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संयुक्त राष्ट्र महासभा में सुषमा स्वराज : पाकिस्तान आतंक फैलाने और छिपाने में माहिर

संयुक्त राष्ट्र महासभा में सुषमा स्वराज : पाकिस्तान आतंक फैलाने और छिपाने में माहिर
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न्यूयॉर्क। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद फैलाने और अपनी करतूतों को छिपाने में माहिर है तथा सीमा पार से होने वाली आतंकी वारदात के कारण ही दोनों देशों के बीच वार्ता प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है।

सुषमा ने महासभा में हिन्दी में दिए गए अपने संबोधन में कहा कि विश्व समुदाय को यह समझना चाहिए कि पाकिस्तान की आतंकवादी हरकतों के कारण ही भारत-पाक वार्ता रुकी हुई है। जहां तक भारत का संबंध है वह वार्ता के लिए हमेशा तैयार रहा है, क्योंकि उसका मानना है कि जटिल से जटिल मुद्दे को वार्ता के जरिए ही हल किया जा सकता है। इसी सोच के अनुरूप भारत ने बातचीत की कई बार पहल की है लेकिन उसके तुरंत बाद पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के कारण ठप हो गई।

विदेश मंत्री ने इस क्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपने शपथ ग्रहण समारोह में दक्षिण एशिया सहयोग संगठन (सार्क) के देशों के नेताओं को आमंत्रित किए जाने तथा दिसम्बर 2015 में अपनी इस्लामाबाद यात्रा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद में व्यापक वार्ता प्रक्रिया के शुरू होने के कुछ ही हफ्ते बाद जनवरी 2016 में पठानकोट वायुसेना अड्डे पर हमला हुआ।

पाकिस्तान के नव नियुक्त प्रधानमंत्री इमरान खान के वार्ता प्रस्ताव की चर्चा करते हुए सुषमा ने कहा कि भारत ने इसे स्वीकार किया था तथा संयुक्त राष्ट्र आम सभा की बैठक के दौरान दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के मिलने की बात पर सहमति बनी थी लेकिन कुछ ही समय बाद जम्मू-कश्मीर में पुलिस के तीन जवानों का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी गई।

विदेश मंत्री ने आम सभा में भाग ले रहे विश्व प्रतिनिधियों से पूछा कि क्या इस तरह के माहौल में बातचीत हो सकती है, क्या बातचीत होनी चाहिए? उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आतंकवादियों को स्वतंत्रता सेनानी घोषित कर उनके सम्मान में डाक टिकट जारी कर रहा है और पूरा विश्व समुदाय चुपचाप इन हरकतों को बर्दाश्त कर रहा है। विश्व समुदाय की इस प्रतिक्रिया का एक कारण यह है कि संयुक्त राष्ट्र अभी तक आतंकवाद की परिभाषा ही तय नहीं कर पा रहा है।

उन्होंने विश्व समुदाय का आह्वान किया कि वह भारत की ओर से रखे गए आतंकवाद विरोधी व्यापक समझौते को अमलीजामा पहनाने के लिए तत्काल कदम उठाए। यह समझौता कई वर्षों से संयुक्त राष्ट्र में लंबित है। इस विलंब का मुख्य कारण यह है कि विश्व समुदाय आतंकवाद की परिभाषा तय करने में उलझा हुआ है।

विदेश मंत्री ने विश्व समुदाय से कहा कि यदि अभी भी हम नहीं चेते तो आतंकवाद का राक्षस पूरी दुनिया को निगल जाएगा और आतंकवाद के दावानल में विश्व मानवता भस्म हो जाएगी।

सुषमा ने आतंकवाद को फैलाने और बाद में इसे नकारने के रवैये की निंदा करते हुए कहा कि वर्षों तक इस पड़ोसी देश ने अपने यहां आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन की मौजूदगी की बात नकार दी थी। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने ओसामा का पता लगाकर उसका काम तमाम किया। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले का साजिशकर्ता बिन लादेन मारा गया लेकिन नवम्बर 2008 में मुंबई में आतंकवादी घटना के लिए जिम्मेदार आतंकी हाफिज सईद खुलेआम पाकिस्तान में घूम रहा है। वहां उसे स्वतंत्रता सेनानी करार देकर उसका सम्मान किया जा रहा है।

जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन संबंधित पाकिस्तानी आरोपों को खारिज करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि पड़ोसी देश को आतंकवादियों के मानवाधिकारों की चिंता है, आतंकी हिंसा के शिकार निर्दोष लोगों के मानवाधिकारों की उसे कोई चिंता नहीं है।

उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर दुष्प्रचार कर रहा है तथा फर्जी तस्वीरें सोशल मीडिया पर प्रचारित कर रहा है। इस सिलसिले उन्होंने पिछले वर्ष पाकिस्तानी प्रतिनिधि द्वारा संयुक्त राष्ट्र में किसी अन्य देश में हुई हिंसा से संबंधित तस्वीर पेश करते हुए इसे जम्मू-कश्मीर का मामला बताया था।

सुषमा ने कहा कि पाकिस्तान के असली चेहरे को दुनिया ने पहचान लिया है लेकिन आतंकवाद से संबंधित एक सूची से निकालकर दूसरी सूची में डालने से काम चलने वाला नहीं है। आतंकवाद के खिलाफ एक विश्वव्यापी कानूनी प्रणाली कायम की जानी चाहिए। इस सिलसिले में उन्होंने आतंक विरोधी अंतरराष्ट्रीय कानून संबंधित भारतीय प्रस्ताव को अविलंब स्वीकार किए जाने की वकालत की।

विदेश मंत्री ने आतंकवाद के साथ ही जलवायु परिवर्तन को दुनिया के सामने मौजूद सबसे बड़ा संकट बताया, जिसका दंश सबसे अधिक विकसित और अविकसित देशों को झेलना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या पर काबू करने में सबसे ज्यादा भूमिका उन अमीर देशों को निभानी चाहिए, जिन्होंने विकास हासिल करने की प्रक्रिया में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है। अमीर देशों की जिम्मेदारी है कि वह अन्य देशों को आर्थिक संसाधन और प्रौद्योगिकी मुहैया कराएं ताकि वह जलवायु परिवर्तन को रोकने की दिशा में प्रयास कर सकें।

विदेश मंत्री ने नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा संयुक्त राष्ट्र के सहस्राब्दि लक्ष्यों को हासिल करने के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन लक्ष्यों को पूरा करने में भारत विश्व समुदाय को निराश नहीं करेगा। उन्होंने जन-धन, आयुष्मान भारत, उज्जवला और मुद्रा योजना को मोदी सरकार की सर्वसमावेशी नीतियों की मिसाल देते हुए कहा कि इनका सबसे अधिक लाभ महिलाओं को हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक ऐसे नए भारत की परिकल्पना कर रहे हैं, जो शक्तिशाली सामर्थ्यवान समृद्ध और सुरक्षित हो। भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ 2022 तक नए भारत को साकार करने के लिए कृत संकल्प है।

संयुक्त राष्ट्र और इसकी सुरक्षा परिषद में सुधार की वकालत करते हुए विदेशमंत्री ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बनी इन संस्थाओं में समय के अनुरूप परिवर्तन नहीं किया गया, जिसके कारण यह न तो वर्तमान विश्व की समस्याओं से परिचित हैं और न ही उनका प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने इन विश्व संस्थाओं में भारत को उसकी शक्ति और सामर्थ्य के अनुरूप उचित स्थान दिए जाने का आग्रह किया।

सुषमा ने अपने संबोधन की शुरुआत में इंडोनेशिया में आए भूकंप और सुनामी त्रासदी पर दुख व्यक्त करते हुए दक्षिण-पूर्व एशिया के इस देश को भारत की ओर से हर संभव सहायता का वादा किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष मारिया फरनेंडा को बधाई देते हुए कहा कि इस विश्व मंच पर महिला का आसीन होना सबके लिए प्रसन्नता का विषय है। उन्होंने याद दिलाया कि 1983 में भारत की विजय लक्ष्मी पंडित ने इस विश्व मंच का नेतृत्व किया था।

Updated : 29 Sep 2018 10:29 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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