केन-बेतवा लिंक परियोजना में पानी के बंटवारे पर भिड़े मप्र-उप्र
X
भोपाल/मध्य स्वदेश संवाददाता। केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत पानी के बंटवारे को लेकर केन्द्र जहां उप्र का पक्ष लेता रहा है, लेकिन प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद मप्र ने उप्र को मांग के अनुसार पानी देने से इंकार कर दिया है। अब दिल्ली में होने वाली बैठक में को लेकर फैसला होगा। लोकसभा चुनाव से पहले दोनों राज्यों के बीच पानी के बंटवारे को लेकर उपजा विवाद चुनाव में मुद्दा बन सकता है।
मप्र जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने 700 एमसीएम से ज्यादा पानी देने से इनकार कर दिया है। परियोजना के शुरुआती दौर में उप्र सरकार ने रबी सीजन के लिए इस बांध से 700 एमसीएम पानी की मांग की थी, लेकिन बाद में 900 एमसीएम पानी मांगा गया। इसे लेकर पिछले साल मप्र से लेकर दिल्ली तक बैठकें हुईं, लेकिन समाधान नहीं निकला। दोनों राज्यों के बीच पानी के बंटवारे को लेकर तैयार की गई डीपीआर में उप्र को 930 एमसीएम पानी देने का जिक्र है। इस पर चर्चा के लिए एनडब्ल्यूडीए के डीजी पिछले दिनों भोपाल आए थे। वे जल संसाधन विभाग के अफसरों से भी मिले थे। जल संसाधन विभाग ने साफ कर दिया कि उप्र को 700 एमसीएम से ज्यादा पानी नहीं दिया जा सकता है। इसलिए यह मामला एक बार फिर दिल्ली जाएगा। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अफसरों के साथ मप्र व उप्र के अफसर बैठेंगे। पिछले साल उप्र सरकार ने रबी सीजन के लिए 900 एमसीएम पानी मांगा था। इससे जल संसाधन विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव राधेश्याम जुलानिया सहमत नहीं थे। उनका कहना था कि शुरुआत में पानी बंटवारे को लेकर जो तय हुआ है, वही रहेगा।
आएगी सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी
परियोजना की पर्यावरण स्वीकृति के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी 30 मार्च तक पन्ना नेशनल पार्क और उससे सटे बांध के हिस्से का निरीक्षण करेगी। यह कमेटी परियोजना की तैयारियों और बांध से पर्यावरण को होने वाले नुकसान का आकलन कर रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी।
Naveen Savita
Swadesh Contributors help bring you the latest news and articles around you.