अजब-गजब मप्र: गायब शिक्षकों को खोजने निकाला विज्ञापन
अजब-गजब मप्र: गायब शिक्षकों को खोजने निकाला विज्ञापन
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प्रदेश के 88 शिक्षक वर्षों से लापता
विशेष संवाददाता ठ्ठ भोपाल
अभी तक आपने लोगों की गुमशुदगी के विज्ञापन अखबारों में देखे होंगे, शिक्षकों के नही। लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने अपने 88 शिक्षकों को खोजने के लिए अखबार में विज्ञापन दिए है। जी हां प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग ने अपने ही विभाग के गुमशुदा शिक्षकों की तलाश विज्ञापन के जरिये शुरू कर दी है। विभाग ने गुमशुदा मास्टरों की तलाश के लिए मास्टरों के नाम और जिले के साथ एक विज्ञापन जारी किया है। यही नही आम जनता से भी इस विज्ञापन के जरिये कहा गया है कि अगर ये शिक्षक कहीं दिखाई दे तो विभाग को खबर करें।
शिक्षको की कमी से जूझ रहे स्कूल शिक्षा विभाग को सालो बाद अपने लापता शिक्षको की याद आई है। यही कारण है कि अब विभाग अपने 88 लापता शिक्षको की तलाश शुरू कर दी है। लेकिन खोज का तरीका ऐसा है जैसा पहले कभी देखने को नही आया है। पुलिसया अंदाज में गुमशुदा और निगरानी बदमाश की तरह स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा विज्ञापन के माध्यम से लापता मास्टरों की तलाश शुरु की गई है । दरअसल हाल ही में सरकार ने संविदा शाला शिक्षकों और अध्यापकों को नियमित करते हुए शिक्षा विभाग में संविलियन के फैसला लिया है ।जिसके बाद से दुबारा से प्रदेश के शासकीय स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों और व्याख्याताओं की गणना शुरु हुई। गणना में कई शिक्षक काम पर नही पाये गए जब विभाग ने जानकारी मांगाई तो पता चला की मास्टर साहब तो लंबे समय से लापता है ।
20 साल से नही देखा
इस विज्ञापन में उपनगर बैरागढ़ के सन्त हिरदाराम शासकीय बालक स्कूल में पदस्थ शिक्षिका सुरभी जोशी का भी नाम है। जो लंबे समय से लापता है। इस संबंध मे जब स्कूल पहुच कर जब सच्चाई जानी गई तो पता चला कि वह यहा पदस्थ तो है पर उन्हे देखा किसी ने नही है। वहा पदस्थ शिक्षिका कमलेश उपाध्याय का कहना था कि वह स्वयं यहा 2008 से यहा पदस्थ है लेकिन उन्होने कभी सुरभी जोशी को नही देखा। उनकी यहां पदस्थापना है यह तो आज पता चल रहा है।स्कूल की प्राचार्य सपना श्रीवास्तव का कहना था कि सुरभी जोशी नाम की शिक्षिका हमारे यहां बीस साल से तो नही है ।हमसे विभाग ने पूछा था कि क्या ये सुरभि आपके यहाँ है हमने बता दिया नही हैं। इस सूची में राजधानी के माडल स्कूल में पदस्थ कल्पना लाल नामक शिक्षिका का भी नाम है।लेकिन वहा भी किसी ने इन शिक्षिका महोदय को नही देखा है।
हैरत की बात ये है कि लापता शिक्षकों की सूची में सबसे ज्यादा शिक्षक राजधानी भोपाल से गायब है लेकिन इनको पहले कभी नही खोजा गया। सूची में भोपाल को प्रथम स्थान पर है । इस पड़ताल से साफ निकल कर आया कि कुछ शिक्षक 5 तो कुछ 27 सालों से लापता है ऐसे में सवाल उठता है कि इतने सालों से सरकार कर क्या रही थी,वहीं लापता शिक्षकों के इस विज्ञापन को देख समझा जा सकता है कि यहां शिक्षा शिक्षक भरोसे नही भगवान भरोसे है।
Vikas Yadav
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