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कर्जमाफी से वित्तीय संकट में राज्य सरकार, वेतन के पड़े लाले

कर्जमाफी से वित्तीय संकट में राज्य सरकार, वेतन के पड़े लाले
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पांचवीं बार कर्ज लेने की तैयारी में मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार

विशेष संवाददाता भोपाल

मध्यप्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में आई मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए विधानसभा चुनाव के दौरान अपने वचन पत्र में किए गए वादों को पूरा करने में जुटी हुई है। कांग्रेस की सरकार बनते ही किसानों की कर्जमाफी योजना लागू कर दी गई। इसके अलावा कर्मचारियों और आम जन के हित में कई अहम फैसले लिये गये, जिससे प्रदेश की वित्तीय स्थिति काफी खराब हो गई है। वित्तीस संकट से निपटने के लिए कमलनाथ सरकार चार बार बाजार से कर्ज ले चुकी है। इसके बावजूद खजाने की स्थिति यह है कि अधिकारियों-कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ गए हैं। ऐसे में सरकार एक बार फिर बाजार से कर्ज लेने की तैयारी कर रही है।

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार पिछले दो महीने में चार बार में बाजार से 16 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है। सूत्र बताते हैं कि कमलनाथ सरकार मंगलवार को फिर एक हजार करोड़ का कर्ज लेने जा रही है। इसके लिए पूरी तैयारी हो चुकी है। यह सारी कवायद अपने चुनावी वचन पत्र में किये गये वादों को पूरा करने के लिए की जा रही है, ताकि लोकसभा चुनाव में उसे इसका फायदा मिल सके, लेकिन इससे प्रदेश पर वित्तीय संकट आ गया है और सरकार अधिकारियों-कर्मचारियों का वेतन भी नहीं दे पा रही है।

बता दें कि कांग्रेस की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने किसानों की कर्जमाफी योजना लागू कर दी। कमलनाथ की सरकार को सत्ता में आए अभी दो महीना ही हुए हैं। सत्ता में आते ही कांग्रेस की सरकार ने अपने वचन पत्र में किए गए वादों को पूरा करने के लिए धड़ाधड़ फैसले लिए और किसान कर्जमाफी के साथ-साथ विभिन्न योजनाओं के तहत प्रोत्साहन राशि और अधिकारी-कर्मचारियों के वेतन में बढोत्तरी कर दी। इससे सरकार के खजाने पर भारी बोझ बढ़ गया। दो महीने में किसान कर्जमाफी के नाम पर राज्य सरकार चार बार कर्ज ले चुकी है, लेकिन सरकारी खजाना खाली होने की वजह से सरकारी कर्मियों के वेतन-भत्ते आदि की पूर्ति नहीं हो पा रही है।

आज मंत्रिमण्डल में लग सकती है मोहर

वित्त विभाग से जानकारी मिली है कि सरकार ने पांचवीं बार एक हजार करोड़ रुपये ब्याज पर उधार लेने की तैयारी कर ली है। इसके लिए विभाग द्वारा प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। बताया जा रहा है कि मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव पर मुहर लग जाएगी। जानकारी मिली है कि इस राशि का उपयोग कर्मचारियों के वेतन-भत्तों समेत अन्य वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में किया जाएगा।

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में मिली जीत से कांग्रेस अति उत्साह में है और उसका पूरा ध्यान आगामी लोकसभा चुनाव पर है। मध्यप्रदेश की ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए कांग्रेस की सरकार चुनाव की आचार संहिता से पहले ज्यादा से ज्यादा वादे पूरे करने में जुटी हुई है। रविवार को ही सरकार ने पंचायत प्रतिनिधियों की निधि बढ़ाने का भी आदेश जारी कर दिया। चुनाव से पहले सरकार की मंशा वादों को पूरा कर जनता को फिर से अपने पक्ष में करने का है, प्रदेश की वित्तीय स्थित उसके सामने मुश्किलें खड़ी कर रही है।

दो माह में हो जाएगा 17 हजार करोड़ कर्ज

विगत दो महीनों में कमलनाथ सरकार चार बार में 16 हजार करोड़ रुपये कर्ज ले चुकी है और मंगलवार को फिर एक हजार करोड़ का कर्ज ले रही है। इसे मिलाकर पांच बार में कमलनाथ सरकार द्वारा राज्य के विकास के लिए लिया गया कर्ज 17 हजार करोड़ रुपये हो जाएगा। वहीं, सरकार ने वित्त प्रबंधन के लिए ने निगम-मंडलों से उनके खातों में जमा करीब दो हजार करोड़ रुपये सरकारी खजाने में जमा करने को कहा है। बाजार से लिया जाने वाला लोन वित्तीय नियंत्रण एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के अंतर्गत ही लिया जा रहा है। राज्य सरकार विकास कार्यों के नाम पर यह पैसा उधार ले रही है, जो दस साल में चुकाया जाएगा।

Updated : 4 March 2019 4:31 PM GMT
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Naveen Savita

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