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बिना जांच के नहीं होगी गिरफ्तारी : शिवराज

अजा-जजा कानून को लेकर मुख्यमंत्री का ऐलान

बिना जांच के नहीं होगी गिरफ्तारी : शिवराज
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भोपाल/स्वदेश वेब डेस्क। प्रदेश में एट्रोसिटी कानून के लगातार विरोध के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अजा जजा कानून में बिना जांच के गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। प्रदेश में अजा-जजा कानून का दुरुपयोग नहीं होने देंगे और जांच के बाद ही कार्रवाई की जाएगी। बता दें यही बात सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कही थी। लेकिन आरक्षित वर्ग के भारी विरोध प्रदर्शन के बाद केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय का फैसला पलटने के लिए कानून में संशोधन कर दिया था। जिसके बाद से सवर्ण वर्ग सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। मुख्यमंत्री ने ये बात अपने बालाघाट में पत्रकारों से चर्चा के दौरान कही। उन्होंने राहुल गांधी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भोपाल आए, मुझे उम्मीद थी कि वे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को राजनीतिक दिशा देंगे और गंभीर बात करेंगे लेकिन संसद में जो किया था वैसी चीजें उन्होंने भोपाल में भी दोहराईं। सचमुच एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के अध्यक्ष की इस तरह बॉडी लेंग्वेज जिसमें वह आंखों की भाषा बोलते हैं, शोभा नहीं देती। जनता में सकारात्मक बात रखने में राहुल गांधी नाकाम रहे। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में अजा-जजा कानून को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। ऐसे में प्रदेश के मुखिया भी इस विरोध प्रदर्शन का सामना कर चुके है। सतना में उनको काले झंडे दिखाए गए थे। वहीं, महिदपुर में उनके काफिले पर पथराव भी किया गया था। उनके बयान के बाद प्रदेश की राजनीति ने बड़ा ही दिलचस्प मोड़ ले लिया है।

डम्पर कांड में कांग्रेस की याचिका खारिज

चुनाव लडऩा है तो मैदान में लड़ें, न्यायालय में नहीं

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह के खिलाफ कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा द्वारा लगाई गई याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है। इसके साथ ही न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी करते हुए यह भी कहा यदि चुनाव लडऩा है तो मैदान में जाकर लड़ें, न्यायालय में नहीं। इससे पहले मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर और उससे पहले जिला न्यायालय रीवा में दायर ये याचिका खारिज हो चुकी है। दरअसल, बहुचर्चित डंपर घोटाले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह के खिलाफ जांच की मांग को लेकर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने शीर्ष न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। केके मिश्रा की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल द्वारा पैरवी की गई। जिसमे सर्वोच्च न्यायायलय द्वारा सुनवाई के दौरान न्यायालय की टिप्पणी सुन और अपनी याचिका खारिज होता देख कपिल सिब्बल ने याचिका को वापस ले लिया, इस आधार पर प्रकरण खारिज कर दिया गया। मिश्रा की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि शिवराज सिंह चौहान 29 नवम्बर, 2005 को प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे, चार अप्रैल 2006 को चुनाव लडऩे के दौरान सिंह ने नामांकन भरा था, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी साधना सिंह के बैंक खाते में दो लाख 30 हजार रुपए बताए थे। याचिका में कहा गया था कि उक्त राशि से दो करोड़ रुपये मूल्य के चार डंपर नहीं खरीदे जा सकते हैं। चारों डंपर साधना सिंह के नाम पर दर्ज थे, और उसमें पता जे.पी. नगर प्लांट रीवा का दर्ज था।

Updated : 21 Sep 2018 12:10 PM GMT
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स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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