चिकित्सकों को सबक सिखाने जिला प्रशासन की ताबड़तोड़ कार्रवाई, मचा हडकंप
अतिक्रमण के दायरे में आए कई निजी अस्पतालों को थमाए नोटिस
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ग्वालियर/वेब डेस्क। रोज रोज के निरीक्षणों व व्यवस्थाओं की खुलती परतों से आजिज आकर जिले के सरकारी व निजी चिकित्सक जिला प्रशासन के विरोध में उतरे तो जिला प्रशासन ने भी कड़े तेवर दिखाना शुरु कर दिेए हैं। उच्च न्यायालय के एक फैसले की आड़ में जिला प्रशासन ने आज आधा दर्जन से अधिक नर्सिंग होमों के तलघरों में व्यवसायिक गतिविधियां संचालित पाये जाने पर उन्हें तोडऩे के लिए 24 घंटे के नोटिस चस्पा कर दिए हैं। इसी के साथ ही दिशा, कम्पू स्थित समर्पण पैथोलॉजी एवं मैक्सकेयर अस्पताल का पंजीयन भी 15 दिन के लिए निरस्त कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन लगातार इस आधार पर सरकारी अस्पतालों का ताबड़तोड़ निरीक्षण कर रहा था कि यहां आने वाले मरीजों को निजी चिकित्सालयों में भर्ती कराया जा रहा है। इस बीच जिला प्रशासन ने एक निजी चिकित्सालय के तलघर पर संचालित हो रही व्यवसायिक गतिविधियों को लेकर कार्रवाई कर दी जिससे नाराज चिकित्सकों ने जिला प्रशासन के खिलाफ बिगुल फूंक दिया। चिकित्सकों के विभिन्न संगठनों ने बैठक कर निर्णय लिया था कि उनके निरीक्षण का विरोध करने के साथ ही निर्देशों का पालन नहीं किया जाएगा। साथ ही सर न कहने और किसी का उपचार न करने की बात भी की थी। चिकित्सकों के इस रवैये का परिणाम 24 घंटे के भीतर कुछ इस तरह आया कि गुरूवार की शाम होते होते सबसे पहले सहारा अस्पताल के संचालक डॉ. भल्ला को झांसी रोड एसडीएम अनिल बनबारिया ने इस बात के लिए नोटिस थमा दिया कि अतिक्रमण कर अस्पताल के आस-पास जनरेटर और बैठने के लिए लोहे की कुर्सियां रखवाने के साथ साथ मरीजों के वाहन सडक़ पर पार्क कराए जा रहे हैं, जिससे आमजन को परेशानी हो रही है। अत: धारा 133 के तहत अतिक्रमण हटाएं और 22 नवम्बर को एसडीएम कार्यालय में उपस्थित होकर जबाव दें, अन्यथा आपका चिकित्सालय सील कर दिया जाएगा।
हम पीछे नहीं हटेंगे
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. ए.एस. भल्ला का कहना है कि प्रशासन द्वारा चिकित्सकों को प्रताडि़त किया जा रहा है, लेकिन हम पीछे नहीं हटेंगे, चिकित्सक कोई अपराधी नहीं है। जिस पर डंडा चलाया जाए।
इनका कहना है
इस मामले में सम्भाग आयुक्त एवं गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय के अध्यक्ष एम.बी. ओझा का कहना है कि हमारे लिए लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलबध कराना पहली प्राथमिकता है, कानून से बढ़ कर कोई नहीं है।
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