्लूकोज की बोतल, इंजेक्शन, पट्टी सहित अन्य मेडिकल बेस्ट मरीजों के पास ही पड़ा हुआ है। शौचालयों की सफाई न होने के कारण वार्डों में दुर्गन्द फैली हुई है। बारिश हो जाने के कारण मरीजों के परिजन अंदर खुस रहे हैं, जिससे वार्डों में कीचड़ हो गई है। इस कारण मरीजों के साथ नर्सों और चिकित्सकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन कम्पनी पर सख्त कार्रवाई करने की जगह चुप्पी साधे बैठा हुआ है, जबकि यह पहला मामला नहीं है, जब कर्मचारी हड़ताल पर गए हों। इससे पहले भी कर्मचारी सामूहिक हड़ताल पर जा चुके हैं। उल्लेखनीय है कि जब से बीबीजी कम्पनी ने अस्पताल की सुरक्षा और सफाई व्यवस्था संभाली है तभी से कम्पनी लगातार विवादों में बनी हुई है। हालांकि दोपहर बाद आधे सफाई कर्मचारी काम पर लौट आए, लेकिन सफाई व्यवस्था जस की तस बनी हुई है।

बच्ची का उपचार कराने तीन विभागों के बीच पांच घण्टे भटकती रही मां

जयारोग्य चिकित्सालय में उपचार के लिए पहुंच रहे मरीज इन दिनों विभिन्न विभागों के बीच फुटबॉल बने हुए हैं। ऐसा ही एक मामला बुधवार को तब सामने आया, जब एक मां अपनी बच्ची को भर्ती कराने के लिए चार घण्टे तक तीन विभागों के चक्कर लगाती रही और थक हारकर गैलरी में बैठ गई। इसके बाद रेडक्रॉस हेल्पडेस्क के स्टाफ ने मदत की। उसके बाद बच्ची कमलाराजा अस्पताल में भर्ती हो सकी।

छतरपुर निवासी रुकमणी अपनी 13 वर्षीय बेटी द्वारिका को उपचार के लिए ग्वालियर लेकर आई थी। रुकमणी ने मंगलवार की रात रेलेवे स्टेशन पर काटी और बुधवार को सुबह करीब सात बजे जयारोग्य अस्पताल की कैजुअल्टी में पहुंची। रुकमणी की बेटी द्वारिका के हाथ-पैर अकड़ रहे थे। कैजुअल्टी में मौजूद स्टाफ ने उसे न्यूरोलॉजी विभाग के लिए रैफर कर दिया। रुकमणी न्यूरोलॉजी पहुंची तो वहां चिकित्सकों ने यह कहते हुए लौटा दिया कि यहां 13 वर्ष के बच्चों को भर्ती नहीं किया जाता है। आप कमलाराजा अस्पताल जाएं। रुकमणी को यह नहीं पता था कि कमलाराजा अस्पताल कहां है? घण्टों विभागों के चक्कर लगाने के बाद रुकमणी अपनी बच्ची को दुबारा कैजुअल्टी लेकर पहुंची और गैलरी में बैठ गई। इस दौरान वहां मौजूद रेडक्रॉस हेल्पडेस्क पर मौजूद स्टाफ ने बच्ची को दोपहर 12 बजे कमलाराजा अस्पताल में भर्ती कराया।

पेट में पड़ गई है मवाद, चार घण्टे बाद किया भर्ती

नाका चन्द्रवदनी निवासी प्रीति पत्नी रिंकेश राजपूत भी जयारोग्य अस्पताल के विभिन्न विभागों के बीच भटकती रही। प्रीति के पेट में मवाद पड़ गया है और उसके पेट में बहुत तेज दर्द हो रहा था। उपचार के लिए वह बुधवार को सुबह करीब 8.30 बजे जयारोग्य पहुंची, जहां कैजुअल्टी से उसे कमलाराजा अस्पताल के सर्जरी विभाग के लिए रैफर किया गया। जब वह कमलाराजा अस्पताल पहुंची तो वहां मौजूद चिकित्सकों ने भर्ती उसे नहीं किया। प्रीति कमलाराजा अस्पताल की गैलरी में कई घण्टों तक स्टे्रचर पर ही लेटी रही और किसी को उसका दर्द नहीं दिखाई दिया। इसके बाद परिजनों ने चिकित्सकों से गुहार लगाई, तब शाम चार बजे प्रीति को भर्ती किया गया।

Updated : 23 Aug 2018 3:15 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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