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जयारोग्य में खून की दलाली, प्रबंधन चुप

डेंगू का डर दिखाकर प्लेटलेट्स व खून के लिए मांगे जा रहे हैं 20 से 30 हजार रुपए

जयारोग्य में खून की दलाली, प्रबंधन चुप
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ग्वालियर/सुजान सिंह बैस। सर मेरे पास ब्लड डोनर नहीं है। मुझे एबी पॉजिटिव ब्लड की अर्जेंट जरूरत है। मेरे पिता की हालत बहुत नाजुक है। आप अगर मेरी मदद कर सकें तो मुझे ब्लड उपलब्ध करा दीजिए। यह बात गत दिवस जयारोग्य चिकित्सालय के ब्लड बैंक में पहुंचे एक मरीज के अटेण्डर ने चिकित्सक से कही, लेकिन चिकित्सक ने एबी पॉजिटिव ब्लड उपलब्ध न होने की बात कहते हुए उसे लौटा दिया। इस पर अटेण्डर निराश होकर जैसे ही अस्पताल के आईसीयू के बाहर पहुंचा तो वहां मौजूद कुछ दलालों ने उसे घेर लिया और मजबूरी का फायदा उठाते हुए एबी पॉजिटिव ब्लड के बदले 30 हजार रुपए की डिमांड कर दी। दरअसल शहर में इन दिनों लोगों को डेंगू दर्द देने लगा है। मरीजों की संख्या बढऩे से इलाज, जांच और प्लेटलेट्स जंबो पैक से कमाई हो रही है। ब्लड बैंकों में दलाल सक्रिय हो गए हैं। प्लेटलेट्स जंबो पैक के लिए मरीजों के परिजनों से 30 हजार रुपए तक वसूले जा रहे हैं। क्लीनिक और हॉस्पीटल में 50 फीसदी मरीज डेंगू और मलेरिया के भर्ती हैं। इन मरीजों की हर रोज जांच कराई जा रही है। एक मरीज की जांच का बिल एक से दो हजार रुपए दिया जा रहा है। मरीज की प्लेटलेट्स काउंट 50 हजार से नीचे जाते ही परिजनों से जंबो पैक का इंतजाम करने के लिए कहा जा रहा है। परिजन जंबो पैक के लिए ब्लड बैंक के चक्कर लगा रहे हैं। डोनर न होने पर सौदेबाजी की जा रही है। 15 से 20 हजार रुपए में डोनर होने पर प्लेटलेट्स जंबो पैक उपलब्ध करा दिया जाता है, जबकि डोनर न होने पर 30 से 35 हजार रुपए तक लिए जा रहे हैं।

नहीं हटा पा रहे अवैध एम्बुलेंस

एम्बुलेंस संचालक इस कदर सिस्टम में खुसा हुआ है कि उसकी चार से पांच एम्बुलेंस जयारोग्य के एम्बुलेंस बूथ पर खड़ी होती हैं। इसको लेकर गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता भी नाराजगी जताते हुए एम्बुलेंस हटवाने के निर्देश दे चुके हैं, लेकिन जितेन्द्र परिहार का अस्पताल परिसर में इतना दबदबा है कि उसकी एम्बुलेंस को कोई बाहर नहीं कर सकता।

मजबूरी के हिसाब से तय होता है सौदा: खून की दलाली में सबसे बड़ी बात तो यह है कि मरीज की बीमारी और परिजनों की मजबूरी के हिसाब से सौदा तय किया जाता है। अगर मरीज का ऐसा ब्लड ग्रुप है, जो आसानी से नहीं मिलता है, उसके लिए अलग से रेट तय होते हैं।

सिस्टम में भी घुसे दलाल

जयारोग्य चिकित्सालय के ब्लड बैंक से ब्लड की प्रतिदिन 50 से ज्यादा यूनिट की डिमांड होती है। इसके अलावा शहर के ज्यादातर बड़े प्राइवेट अस्पताल भी यहीं से ब्लड लाने को कहते हैं क्योंकि इसे काफी सुरक्षित माना जाता है, लेकिन निगरानी की कमी की वजह से खून के दलालों ने सिस्टम के अंदर तक अपनी पैठ बना ली है।

एम्बुलेंस चालक व पार्किंग कर्मचारी करते हैं फंसाने का काम

जयारोग्य चिकित्सालय में इन दिनों बड़ी संख्या में डेंगू के मरीज भर्ती हैं। इन मरीजों में कम से कम दस मरीजों को प्रतिदिन प्लेटलेट्स चढ़ाई जा रही है। मरीज के परिजन जब जयारोग्य के ही ब्लड बैंक में प्लेट्लेटस के लिए पहुंचते हैं तो ब्लड बैंक के बाहर पर्किंग कर्मचारी और एम्बुलेंस चालक पहले से ही सक्रिय हो जाते हैं। इतना ही नहीं, जब मरीज के पास डोनर उपलब्ध नहीं होता है तो यह दलाल परिजनों की मजबूरी का फायदा उठाकर डोनर उपलब्ध कराने के लिए 30 हजार रुपए तक की डिमांड करते हैं।

रोज कमा रहे पचास हजार रुपए

पार्किंग में खड़े एक दलाल से जब बात की गई तो उसने बताया कि जितेन्द्र परिहार और अनिल तोमर के पास इतने डोनर हैं कि वे एक दिन में कम से कम पचास हजार रुपए तक कमा लेते हैं। इतना ही नहीं, पार्किंग कर्मचारी ने यह तक बताया कि इन दोनों की सेटिंग इतनी अच्छी है कि यह लोग जयारोग्य के ब्लड बैंक एवं इमरजेंसी ब्लड बैंक सहित रेडक्रास ब्लड बैंक से बड़ी आसानी से ब्लड और प्लेटलेट्स उपलब्ध करा देते हैं।

एम्बुलेंस संचालक की रहती है पूरी सेटिंग

जयारोग्य चिकित्सालय के एम्बुलेंस बूथ पर खड़ी होने वाली एम्बुलेंस के चालक और पार्किंग कर्मचारी रात के सयम ऐसे अटेण्डरों को ढूंढते हैं, जो ब्लड के लिए परेशान हैं। इस पूरी दलाली में एम्बुलेंस संचालक जितेन्द्र परिहार व अनिल तोमर शामिल हैं। दलाल किसी परेशान अटेण्डर को ढूंढ़ता है और फिर जितेन्द्र परिहार या अनिल तोमर से फोन पर बात करता है। इसके बाद पैसों का लेन-देन किया जाता है।

इनका कहना है

इस मामले की जांच कराई जाएगी और जो भी इन सब में शामिल होगा। उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

डॉ. एस.एन. अयंगर

अधिष्ठाता, गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय

यह मामला काफी गंभीर है। इसकी जांच कराई जाएगी।

बी.एम. शर्मा

संभाग आयुक्त, ग्वालियर

Updated : 29 Oct 2018 3:27 PM GMT
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