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हू-हू की आवाज पर सोनचिरैया की तलाश

बसौटा के जंगल में खाक छान रहा है वन अमला

हू-हू की आवाज पर सोनचिरैया की तलाश
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ग्वालियर/स्वदेश वेब डेस्क। बसौटा गांव के ग्रामीणों ने किसी पक्षी की 'हू-हू' की आवाज सुनी और यह खबर जब वन विभाग के अधिकारियों तक पहुंची तो वन अमला सोनचिरैया की तलाश में जुट गया। वन कर्मचारी कैमरे लेकर पिछले दो दिनों से बसौटा के जंगल में खाक छान रहे हैं, लेकिन उन्हें सोनचिरैया तो क्या उसकी आवाज तक सुनाई नहीं दी है।

यह सर्व विदित है कि सोनचिरैया अभयारण्य घाटीगांव से सोनचिरैया विलुप्त हो चुकी है। यहां पिछले लगभग एक दशक से सोनचिरैया नजर नहीं आई है। यही कारण है कि घाटीगांव क्षेत्र के लोग अभयारण्य को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं।

इसी के चलते हाल ही में राज्य शासन ने अभयारण्य के कुल 512 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र से 111.73 वर्ग किलो मीटर क्षेत्र (25 गांव) को डी-नोटीफाई कर अभयारण्य से अलग कर दिया है, लेकिन वन विभाग ने अभी सोनचिरैया की उम्मीद नहीं छोड़ी है। वन विभाग ऐसे चुनिंदा स्थानों पर घास के मैदान तैयार कर रहा है, जहां कभी सोनचिरैया का रहवास था। इस पर करोड़ों की राशि खर्च की जा रही है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ग्वालियर वन मंडल के घाटीगांव उत्तर और सोनचिरैया अभयारण्य की घाटीगांव गैमरेंज वन परिक्षेत्रों की सीमा पर स्थित बसौटा गांव के आसपास पिछले तीन-चार दिनों से सुबह के समय किसी पक्षी की 'हू-हू' की आवाज सुनाई दे रही है। बसौटा गांव के ग्रामीणों के कानों तक जब यह आवाज पहुंची तो उन्हें लगा कि उनके गांव में हुकना पक्षी आ गया है। ग्रामीण सोनचिरैया को हुकना पक्षी के नाम से जानते हैं। ग्रामीणों ने अपने स्तर पर इस पक्षी की तलाश की, लेकिन वह नजर नहीं आया। ग्रामीणों के माध्यम से जब यह खबर वन विभाग तक पहुंची तो विभागीय अधिकारियों की आंखों में चमक आ गई और फिर बसौटा के जंगल में सोनचिरैया की तलाश शुरू कर दी गई, लेकिन अभी तक यहां सोनचिरैया की मौजूदगी के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं।

इनका कहना है

'ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने हुकना पक्षी की आवाज सुनी है, इसलिए बसौटा के जंगल में सोनचिरैया की तलाश में स्टाफ लगा दिया है। हालांकि अभी तक सोनचिरैया की मौजूदगी के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं। अभी तलाश जारी है।

जी.एल. जोनवार

अधीक्षक, सोनचिरैया अभयारण्य घाटीगांव

डांडा खिड़क वन चौकी का स्टाफ कर रहा है निगरानी

बताया गया है कि बसौटा एक ऐसा वन क्षेत्र है, जहां कभी सोनचिरैया का रहवास था, इसलिए वन विभाग के अधिकारियों को लग रहा है कि यहां सोनचिरैया अपना रहवास बना सकती है। इसी के चलते डांडा खिड़क वन चौकी के स्टाफ सहित इस चौकी के अंतर्गत आने वाली वीटों के वीटगोर्डों को भी निगरानी में लगा दिया गया है। घाटीगांव गैमरेंज के वन परिक्षेत्र अधिकारी सहित लगभग 20 से 25 वन कर्मचारी पिछले दो दिनों से सुबह और शाम के समय बसौटा के जंगल में सोनचिरैया की तलाश कर रहे हैं क्योंकि सोनचिरैया सूर्योदय से पहले और सूर्योदय के बाद ही भोजन-पानी की तलाश में अपने घौंसले से बाहर निकलती है। बताया गया है कि कुछ वन कर्मचारियों के पास अपने स्वयं के मोबाइल कैमरे हैं तो कुछ वन कर्मचारियों को विभाग की ओर से कैमरे दिए गए हैं, ताकि सोनचिरैया नजर आने पर वे उसके फोटो खींच सकें। अभयारण्य के एक मैदानी कर्मचारी ने बताया कि मंगलवार को भी सुबह व शाम को वन अमला बसौटा के जंगल में निगरानी करता रहा, लेकिन अभी तक सोनचिरैया की मौजूदगी के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं। वन अमला बुधवार को भी तड़के पांच बजे से बसौटा के जंगल में सोनचिरैया की तलाश करेगा।

Updated : 19 Sep 2018 2:47 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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