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अवैध खनन मामले में शासन से जवाब तलब

अवैध खनन मामले में शासन से जवाब तलब
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ग्वालियर। मप्र उच्च न्यायालय की ग्वालियर खण्डपीठ ने कलेक्टर के आदेश के बावजूद शहर के नजदीक चल रहे अवैध खनन के मामले में सुनवाई करते हुए राज्य शासन को जवाब पेश करने का आदेश शुक्रवार को जारी कर दिए हैं।

जनहित याचिका अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया ने लगाई थी जिसमें कहा गया था कि वर्ष 2013 एवं 2016 की विश्व स्वास्थय संगठन की रिपोर्ट में ग्वालियर शहर को दुनियां का सबसे प्रदूषित शहर बताया गया है था जिसका मुख्य कारण मिलावटी ईधन, अवैध निर्माण, ग्वालियर शहर के आस-पास अवैध खनन तथा पुराने डीजल के वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआं तथा पेड़ों की अंधाधुंध कटाई है। शहर में सड़कों के चौड़ीकरण के दौरान हजारों बेशकीमती पेड़ काट दिए गए जबकि उनकी जगह पर पौधारोपण नहीं किया गया। शहर में पीएम 2.5 का स्तर 144 है जबकि पीएम 10 का स्तर 329 बताया गया। इसके अलावा ध्वनि प्रदूषण एवं जल प्रदूषण में भी ग्वालियर को अव्वल बताया गया है। शहर की वायु गुणवत्ता का स्तर शून्य एवं पानी तथा ध्वनि प्रदूषण का स्तर 50 प्रतिशत खतरनाक बताया गया। वर्ष 2016 की रिपोर्ट में भी प्रदूषण की स्थिति जस की तस बताई गई है। अवधेश भदौरिया ने सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि खनन माफियाओं एवं अधिकारियों की सांठ-गांठ के चलते ग्वालियर के आस-पास मऊ, जमाहर तथा शताब्दीपुरम में बिना लीज के अवैध रुप से गिट्टी के क्रेशर चल रहे हैं जिससे शहर का प्रदूषण और अधिक बद से बदतर हो गया है। इसके कारण जीडीए की करोड़ों रुपए की आवासीय योजनाएं सफल नहीं हो पा रही हैं। न्यायालय में शुक्रवार को जीडीए ने एक पूरक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें कहा गया कि सर्वे क्रमांक- 416, 417, 418, 419, 420 तथा 360, 361, 362, 363, 364, 365 जो कि मऊ, जमाहर तथा शताब्दीपुरम में स्थिति हैं तथा जीडीए द्वारा नोटीफाइड क्षेत्र हैं। जीडीए की आपत्ति के चलते उक्त क्षेत्र की खदानों की लीज का नवीनीकरण नहीं हुआ है, बावजूद इसके कई क्रेशर अवैधानिक रुप से चल रहे हैं। जीडीए ने अपनी बात के समर्थन में फोटो एवं सीडी भी न्यायालय को पेश की तथा बताया कि इस संबंध में 5 सितंबर 2017 को कलेक्टर ग्वालियर को लिखित में सूचित किया गया था कि मेसर्स श्रीराम निवास शर्मा, मैसर्स अमर स्टोन क्रेशर, ब्रजेश शर्मा, मैसर्स अमरदीप क्रेशर तथा मैसर्स श्रेयदीप स्टोन क्रेशर की लीजों का नवीनीकरण न किया जाए। उच्च न्यायालय में जीडीए द्वारा उक्त गंभीर आरोप लगाने के बाद अधिवक्ता अवधेश भदौरिया ने तर्क दिया कि यह मामले बेहद गंभीर है क्योंकि एक प्राधिकरण कलेक्टर को अवैध खनन की जानकारी दे रहा है बावजूद इसके खनन माफिया खनन को जारी रखे हुए हैं। न्यायालय ने जीडीए की इस जानकारी के आधार पर राज्य शासन से अगले सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण पेश करने का आदेश दिया है।

Updated : 14 July 2018 12:17 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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