महापौर न सही, किसी को भी नगर प्रशासक नियुक्त कर सकता है शासन
ग्वालियर, विशेष प्रतिनिधि। शेजवलकर के इस्तीफे को 17 दिन गुजरने के बाद भी अनिर्णय की स्थिति
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ग्वालियर, विशेष प्रतिनिधि। नगर निगम के महापौर पद से नवनिर्वाचित सांसद विवेक नारायण शेजवलकर द्वारा इस्तीफा दिए 17 दिन गुजरने के बाद भी राज्य शासन ने अभी तक किसी वरिष्ठ पार्षद को प्रभारी महापौर के पद पर नियुक्त नहीं किया है।जिससे निगम परिषद की बैठक नहीं बुलाए जाने से कई बड़े काम प्रभावित हो रहे हैं।वहीं निगम विधान की बात करें तो राज्य शासन को यह भी अधिकार है कि वह किसी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों की समिति को नगर प्रशासक नियुक्त कर सकता है, उसका पार्षद होना जरूरी नहीं है।
उल्लेखनीय है कि सांसद पद पर विजयी होने के बाद श्री शेजवलकर ने 5 जून को महापौर पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद यह चर्चा चल निकली थी कि कांग्रेस पार्षदों में से किसी वरिष्ठ पार्षद को प्रभारी महापौर के पद पर नियुक्त किया जा सकता है।किंतु गुटबाजी और प्रदेश स्तर पर मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों मे चल रही तनातनी के चलते अनिर्णय की स्थिति बनी हुई है। जिससे जो पार्षद महापौर पद की लाइन में थे, वे मायूस नजर आ रहे हैं। क्योंकि उनके द्वारा दिल्ली और भोपाल की दौड़ लगाए जाने के बावजूद अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है।वहीं नगर पालिका निगम अधिनियम 1956 की धारा 423 (ख) यह कहती है कि राज्य शासन चाहे तो परिषद, महापौर परिषद, अपील समितियां भंग कर शक्तियों के पालन के लिए नई परिषद गठित होने तक ऐसे व्यक्ति या समितियों का गठन (नियुक्ति) कर सकता है, जिसे नगर प्रशासक कहा जाएगा। धारा 422 में निगम परिषद के विघठन की बात है। ऐसे में यदि किसी पार्षद को प्रभारी महापौर नहीं बनाया गया तो नगर प्रशासक की नियुक्ति की जा सकती है, जो कि कोई वरिष्ठ कांग्रेस नेता भी हो सकता है। सूत्रों का यह भी कहना है कि निगम में इस समय गंदा पानी, सीवर,सडक़ सहित कई विकास के मुद्दे अधूरे हैं। इसका ठीकरा राज्य शासन के लोग पूर्ववर्ती भाजपा शासन पर थोप रहे हैं। इसलिए वे जानबूझकर महापौर और नगर प्रशासक की नियुक्ति को रोके हुए हैं।क्योंकि 6 माह में यह सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त होना मुमकिन नहीं है। फिर भी गुटबाजी से हटकर प्रभारी महापौर व नगर प्रशासक की नियुक्ति के लिए राज्य शासन स्वतंत्र है।
इनका कहना है
श्री शेजवलकर द्वारा दिए गए इस्तीफे को हमने राज्य शासन को उसी समय प्रेषित कर दिया था, किंतु अभी तक भोपाल से नए प्रभारी महापौर अथवा नगर प्रशासक की नियुक्ति संबंधी कोई आदेश नहीं आए हैं।
बीएम शर्मा, संभागीय आयुक्त
महापौर के इस्तीफे के कारण परिषद की बैठक नहीं बुलाई जा पा रही है, क्योंकि परिषद का एजेंडा महापौर और निगमायुक्त मिलकर बनाते हैं। उसके बाद हमारे द्वारा परिषद की बैठक की तारीख दी जाती है। ऐसे में परिषद और एमआईसी के द्वारा किए जाने वाले कई बड़े काम प्रभावित हो रहे हैं।
राकेश माहौर, सभापति नगर निगम
शासन की मंशा विकास की है, वह जिस किसी भी व्यक्ति को प्रभारी महापौर अथवा नगर प्रशासक नियुक्त करता है तो हम उसका स्वागत करेंगे।
कृष्णराव दीक्षित कल्लू, नेता प्रतिपक्ष नगर निगम
शासन स्तर पर प्रभारी महापौर नियुक्त करने की प्रक्रिया विचाराधीन है। इसमें अभी कुछ वक्त लग सकता है। संभवत मुख्यमंत्री कमलनाथ और राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच इस मामले में बातचीत नहीं हुई है। बातचीत होते ही नियुक्ति हो जाएगी।
प्रद्युम्न सिंह तोमर, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रदेश शासन
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