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15 वर्षों में भी बैकलॉग के पदों को नहीं भर पाई सरकार

सामान्य प्रशासन विभाग ने एक बार फिर बढ़ाई बैकलॉग पदों को भरने की समय-सीमा

15 वर्षों में भी बैकलॉग के पदों को नहीं भर पाई सरकार
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भोपाल। प्रदेश में बैकलॉग पदों के लिए चल रहे विशेष भर्ती अभियान के बावजूद भी अब तक सरकार इन पदों को नहीं भर सकी है। यह विशेष भर्ती अभियान दिग्विजय सिंह सरकार के समय वर्ष 2002 में शुरू किया गया था, लेकिन 2018 तक इन पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। अब सरकार ने एक बार फिर बैकलॉग पदों को भरने के लिए चल रहे अभियान की समय-सीमा बढ़ाई है। अब 30 जून 2019 तक इन पदों को भरा जा सकेगा। मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्गों के बैकलॉग, कैरीफारवर्ड पद एवं नि:शक्तजनों के रिक्त पदों की पूर्ति के लिए दिग्विजय सिंह सरकार ने वर्ष 2002 में विशेष भर्ती अभियान चलाया था। इसके बाद प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और उमाभारती के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। भाजपा सरकार ने भी इस विशेष भर्ती अभियान को जारी रखा। इसके लिए पहली बार समय-सीमा 11 जुलाई 2005 तक बढ़ाई गई, लेकिन इस समय-सीमा में भी यह अभियान पूरा नहीं हो सका। इसके बाद लगातार कई बार अभियान की समय-सीमा को बढ़ाया जाता रहा। इसके बाद जुलाई-2007, फरवरी-2008, जनवरी-2009, जुलाई-2009, अगस्त-2008, जुलाई-2011, अगस्त-2012, जुलाई-2013, जुलाई-2014, जुलाई-2015, जुलाई-2016 और जुलाई-2017 में इसकी समय-सीमा में वृद्धि की। इतनी बार समय-सीमा बढ़ाने के बाद भी इन पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी तो सरकार ने एक बार फिर 30 जून 2019 तक की समय-सीमा बढ़ाई है।

ये है पदों की स्थिति

जानकारी के अनुसार सीधी भर्ती के कुल स्वीकृत पद दो लाख 78 हजार 762 है। इनमें प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी शामिल हैं। इनमें एक लाख 42 हजार 972 अनारक्षित पद है। संधारित अनुसूचित जाति के 43 हजार 332, अनुसूचित जनजाति के 59 हजार 63 और अन्य पिछड़ा वर्ग के 34 हजार 8 पद है। वर्तमान में कार्यरत पदों की संख्या दो लाख पद 7 हजार 80 है।

रिक्त पद, लेकिन नहीं हो रही भर्ती

मंत्रालय सूत्रों की मानें तो सभी विभागों में बैकलॉग के पद रिक्त पड़े हुए हैं, लेकिन अधिकारियों की इन पदों को भरने में दिलचस्पी नहीं है। दरअसल इन पदों को लेकर कई बार भर्ती अभियान चलाया गया, लेकिन हर बार इसे बीच में बंद कर दिया गया। सूत्रों की मानें तो सभी विभागों में 30 हजार से ज्यादा बैकलॉग के पदों को भरने के लिए यह अभियान शुरू किया गया था, लेकिन अब भी बड़ी संख्या में बैकलॉग के पद रिक्त पड़े हुए हैं।

इधर आंगनबाडिय़ों में भी नहीं हो रही भर्ती

कुपोषण जैसे गंभीर मुद्दे पर सख्त सरकार आंगनबाडिय़ों की चिंता नहीं कर रही है। यही कारण है कि रिक्त पदों को भरने में विभाग दिलचस्पी नहीं ले रहा है। जबकि मुख्यमंत्री लगातार विभागों के खाली पड़े पदों को भरने के लिए निर्देश दे रहे हैं। प्रदेश के कई सरकारी महकमों में रिक्त पद पड़े हुए हैं। इन पदों पर वर्षों से भर्तियां नहीं हुई है। इधर सरकार ने कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र भी 62 वर्ष कर दी है। ऐसे में नौकरी के लिए भटक रहे युवाओं को दोहरा झटका लगा है। मुख्यमंत्री ने कई सरकारी विभागों में भर्ती के निर्देश दिए हैं, लेकिन आंगनबाडिय़ों के रिक्त पड़े पदों को लेकर कोई निर्देश जारी नहीं हुए हैं। जबकि मध्यप्रदेश में कुपोषण जैसी गंभीर समस्या है। सरकार कुपोषण को खत्म करने के लिए आंगनबाडिय़ों के माध्यम से बच्चों को पोषण आहार वितरित करती है। आंगनबाडिय़ों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सहायिका नहीं होने के कारण पोषण आहार भी वितरित नहीं हो पाता। इंदौर संभाग की आंगनबाडिय़ों में सबसे ज्यादा रिक्त पद हैं। इंदौर संभाग में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए 14759 स्वीकृत पद हैं। इसमें से करीब 300 से ज्यादा पद रिक्त पड़े हुए हैं। इसी तरह आंगनबाड़ी सहायिकाओं के भी 14759 स्वीकृत पद हैं और इनमें 500 से ज्यादा रिक्त पड़े हुए हैं। इसी तरह भोपाल संभाग में कार्यकर्ताओं के 8402 स्वीकृत पदों में से 75 और सहायिकाओं के 150 से ज्यादा पद रिक्त हैं। चंबल संभाग में भी 200 से ज्यादा कार्यकर्ता और सहायिका के पद रिक्त हैं। जबलपुर संभाग में 15587 में से लगभग 500 पद रिक्त हैं। इसी तरह ग्वालियर, होशंगाबाद, रीवा, सागर, शहडोल और उज्जैन संभाग में भी बड़ी संख्या में रिक्त पद हैं।

Updated : 24 July 2018 11:08 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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